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जिला मध्यवर्ती सहकारी बैंक का होगा फॉरेन्सीक ऑडिट

म्युच्युअल फंड में निवेश की रकम 700 करोड से अधिक रहने का अंदेशा

  •  कई नये नाम भी आ सकते है सामने, मामले में हो सकता है नया खुलासा

  • 11 आरोपियों में से 4 को मिली जमानत, 3 की याचिका खारिज, 2 अब भी फरार

अमरावती/प्रतिनिधि दि.14 – किसानों की अपनी बैंक कही जाती जिला मध्यवर्ती सहकारी बैंक इन दिनों कमिशन घोटाले की वजह से लगातार चर्चा में बनी हुई है. इस बैंक द्वारा म्युच्युअल फंड में करीब 700 रूपये का निवेश किया गया था. जिसकी ऐवज में 3.39 करोड रूपयों की कमिशनखोरी बैंक के ही कुछ अधिकारियों तथा ब्रोकर्स ने आपस में मिलीभगत करते हुए की थी. जिसे लेकर बैंक पर नियुक्त प्रशासक संदीप जाधव ने सिटी कोतवाली थाने में शिकायत दर्ज करायी थी. जिसके आधार पर बैंक के तत्कालीन मैनेजिंग डाईरेक्टर जयसिंह राठोड व कर्मचारी राजेंद्र कडू सहित कुल 11 लोगों के खिलाफ अपराध दर्ज किया गया था. साथ ही मामले की जांच आर्थिक अपराध शाखा को सौंपी गई थी. वहीं अब इस मामले की तह तक जाने हेतु आर्थिक अपराध शाखा द्वारा इस पूरे व्यवहार का फॉरेन्सीक ऑडिट करवाये जाने का निर्णय लिया गया है. जिसके तहत निवेश करने के पहले दिन से लेकर दलाली की रकम मिलने तक हुए व्यवहार और इस रकम से किसे कितना लाभ हुआ, इसकी जानकारी सामने आयेगी. इसके साथ ही यह संभावना भी बनती दिखाई दे रही है कि, अब इस मामले में ‘कमीशन लाभार्थियों’ की संख्या बढ सकती है तथा कई नये खुलासे भी हो सकते है.
वहीं अब तक आर्थिक अपराध शाखा द्वारा की गई जांच में यह अंदेशा भी सामने आया है कि, शायद जिला मध्यवर्ती सहकारी बैंक द्वारा केवल 700 करोड रूपये ही नहीं, बल्कि इससे कही अधिक की राशि म्युच्युअल फंड में निवेश की गई है. यदि यह अंदेशा सच साबित होता है, तो कमिशन की रकम भी बढना तय है और कमिशन के ‘लाभार्थियों’ की संख्या भी बढ सकती है.
बता दें कि, इस मामले में ब्रोकर की भूमिका निभानेवाले राजेंद्र गांधी, नीता गांधी, पुरूषोत्तम रेड्डी तथा शिवकुमार गट्टाणी को अदालत द्वारा पहले ही जमानत दी गई है. वहीं बैंक के तत्कालीन सीईओ जयसिंह राठोड की गिरफ्तारी पूर्व जमानत अर्जी को अदालत द्वारा खारिज किया गया था और गत रोज निप्पॉन कंपनी के शाखा व्यवस्थापक अजीतपालसिंह मोंगा की भी अग्रीम जमानत याचिका को रद्द कर दिया गया. ऐसे में पुलिस अब तीनों आरोपियों की तलाश कर रही है. इसके अलावा दो अन्य आरोपियों को भी खोजा जा रहा है.

  •  मोंगा के संपर्क में आये लोगोें पर नजर

इस बारे में जानकारी देते हुए आर्थिक अपराध शाखा के पीआई शिवाजी बचाटे ने बताया कि, इस मामले के फॉरेन्सीक ऑडिट के लिए विभागीय सहनिबंधक को पत्र भेजा गया है. क्योंकि आर्थिक व्यवहार से संबंधित जिला बैंक का यह मामला अपने आप में काफी क्लिष्ट है. इसके अलावा निप्पॉन कंपनी के शाखा व्यवस्थापक अजीतपालसिंह मोंगा के संपर्क में कौन-कौन लोग थे, इसकी भी विस्तृत जांच की जा रही है और उन सभी लोगों की भी ‘झिरोइंग’ की जा रही है.

  •  2017 से चल रहा निवेश का सिलसिला

जानकारी के मुताबिक जिला मध्यवर्ती सहकारी बैंक द्वारा वर्ष 2017 से निप्पॉन कंपनी के जरिये म्युच्युअल फंड में करोडों रूपयों का निवेश किया जा रहा है. जिसमें काफी हद तक आरबीआई व नाबार्ड के दिशानिर्देशों का उल्लंघन भी किया गया. आरबीआई के नियमानुसार बैंक द्वारा अपने कुल लाभांश की दस फिसदी रकम भी कहीं बाहर निवेश की जा सकती है, लेकिन जिला मध्यवर्ती सहकारी बैंक द्वारा कुल लाभांश के 35 फीसदी से अधिक रकम का निवेश किया गया. साथ ही नियमानुसार ऐसे निवेश में किसी भी तरह का ब्रोकरेज नहीं दिया जा सकता और बैंक तथा म्युच्युअल फंड कंपनी के बीच सीधा व्यवहार करना होता है. लेकिन इसके बावजूद जिला बैंक द्वारा किये गये निवेश की ऐवज में ब्रोकर्स द्वारा 3 करोड 39 लाख 23 हजार 319 रूपये का कमिशन कमाया गया. यह भी एक तरह से नियमों व निर्देशों का उल्लंघन है. जिसे लेकर बैंक के प्रशासक संदीप जाधव ने पुलिस में शिकायत दर्ज करायी थी.जिसके पश्चात मामले में कार्रवाई आगे बढी तथा 11 लोगों के खिलाफ अपराधिक मामले भी दर्ज हुए.

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