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सीपी ऑफिस में तीन दिन से पडी है जिला बैंक घोटाले की फाइल

पुलिस कहती है, प्रशासक भोसले की रिपोर्ट ही ‘कन्फ्यूज्ड’

  •  सीपी डॉ.आरती सिंह के टेबल पर नहीं की गई अब तक पेश

  •  राजनीतिक दबाव या अन्य कुछ

  •  अपराध दर्ज करने में आ रही बाधाएं

अमरावती/प्रतिनिधि दि.22 – अमरावती जिले में किसानों की अपनी बेैंक के रुप में परिचित अमरावती जिला मध्यवर्ती सहकारी बैंक में 700 करोड रुपए के म्युच्यूअल फंड घोटाले के मामले में, ऑडिट हुआ, ऑडिट रिपोर्ट बैंक पर नियुक्त प्रशासक सतिश भोसले को सौंपी गई. प्रशासक भोसले ने म्युच्युअल फंड में निवेश के मामले में घोटाला होने का ठपका लगाकर ऑडिट रिपोर्ट के साथ शिकायत कोतवाली पुलिस थाने में लगभग डेढ माह पहले दर्ज की, लेकिन उस रिपोर्ट में निश्चित व्यवहार किसने, कब किये, आर्थिक व्यवहार के लिए कर्मचारियों की जिम्मेदारी निश्चित कर फे्रश रिपोर्ट पेश करने के आदेश भी दिये गए थे. जिसकी फाइल दो दिन पहले प्रशासक सतीश भोसले ने कोतवाली पुलिस थाने में पेश की थी. वह फाइल पिछले तीन दिन से पुलिस आयुक्त कार्यालय में ही पडी हुई है. पुलिस कहती है प्रशासक भोसले की रिपोर्ट ‘कन्फ्यूज्ड’ है. वहीं पुलिस आयुक्त डॉ.आरती सिंह से जब आज ‘दैनिक अमरावती मंडल’ ने बात की तो उन्होंने स्पष्ट रुप से कहा कि उनके टेबल पर अभी तक फाइल पहुंची ही नहीं. बातचीत में उन्होंने यह भी कहा कि हालांकि अपराध दर्ज करने के अधिकार थानेदारों को ही है, लेकिन प्रशासक सतिश भोसले की शिकायत ही ‘कन्फ्यूज्ड’ है. उन्होंने कहा कि भोसले की रिपोर्ट ही स्पष्ट वेरिफिकेशन की कमी है.
उल्लेखनीय है कि 18 मई को प्रशासक भोसले ने नई रिपोर्ट कोतवाली पुलिस थाने में दाखल की थी. जिसमें जिला बैंक के तत्कालीन मुख्य कार्यकारी अधिकारी जे.सी.राठोड, तत्कालीन मुख्य इन्व्हेस्टमेंट ऑफिसर चांदूरकर, तत्कालीन सांख्यिकी अधिकारी आर.एन.कडू और अकाउंटंट रोहिणी चौधरी को जिम्मेदार करार दिया गया है. वह रिपोर्ट 19 मई को कोतवाली पुलिस ने पुलिस आयुक्त केे पास भेजी थी, लेकिन आश्चर्य की बात यह है कि यह फाइल अभी तक पुलिस उपायुक्त के टेबल पर ही पडी है. जो अभी तक पुलिस आयुक्त डॉ.आरती सिंह के पास नहीं पहुंची. आखिर जिला बैंक में हुए घोटाले के मामले में पुलिस की ओर से इतनी देर क्यों लगाई जा रही है, इस तरह के अनेकों प्रश्न उपस्थित किये जा रहे है. कही इस मामले में पुलिस पर राजनीतिक दबाव तो नहीं बढ रहा है, इस तरह की आशंका को नकारा नहीं जा सकता और शायद यहीं दबाव इस मामले में अपराध दर्ज करने में बाधा बन रहा है.
उल्लेखनीय है कि अमरावती जिला मध्यवर्ती सहकारी बेैंक के संचालक मंडल का कार्यकाल 2015 में ही खत्म हुआ था. बावजूद इसके बैंक के व्यवहारों को लेकर एक मामला हाईकोर्ट और उसके बाद सुप्रिम कोर्ट में न्यायप्रविष्ट रहने के कारण बैंक के संचालक मंडल के चुनाव पांच वर्ष टल गए और संचालक मंडल को आसानी से पांच वर्ष का कार्यकाल बगैर चुनाव के ही मिल गया. इसी पांच वर्ष के कार्यकाल के दौरान बैंक के संचालक मंडल ने विविध प्रकार के गैर व्यवहार किये. इसी दौरान बैंक व्दारा किया गया सबसे बडा नियमबाह्य व्यवहार यह कि जिला मध्यवर्ती सहकारी बैंक ने 700 करोड का निवेश म्युच्यूअल फंड में किया. विशेष यह कि जिला मध्यवर्ती सहकारी बैंक यह प्राथमिकता से किसानों की व किसानों को फसल कर्ज वितरण करने के लिए स्थापित की गई है, लेकिन आरोप है कि बैंक ने जरुरतमंद किसानों को फसल कर्ज का वितरण न करते हुए 700 करोड का निवेश म्युच्यूअल फंड में किया. यह निवेश करते समय बैंक की सीईओ जे.सी.राठोड ने अहम भूमिका निभाई. उन्होंने निप्पॉन इंडिया म्युच्यूअल फंड कंपनी के अमरावती के व्यवस्थापक को 28 सितंबर 2020 को बैंक का निवेश ब्रोकर व्दारा सूचारु रुप से शुरु रखने संबंधी का पत्र दिया था तथा इससे पहले भी ब्रोकर व्दारा निवेश करने के लिए बैंक के सीईओ राठोड ने पुरुषोत्तम रेड्डी नामक ब्रोकर तथा एसबीआई व निप्पॉन इंडिया कंपनी के अमरावती व्यवस्थापकों से भी पत्र व्यवहार किया था. विशेष यह कि यह व्यवहार अगर बैंक बगैर ब्रोकर नियुक्ति के स्वयं करती तो 700 करोड के निवेश में ब्रोकर रेड्डी को जो 3 करोड 40 लाख रुपए का कमिशन गया उसका लाभ बैंक को मिलता था, लेकिन ऐसा न करते हुए बैंक ने ब्रोकर के माध्यम से निवेश किया और 3 करोड 40 लाख रुपये का आर्थिक लाभ एजंट को मिला, इस तरह जिला मध्यवर्ती सहकारी बैंक ने अनेकों व्यवहार यह आरबीआई के दिशा निर्देशों का उल्लंघन कर किये है.

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