बेहद रोचक और दिलचस्प होगा जिला बैंक का चुनाव
निवर्तमान सत्ता पक्ष को मिलेगी कडी चुनौती
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जिले के कई राजनीतिक दिग्गज उतरेंगे मैदान में
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निवर्तमान सत्ताधारी दल के सामने उतारा जायेगा सशक्त पैनल
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अभी से बिछने लगी है सहकारी राजनीति की बिसात
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इस बार 25 की बजाय 21 संचालक पद के लिए होना है चुनाव
अमरावती/प्रतिनिधि दि.5 – राजनीतिक क्षेत्र में सहकार जगत का अपना एक अलग ही बोलबाला होता है और सहकार क्षेत्र में मजबूत पकड रखनेवाले व्यक्ति को ही एक सफल राजनीतिज्ञ भी माना जाता है. साथ ही सहकार क्षेत्र में सबसे महत्वपूर्ण स्थान जिला सहकारी बैंक का होता है. जिसके संचालक मंडल में शामिल होने को राजनीतिक रूप से सफल होने की गारंटी व उपलब्धि के तौर पर देखा जाता है. आगामी कुछ माह में अमरावती जिला मध्यवर्ती सहकारी बैंक के संचालक मंडल हेतु चुनाव होनेवाले है. ऐसे में इस समय जिले के सहकार व राजनीतिक क्षेत्र में सरगर्मियां काफी तेज है और निवर्तमान सत्ता पक्ष को चुनौती देने हेतु जिले के कई कद्दावर राजनेताओं व सहकार नेताओं द्वारा एक मंच पर आते हुए और एक-दूसरे से हाथ मिलाते हुए एक मजबूत व सशक्त पैनल बनाने की तैयारियां शुरू कर दी गई है. ऐसे में इस बार अमरावती जिला मध्यवर्ती बैंक के संचालक मंडल का चुनाव काफी रोचक व दिलचस्प हो सकता है.
बता दें कि, इससे पहले जिप अध्यक्ष बबलू देशमुख के नेतृत्ववाले पैनल ने करीब 10 वर्ष पूर्व अमरावती जिला मध्यवर्ती सहकारी बैंक के संचालक मंडल का चुनाव जीतकर बैंक में अपनी सत्ता कायम की थी. इस संचालक मंडल का कार्यकाल अगले पांच वर्ष बाद खत्म हो जाना चाहिए था, किंतु बैंक के चुनाव और निर्वाचन क्षेत्र के परिसिमन को लेकर चली बेहद लंबी अदालती लडाई की वजह से वर्ष 2015 में जिला बैंक के नये संचालक मंडल हेतु चुनाव नहीं लिये जा सके और बबलू देशमुख की अध्यक्षतावाला संचालक मंडल ही बैंक का जिम्मा संभालता रहा. हालांकि बाद में जिला परिषद का अध्यक्ष निर्वाचित होने के बाद बबलू देशमुख ने जिला बैंक का अध्यक्ष पद छोडा और इस पद पर बैंक की संचालक व पूर्व विधायक प्रा. वीरेंद्र जगताप की पत्नी उत्तरा जगताप की नियुक्ति की गई. यह स्थिति उस समय तक कायम रही, जब जारी वर्ष के दौरान बैंक में चुनावी प्रक्रिया शुरू करने हेतु सहकार विभाग द्वारा यहां पर प्रशासक की नियुक्ति नहीं की गई. ऐसे में एक तरह से जिप अध्यक्ष बबलू देशमुख के नेतृत्ववाले पैनल ने जिला बैंक के इतिहास में अब तक सबसे लंबा और सबसे बडा कार्यकाल पूर्ण किया. जिसके तहत उन्हें पांच वर्ष का अतिरिक्त कार्यकाल मिला था. किंतु अब इस बैंक में प्रशासक की नियुक्ति की जा चुकी है और सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर सहकार विभाग द्वारा जिला बैंक में चुनाव करवाये जाने को अनुमति भी दी जा चुकी है. ऐसे में अब जिले की राजनीति और सहकार क्षेत्र में जमकर लॉबींग व फिल्डींग होनी शुरू हो गई है तथा बैंक की सत्ता हासिल करने हेतु अब बिसात ही बिछाई जाने लगी है.
जानकारी के मुताबिक जहां एक ओर विगत दस वर्षों से जिला बैंक में एकछत्र राज करनेवाले जिप अध्यक्ष बबलू देशमुख द्वारा जिला पालकमंत्री यशोमति ठाकुर तथा पूर्व विधायक प्रा. वीरेंद्र जगताप के साथ मिलकर पैनल बनाते हुए दुबारा जिला बैंक के संचालक मंडल के चुनावी मैदान में रहेंगे. वहीं दूसरी ओर उन्हें चुनौती देने हेतु एक दूसरा दमदार पैनल भी मैदान में आ रहा है और इस पैनल को संचालित करनेवालों में कांग्रेस, राकांपा व भाजपा से वास्ता रखनेवाले जिले के कई दमदार नेताओं का समावेश है, ऐसी जानकारी है.
सूत्रों के मुताबिक इस पैनल को संचालित करनेवालों में राज्यमंत्री बच्चु कडू, राकांपा के प्रदेश उपाध्यक्ष संजय खोडके, मोर्शी-वरूड के विधायक देवेेंद्र भूयार, मेलघाट क्षेत्र के विधायक राजकुमार पटेल, दर्यापुर व अंजनगांव सूर्जी की राजनीति पर मजबूत पकड रखनेवाले तथा अकोट के विधायक प्रकाश भारसाकले, चांदूर रेल्वे के विधायक प्रताप अडसड, मोर्शी व वरूड के कद्दावर नेता व पूर्व राज्यमंत्री एवं शिवाजी शिक्षा संस्था के अध्यक्ष हर्षवर्धन देशमुख, पूर्व विधायक नरेशचंद्र ठाकरे, सहकार क्षेत्र के दिग्गज माने जाते विलास महल्ले, राजाभाउ देशमुख (शिराला), राजाभाउ देशमुख तलवेलकर तथा अचलपुर फसल मंडी के सभापति अजय पाटील टवलारकर आदि का समावेश है. साथ ही अब तक इस पैनल की करीब 8 से 10 बार गुप्त बैठकें भी हो चुकी है.
जानकारी के मुताबिक इस पैनल ने बैंक के 21 संचालक पदों हेतु अब तक उम्मीदवारों के नामों की अधिकृत तौर पर घोषणा न करते हुए कुछ तहसीलस्तर पर अपने लोगों को बतौर प्रत्याशी काम पर लगा दिया है. इसके तहत सबसे दिलचस्प बात यह है कि, खुद राज्यमंत्री बच्चु कडू भी चांदूर बाजार तहसील से संचालक पद हेतु मैदान में होंगे. वहीं विधायक प्रकाश भारसाकले दर्यापुर से संचालक पद के लिए दावेदारी ठोकेंगे. साथ ही मोर्शी तहसील से पूर्व नगराध्यक्ष अशोक रोडे, वरूड तहसील से पूर्व विधायक नरेशचंद्र ठाकरे, नांदगांव खंडेश्वर से अभिजीत ढेपे, चांदूर रेल्वे से किशोर कडू संचालक पद का चुनाव लड सकते है. इसके अलावा धामणगांव रेल्वे से विधायक प्रताप अडसड तथा अचलपुर से राज्यमंंत्री बच्चू कडू व मंडी सभापति अजय पाटील टवलारकर द्वारा उम्मीदवार तय किया जायेगा. वहीं मेलघाट क्षेत्र से विधायक राजकुमार पटेल के भाई या पुत्र द्वारा संचालक पद का चुनाव लडा जा सकता है. इसके अलावा नागरीक सहकारी पतसंस्था व पगारदार सहकारी संस्था निर्वाचन क्षेत्र से डॉ. पंजाबराव देशमुख बैंक के अध्यक्ष राजेंद्र महल्ले भी जिला बैंक के संचालक पद के दावेदार होेंगे.
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चार निर्वाचन क्षेत्र हुए कम
बता दें कि, इससे पहले जिला मध्यवर्ती सहकारी बैंक के संचालक मंडल में 25 संचालकों का समावेश हुआ करता था. किंतु बैंक के संविधान में हुए 97 वें संशोधन के चलते अब केवल 21 सदस्यीय संचालक मंडल रहेगा और 4 संचालक पदों को कम कर दिया गया है. जिसके तहत कई निर्वाचन क्षेत्र का नये सिरे से परिसिमन करते हुए कुछ निर्वाचन क्षेत्रों को आपस में मिला दिया गया है. इससे पहले जिला बैंक के संचालक मंडल में महिलाओं के लिए दो निर्वाचन क्षेत्र आरक्षित थे. जिसमें से एक पद का आरक्षण कम कर दिया गया है, वहीं आर्थिक रूप से पिछडे निर्वाचन क्षेत्र को खत्म कर दिया गया है. इसके अलावा अन्य सहकारी संस्था निर्वाचन क्षेत्र व व्यक्तिगत भाग धारक निर्वाचन क्षेत्र इन दो निर्वाचन क्षेत्रोें को आपस में मिलाकर एक निर्वाचन क्षेत्र बना दिया गया है. वहीं खरेदी-बिक्री संघ व मार्केटिंग निर्वाचन क्षेत्र तथा सैलरी ओनर्स निर्वाचन क्षेत्र इन दो निर्वाचन क्षेत्रों को मिलाकर एक कर दिया गया है. ऐसे में इन चार निर्वाचन क्षेत्रोें से संचालक मंडल में शामिल रहनेवाले किन्ही दो संचालकोें को अब आगामी चुनाव हेतु मैदान से हटना होगा.
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किसी अन्य सहकारी बैंक या संस्था के संचालक नहीं लड सकेंगे चुनाव
जिला बैंक के चुनाव हेतु सहकार विभाग द्वारा जारी किये गये नये अध्यादेश के मुताबिक किसी अन्य सहकारी बैंक अथवा संस्था के संचालक मंडल में शामिल रहनेवाला व्यक्ति जिला बैंक के संचालक पद का चुनाव नहीं लड सकेगा. ऐसे में सहकार क्षेत्र पर मजबूत पकड रखने के साथ-साथ अन्य कई संस्थाओं को बतौर अध्यक्ष या संचालक अपने कब्जे में रखनेवाले सहकार नेताओं को इस बार जिला बैंक के चुनाव में निराशा का सामना करना पडेगा या फिर जिला बैंक के संचालक पद का चुनाव लडने हेतु अन्य संस्थाओं के संचालक या अध्यक्ष पद से इस्तीफा देना होगा. ऐसे में बहुत हद तक संभव है कि, अन्य सहकारी संस्थाओं व प्राधिकरणों में महत्वपूर्ण पद पर रहनेवाले सहकार नेताओें द्वारा अपने खास समर्थकोें में से किसी को जिला बैंक के संचालक पद पर मौका दिया जाये.
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राज्य की राजनीति में सहकार क्षेत्र का दबदबा
बता दें कि महाराष्ट्र की राजनीति में सहकार क्षेत्र का हमेशा से ही दबादबा रहा है और आज भी राज्य के कई बडे व कद्दावर नेता अपने-अपने इलाकों के सहकार क्षेत्र में अपनी बेहद मजबूत पकड रखते है. जिनमें विशेष तौर पर राज्य के उपमुख्यमंत्री अजीत पवार का नाम लिया जा सकता है, जो अपने क्षेत्र की जिला बैंक के संचालक भी है. इसके साथ ही राज्य के राजस्व मंत्री तथा कांग्रेस के पूर्व प्रदेशाध्यक्ष बालासाहब थोरात भी विगत दिनों जिला बैंक के संचालक निर्वाचित हुए है. इन दो उदाहरणों से समझा जा सकता है कि, राजनीति के क्षेत्र में सक्रिय रहनेवाले लोगों के लिए जिला बैंक का संचालक पद कितना मायने रखता है और यह पद कितना अधिक महत्वपूर्ण है.