शहर सहित जिला डेंग्यू व चिकन गुनिया की चपेट में
40 करोड का सफाई बजट भी नहीं आया काम
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शहर में जगह-जगह पडे कचरे के ढेर दे रहे बीमारियों को निमंत्रण
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तमाम बडे-बडे दावे हुए हवा-हवाई, शहर में साफ-सफाई की व्यवस्था का नितांत अभाव
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‘अमरावती मंडल’ की ‘ग्राऊंड रिपोर्ट’, आज ही सरकार ने जारी किये है डेंग्यू के आंकडे
अमरावती/प्रतिनिधि दि.21 – इस समय अमरावती शहर सहित जिले में जहां एक ओर जैसे-तैसे कोविड संक्रमण की समस्या पर नियंत्रण पाया गया, वहीं अब डेंग्यू व चिकनगुनिया सहित मलेरिया जैसी मच्छरों से फैलनेवाली बीमारियां पांव पसारने लगी है. खुद राज्य सरकार द्वारा बुधवार को जारी किये गये अधिकृत आंकडों के मुताबिक अमरावती जिले में डेंग्यू के 265 संदेहित मरीज है. जिसमें से 60 संदेहित अमरावती मनपा क्षेत्र से वास्ता रखते है और मनपा क्षेत्र में 18 तथा ग्रामीण क्षेत्रोें में 42 मरीजों की डेंग्यू संबंधी रिपोर्ट पॉजीटीव आ गयी है. ऐसे में सबसे बडा सवाल इस समय मनपा प्रशासन द्वारा बीमारियों को नियंत्रित करने हेतु उठाये जानेवाले कदमों को लेकर किए जा रहे दावों पर उठाया जा सकता है. यह स्थिति तब है, जब अमरावती शहर में साफ-सफाई के लिए मनपा द्वारा सालाना 40 करोड रूपयों के खर्च का प्रावधान किया जाता है और साफ-सफाई संबंधी कामकाज को लेकर बडे-बडे दावे भी किये जाते है.
विगत कुछ दिनों से जहां एक ओर मौसम काफी अजीब हो चला है और लोगबाग गरमी व उमस से हैरान-परेशान हो गये है. वहीं दूसरी ओर मच्छरों ने भी आम नागरिकों का जीना मुहाल कर रखा है. शहर के विभिन्न इलाकों में विगत पंद्रह दिनों से मच्छरों का प्रादुर्भाव अचानक ही बढ गया और इन दिनों मच्छरों की वजह से फैलनेवाली डेंग्यु, चिकनगुनिया व मलेरिया जैसी बीमारिया भी पांव पसारती दिखाई दे रही है. इन दिनों सरकारी अस्पताल सहित निजी अस्पतालों में सर्दी-खांसी और बुखार से पीडित मरीजों की संख्या काफी अधिक दिखाई दे रही है. जिनमें से अधिकांश मरीजों में डेंग्यू व चिकनगुनिया जैसी संक्रामक बीमारियों के लक्षण भी दिखाई दे रहे है. जिसके तहत अब तक अमरावती मनपा क्षेत्र में डेंग्यू के 60 संदेहित पाये जा चुके है. जिनमें से 18 की रिपोर्ट पॉजीटीव पायी गई है. वहीं दूसरी ओर जिले के ग्रामीण क्षेत्रों में अब तक 205 संदेहित पाये गये है. जिनमें से 42 में डेंग्यू रहने की पुष्टि हो चुकी है.
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मनपा क्षेत्र में 60 संदेहित, 18 पॉजीटीव
– जिले में 205 संदेहित, 42 पॉजीटीव
ऐसे में डेंग्यू व चिकन गुनिया के तेजी से पांव पसारने का अंदाजा इस बात से ही लगाया जा सकता है कि खुद राज्य सरकार द्वारा बुधवार को जारी किये गये आंकडों में बताया गया कि, अमरावती जिले में डेंग्यू के कुल 265 संदेहित है, जिनमें से अकेले अमरावती मनपा क्षेत्र में 60 संदेहित पाये गये है और 18 की रिपोर्ट पॉजीटीव आ चुकी है. वहीं जिले के ग्रामीण इलाकों में 42 लोगों की डेंग्यू संबंधी रिपोर्ट पॉजीटीव आयी है. राज्य सरकार की ओर से जारी रिपोर्ट में जो आंकडे दिखाये गये है, हकीकत में आंकडे उससे कई अधिक हो सकते है, क्योंकि सभी मरीज सरकारी अस्पतालों में इलाज करवाने के लिए नहीं जाते. ऐसे में इस खतरे को काफी अधिक माना जा सकता है.
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हंगामे से आगे बढता ही नहीं मामला
सर्वाधिक उल्लेखनीय यह है कि, महानगर पालिका गत रोज हुई आमसभा की तरह हर आमसभा में पार्षदों द्वारा साफ-सफाई को लेकर जमकर हंगामा मचाया जाता है. लेकिन खुद उन्हीं पार्षदों के वॉर्ड एवं प्रभागों में साफ-सफाई व्यवस्था का नितांत अभाव है. इस संदर्भ में बुधवार को अमरावती मंडल की टीम ने शहर के विभिन्न इलाकों का प्रत्यक्ष मुआयना किया और इस समय सामने आयी ‘ग्राऊंड रिपोर्ट’ के आधार पर कहा जा सकता है कि, समूचा शहर गंदगी के ढेर से अटा पडा है. जगह-जगह फैले कचरे और गंदगी के ढेर को देखते हुए प्रशासन से यह सवाल पूछा जाना बेहद लाजीमी है कि, आखिर साफ-सफाई के नाम पर आवंटित की जानेवाली 40 करोड रूपये की निधी कहां खर्च हो रही है. यदि यह पैसा वाकई साफ-सफाई संबंधी कामों पर ही खर्च होता, तब तो शहर चकाचक दिखाई देना चाहिए. किंतु ‘ग्राऊंड रियालीटी’ यानी जमीनी हकीकत कुछ अलग ही कहानी बयान कर रही है. शहर की पिछडी बस्तियों से लेकर संभ्रांत इलाकों में जगह-जगह फैले कचरे के ढेर जहां एक ओर स्थानीय निवासियों के लापरवाह एवं गैर जिम्मेदाराना रवैय्ये की कहानी कह रहे है. वहीं दूसरी ओर प्रशासन द्वारा किये जानेवाले दावों की पोल भी खोल रहे है.
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कोविड से भी सबक सीखने को तैयार नहीं प्रशासन
उल्लेखनीय है कि, विगत एक वर्ष से अमरावती शहर सहित जिले में कोविड संक्रमण का कहर जारी रहा और एक समय तो अमरावती शहर में कोविड संक्रमण को लेकर हालात काफी विस्फोटक भी हो गये थे. उस समय प्रशासन द्वारा बडे जोर-शोर से शहर के विभिन्न इलाकों में सैनिटाईजेशन के नाम पर फवारणी व धुवारणी करनी शुरू की गई थी. किंतु कोविड संक्रमण की दूसरी लहर के दौरान ऐसे तमाम काम लगभग ठप्प ही रहे. यद्यपि इस समय कोविड संक्रमण की दूसरी लहर का असर कुछ कम हो गया है, किंतु संभावित तीसरी लहर के खतरे का अंदेशा जताया जा चुका है. ऐसे में प्रशासन को पूरी तरह से हाईअलर्ट पर रहना जरूरी है. किंतु साफ-सफाई को लेकर शहर के हालात प्रशासन की लापरवाही को उजागर कर रहे है.
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मनपा में साफ-सफाई के लिए हैं 40 करोड के बजट का प्रावधान
बता दें कि, अकेले अमरावती शहर के लिए नालियों की साफ-सफाई, कचरा उठाने, कचरा ले जाकर फेंकने और शहर में किटनाशक दवाईयोें का छिडकाव करने के लिए अमरावती मनपा द्वारा बजट में स्वच्छता संबंधी कार्यों के नाम पर प्रतिवर्ष 40 करोड रूपयों का प्रावधान किया जाता है. वहीं यदि ग्राम पंचायत क्षेत्र, नगर पालिका व नगर पंचायत क्षेत्र तथा जिला परिषद के स्वच्छता संबंधी बजट का विचार किया जाये, तो यह राशि करीब 200 से 250 करोड के पेठे में जाती है. लेकिन बावजूद इसके अरबों रूपयों का खर्च करने पर भी साफ-सफाई संबंधी कामों के ‘बारा बजे हुए है.’
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इन इलाकों का किया गया दौरा
शहर में साफ-सफाई संबंधी कामों की जमीनी हकीकत का जायजा लेने के लिए अमरावती मंडल की टीम ने बस स्टैण्ड रोड, हमालपुरा-सायन्सकोर रोड, रूख्मिणी नगर परिसर, गांधी नगर, औरंगपुरा, माताखिडकी, हैदरपुरा कब्रस्तान, नागपुरी गेट परिसर, सराफा बाजार, तहसील कार्यालय व पशु वैद्यकीय अस्पताल परिसर, नेहरू मैदान, पुराना कॉटन मार्केट, चौधरी चौक, जाफरजीन कंपाउंड, धरमकांटा, चित्रा चौक परिसर, जवाहर रोड परिसर, पुराना कॉटन मार्केट रोड, विलास नगर, राठी नगर, शेगांव नाका परिसर, गाडगेनगर परिसर, राधा नगर व पंचवटी चौक परिसर जैसे अलग-अलग इलाकों का दौरा किया. इस दौरान अच्छी-खासी बारिश भी हो रही थी और जगह-जगह जमा कचरे के साथ-साथ कई स्थानों पर नादुरूस्त सडकों और सडकों के गढ्ढे में जमा पानी के दृश्य भी दिखाई दिये.
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कचरे और पानी के संयोग से पनपते है मच्छर
बता दें कि, खुद प्रशासन द्वारा बार-बार यह कहा जाता है कि, कहीं पर भी बारिश का पानी जमा न होने दिया जाये, क्योंकि एक ही स्थान पर जमा रहनेवाले पानी में डेंग्यू व चिकन गुनिया फैलानेवाले मच्छर पनपते है. किंतु शहर में जगह-जगह लगे कचरे के ढेर में स्वाभाविक तौर पर आसमान से होनेवाली बारिश का पानी अटका रहता है और पूरी तरह से भीगे इन्हीं कचरों के ढेर में लार्वा का प्रादूर्भाव होकर बडे पैमाने पर संक्रामक बीमारी फैलानेवाले मच्छरों की पैदावार होती है. किंतु प्रशासन का ध्यान न तो कचरा उठाने पर है और न ही जगह-जगह जमा होनेवाले पानी में कीटनाशक दवाईयों का छिडकाव करने की ओर ही है. ऐसे में कहीं न कहीं खुद प्रशासन भी इन मच्छरों की पैदावार और संक्रामक बीमारियों के प्रसार हेतु जिम्मेदार है.
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जनप्रतिनिधियों की चुप्पी भी आश्चर्यजनक
अमूमन अपने फायदे से जुडे मसलों को लेकर आसमान सिर पर उठाते हुए प्रशासन को जमकर आडे हाथ लेनेवाले जनप्रतिनिधि आम जनता की सेहत और सुरक्षा से जुडे इस मसले को लेकर पूरी तरह से ‘चिडी-चुप’ बैठे है और किसी भी पार्षद या जनप्रतिनिधि द्वारा इस विषय को लेकर प्रशासन से कोई जवाब तलबी नहीं की जा रही. जबकि गली-मोहल्लो के मुहानो पर फैले कचरे के ढेर का नंगा सच खुली और नंगी आंखों से दिखाई देता है. जिसके लिए कोई ‘स्टिंग ऑपरेशन’ या खोजी कार्य करने की जरूरत नहीं है. इन्हीं सडकों व गली-मोहल्लों से होकर सभी नगरसेवक और जनप्रतिनिधि भी रात-दिन गुजरते है, लेकिन बावजूद इसके उन्हें यह समस्या दिखाई नहीं देती. ऐसे में सवाल पूछा जा सकता है कि, क्या स्थानीय प्रशासन और जनप्रतिनिधि अमरावती में किसी नई महामारी के फैलने का इंतजार कर रहे है और क्या यह जरूरी है कि, कोई महामारी फैलने के बाद ही प्रतिबंधात्मक कदम उठाये जाये. क्या यह अच्छा नहीं होगा कि समय रहते कदम उठाकर लोगों को बीमारियो का शिकार होने से बचाया जाये. ऐसा करने से खुद स्वास्थ्य महकमे पर पडनेवाले काम के अतिरिक्त बोझ को कम किया जा सकता है. साथ ही साथ इस पर होनेवाले खर्च को भी बचाया जा सकता है. अत: यह बेहद जरूरी है कि, संक्रामक महामारी फैलने के बाद किये जानेवाले खर्च को पहले ही साफ-सफाई संबंधी कामों पर खर्च किया जाये, ताकि लोगों को संभावित परेशानियों से बचाया जाये और खुद प्रशासन भी बेवजह की परेशानी व दौडभाग से बच सके. साथ ही साथ आम नागरिकों की सेहत और जान भी सुरक्षित रह सके.
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दो वर्ष पूर्व भी डेंग्यू व चिकनगुनिया ने ढाया था कहर
याद दिला दें कि वर्ष 2018 में भी बारिश के मौसम दौरान डेंग्यू व चिकनगुनिया जैसी बीमारियों ने अमरावती शहर में अच्छा-खासा कहर ढाया था और उस समय इस बीमारी से कई लोगों की जान भी गई थी. उस समय भी दैनिक अमरावती मंडल ने व्यापक जनहित के मद्देनजर इसके खिलाफ समाचारों की श्रृंखला प्रकाशित की थी. जिसके बाद स्थानीय प्रशासन हडबडाकर जागा था. साथ ही तत्कालीन जिला पालकमंत्री प्रवीण पोटे पाटील ने खुद समूचे शहर का पैदल दौरा किया था और अपने जनसंपर्क कार्यालय में जनता दरबार आयोजीत करते हुए इस विषय को लेकर प्रशासन को जमकर आडे हाथ लिया था. तब कही जाकर हालात कुछ हद तक नियंत्रित हुए थे. इस समय भी संक्रमण के मौजूदा खतरे को देखते हुए कुछ इसी तरह के कदम उठाये जाने बेहद जरूरी है.
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कचरे का हर एक ढेर है भ्रष्टाचार का सबूत
यहां यह कहना कतई अतिशयोक्ती नहीं होगा कि, शहर में साफ-सफाई के कामों के लिए आवंटित होनेवाली रकम की जमकर बंदरबांट हो रही है और साफ-सफाई संबंधी कामों पर ‘तेरी भी चुप-मेरी भी चुप’ वाली नीति पर काम किया जा रहा है. कहने को शहर के सभी वॉर्डों व प्रभागों में साफ-सफाई के कामों का ठेका दिया गया है. किंतु शहर के गली-मोहल्लों व सडकों की साफ-सफाई करने की बजाय ठेकेदारों द्वारा स्वच्छता संबंधी कामों के नाम पर केवल कागजी खानापूर्ति की जा रही है और बिना कोई काम किये मनपा की तिजोरी को ‘साफ’ किया जा रहा है. इस काम में मनपा के कई अधिकारियों के साथ-साथ खुद जनप्रतिनिधियों की ‘भागीदारी’ से इन्कार नहीं किया जा सकता. इस बात को भी अनदेखा नहीं किया जा सकता है कि, मनपा की आमसभा में अक्सर ही साफ-सफाई के ठेके को लेकर ही हंगामा मचता है. किंतु आज तक किसी भी नगर सेवक द्वारा इस बात को लेकर आवाज नहीं उठाई गई कि, उनके प्रभाग में साफ-सफाई सही ढंग से नहीं हो रही है. जबकि हकीकत यह है कि सभी पार्षदों के प्रभागों में साफ-सफाई व्यवस्था का जमकर बैण्ड बजा हुआ है. बावजूद इसके कोई भी इसे लेकर आवाज नहीं उठा रहा और यहीं चुप्पी शहरवासियों पर डेंग्यू व चिकन गुनिया की बीमारी के रूप में कहर बनकर टूटेगी.