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कोरोना पॉलीसी में क्लेम का चल रहा फर्जीवाडा
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पॉलीसी क्लेम करने रैपीड एंटीजन टेस्ट की रिपोर्ट निकाली जा रही जानबुझकर पॉजीटिव
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पुरानी पॉलीसियों को कैश करने के साथ ही नजदीकी लोगोें को नई पॉलीसी निकालने कहा जा रहा
अमरावती प्रतिनिधि/दि.१५– अमूमन कहा जाता है कि, डॉक्टर भगवान का रूप होते है और इस बात को कोरोना काल के दौरान काफी प्रखरता और शिद्दत के साथ महसूस भी किया गया, लेकिन कुछ लोग ऐसे भी होते है, जो अपने कामों की वजह से समाज की इस सोच को गलत साबित करते हुए अपने पेशे और अपनी बिरादरी को बदनाम करते है. ऐसा ही एक मामला अमरावती में उजागर हुआ है. जिसमें शहर के एक ख्यातनाम डॉक्टर ने कोरोना पॉलीसी के क्लूेम को कैश करने के लिए और पैसा बनाने के लिए अपनी ही तरह का एक बडा अजीबोगरीब गोरखधंधा शुरू किया है और ‘आपदा में अवसर’ को अपने ढंग से समझते हुए मौके का भरपूर फायदा उठाया जा रहा है.
बता दें कि, इस समय चहुंओर कोरोना संक्रमण को लेकर जबर्दस्त भय व्याप्त है और हर कोई अपने व अपने परिवार की सुरक्षा चाहता है. इस बात को ध्यान में रखते हुए कई निजी व सामान्य (जनरल) बीमा कंपनियों ने कोरोना कवर पॉलीसी उपलब्ध करायी थी, जो मेडिक्लेम पॉलीसी की तरह थी. जिसे लेने के बाद कोई भी व्यक्ति इस बात को लेकर आश्वस्त हो सकता है कि, अगर उसे कोरोना हो जाता है, तो उसे बीमा कंपनी द्वारा इलाज का खर्च उपलब्ध कराने के साथ ही उसके परिवार को आर्थिक सुरक्षा भी प्रदान की जायेगी. जिसके चलते शहर में हजारों लोगोें ने अपनी-अपनी पसंद और जरूरत के अनुरूप अलग-अलग बीमा कंपनियों से कोरोना कवर पॉलीसी खरीदी, ताकि उन्हें इस पॉलीसी के जरिये आर्थिक सुरक्षा कवच मिल जाये.
उल्लेखनीय है कि, विगत मार्च-अप्रैल माह से समूचे देश में कोरोना संक्रमण ने पांव पसारने शुरू किये थे और उतनीही तेजी से कोरोना को लेकर डर फैलना शुरू हुआ था. ऐसे में लोगों के इसी डर का फायदा उठाते हुए कई सामान्य बीमा कंपनियों ने अलग-अलग नामों से दो-तीन तरह की कोरोना कवर पॉलीसी मार्केट में उपलब्ध करायी और अप्रैल, मई व जून माह के आसपास ये पॉलिसिया लॉकडाउन जारी रहने के बावजूद बडे धडल्ले के साथ बिकी. इन पॉलिसियों की अवधि मात्र 9 माह की थी. इसके बाद ही अक्ल का बडी अकलमंदी के साथ प्रयोग करनेवाले लोगों ने अपना खेल दिखाना शुरू किया. जिसके तहत शहर के एक ख्यातनाम डॉक्टर ने बाकायदा पार्टनरशिप की तर्ज पर कोरोना कवर पॉलीसी लेनेवाले लोगों के साथ संपर्क करते हुए बडा शानदार फर्जीवाडा शुरू किया. इसमें इस डॉक्टर से जुडे हुए लोग कोरोना कवर पॉलीसी लेनेवाले अपने परिचित एवं जान-पहचान के दायरे में रहनेवाले लोगों से संपर्क करते हुए उन्हें एक बडी शानदार ऑफर दी गई. जिसमें कहा गया कि, अगर वे इस डॉक्टर के यहां अपनी रैपीड एंटीजन टेस्ट करवाते है, तो उनकी रिपोर्ट को जानबूझकर पॉजीटिव दर्शाया जायेगा और इस जरिये वे अपनी पॉलीसी की रकम का क्लेम कर सकेंगे. जिसमें से कुछ हिस्सा उन्हें डॉक्टर को देना होगा और बाकी रकम वे अपने पास रख सकेंगे. घर बैठे बिना कुछ किये करीब एक से डेढ लाख रूपये कमाने का यह शानदार मौका था. जिसका शहर के कई लोगों ने इस डॉक्टर के साथ मिलकर जबर्दस्त फायदा उठाया. ऐसी हमारे पास पुख्ता जानकारी है.
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दो तरह की थी कोरोना कवर पॉलीसी
बता दें कि, कई बीमा कंपनियों द्वारा कोरोना कवर को लेकर जो अलग-अलग पॉलीसी बेची गयी थी, उसके मुख्यत: दो प्रकार थे. पहले प्रकारवाली पॉलीसी में पॉलीसी खरीदनेवाले व्यक्ति को लगभग 6 से 7 हजार रूपये भरने थे, और यदि नौ माह के भीतर उसकी रिपोर्ट पॉजीटिव आ जाती है, तो उसे सीधे-सीधे दो से ढाई लाख रूपये का क्लेम मिलना तय था. वहीं दूसरी तरह की पॉलीसी में पॉलीसीधारक को डेढ हजार से चार हजार रूपये तक एकमुश्त भरने थे. और यदि नौ माह के भीतर उसकी कोरोना टेस्ट रिपोर्ट पॉजीटिव आती तथा वह इलाज के लिए अस्पताल में भरती होता है, तो उसके इलाज का पूरा खर्च बीमा कंपनी द्वारा उठाया जाना था. अप्रैल से जून माह के दौरान ये पॉलिसियां तो धडल्ले से बिकी ही, लेकिन जब जुलाई माह से कोरोना संक्रमण की रफ्तार ने जोर पकडना शुरू किया, तो उसी तेजी के साथ इन पॉलीसियोें की बिक्री भी बढ गयी. साथ ही अब जब कोरोना संक्रमितों की संख्या घट गयी है, तो कई कंपनियों ने भी अपनी कोरोना कवर पॉलीसी को बेचना बंद कर दिया है. साथ ही जिन कंपनियों की पॉलीसी चल रही है, अब उन्हें कोई नहीं खरीद रहा.
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ऐसे शुरू हुआ फर्जीवाडा
जहां एक ओर लोगबाग अपनी आर्थिक सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए धडाधड कोरोना कवर पॉलीसी खरीद रहे थे, वहीं कुछ लोगों को इसमें भी कमाई का अवसर दिख गया और पैसा कमाने के लिए एक शानदार आयडीया निकाला गया. जिसके तहत शहर के एक ख्यातनाम डॉक्टर ने अपने अस्पताल में रैपीड एंटीजन टेस्ट कीट उपलब्ध कराते हुए लोगों की कोरोना टेस्टींग करनी शुरू की. जहां पर कोविड टेस्ट कराने हेतु आनेवाले लोगों को खुली ऑफर दी जाती थी कि, वे कोरोना कवर पॉलीसी ले ले और उनकी रिपोर्ट को जानबूझकर पॉजीटिव दर्शाया जायेगा. इसके बाद वे अपनी पॉलीसी की रकम को क्लेम कर सकेंगे. हालांकि इसके लिए उन्हें क्लेम की रकम में से एक निश्चित हिस्सा डॉक्टर को देना होगा. लॉकडाउन व कोरोना काल के दौरान बिना बीमार पडे घर बैठे पैसा कमाने का इससे बेहतरीन मौका नहीं हो सकता था, जिसका कई लोगों ने जमकर फायदा उठाया. साथ ही ऐसा करते हुए इस डॉक्टर ने भी जबर्दस्त चांदी काटी.
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कोविड हॉस्पिटल भी चला चुका है ‘वो’ डॉक्टर
यहां यह विशेष उल्लेखनीय है कि, कोरोना कवर पॉलीसी में लोगों को घर बैठे पैसा कमाने का अवसर उपलब्ध करानेवाला इस डॉक्टर का अस्पताल शहर के बेहद संभ्रांत इलाके में स्थित है. जिसकी जिला सामान्य अस्पताल से दूरी आधे किमी के आसपास है. साथ ही इस डॉक्टर द्वारा कोरोना काल के दौरान शहर में निजी कोविड अस्पताल भी चलाया गया. जो अब बंद हो चुका है. लेकिन जब तक यह कोविड अस्पताल चलता रहा, तब तक यहां पर सबसे अधिक भीडभाडवाला माहौल रहा, और इस अस्पताल में चलनेवाले इलाज और वहां की फीस को लेकर भी काफी संदेहवाला माहौल देखा जा रहा था. क्योेंकि इस अस्पताल में जहां एक ओर धडल्ले से मरीजों को भरती किया जा रहा था, वहीं दूसरी ओर इन मरीजों को मात्र चार-पांच दिन के इलाज पश्चात डिस्चार्ज भी दिया जा रहा था. इन चार-पांच दिनों के इलाज का बिल डेढ से दो और ढाई लाख रूपये तक बन रहे थे. ऐसे में संदेह तो तभी हो गया था कि, आखिर मात्र चार-पांच दिन में दो-ढाई लाख रूपये का ऐसा कौनसा इलाज किया जा रहा है. लेकिन अब समझ में आ रहा है कि, उस निजी कोविड अस्पताल में भी लगभग आधे मरीज ऐसे भरती किये गये थे, जिनकी बीमा पॉलीसी को क्लेम किया जाना था. और इस क्लेम के लिए कई पॉलीसीधारकों को जानबूझकर कोरोना पॉजीटिव बताया गया था. शायद यह भी एक वजह रही कि, अगस्त और सितंबर माह में अचानक ही कोरोना पॉजीटिव पाये जानेवाले मरीजों की संख्या बेतहाशा बढ गयी थी.
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पॉलीसी है तो भी ठीक, नहीं है तो भी ठीक
जानकारी के मुताबिक जिन लोगों के पास पहले से कोरोना कवर पॉलीसी उपलब्ध थी, उन्हें तो इस फर्जीवाडे में शामिल किया ही गया. साथ ही इस डॉक्टर द्वारा अपने कई नजदिकी और परिचित लोगों को इस बात के लिए प्रेरित किया गया कि, वे कोरोना कवर पॉलीसी खरीदने और उसके बाद उसके अस्पताल में आकर अपनी रैपीड एंटीजन टेस्ट करवाये. जिसकी रिपोर्ट जानबूझकर पॉजीटिव ही दर्शायी जायेगी और उन्हें इस डॉक्टर द्वारा चलाये जानेवाले कोविड अस्पताल में नाममात्र के लिए भरती करते हुए बाद में होम आईसोलेशन में रहने हेतु डिस्चार्ज देकर घर भेज दिया जायेगा. सूत्रों के मुताबिक इस डॉक्टर ने जनरल इंशुरन्स कंपनी के कुछ लोगों से संपर्क करते हुए कोरोना कवर पॉलीसी लेनेवाले लोगों का डेटा भी हासिल किया था और अपनी टीम के जरिये ये पॉलीसी लेनेवाले लोगों से क्लेम का लालच दिखाते हुए संपर्क करना शुरू किया गया था.
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कंपनियां हुई अर्लट, पॉलीसी हुई बंद
पहले तो यह माना जा रहा था कि, सितंबर माह में कम्युनिटी स्प्रेड की स्थिति बन गयी है, लेकिन जब बीमा कंपनियों के पास एक के बाद एक क्लेम धडाधड पहुंचने शुरू हुए तो इन कंपनियों के भी कान खडे हो गये और दावों के निपटारे की प्रक्रिया को कुछ अधिक सख्त किया गया. जिसके तहत पहले जहां केवल कोरोना पॉजीटिव पाये जाने की रिपोर्ट के आधार पर ही कोरोना कवर पॉलीसी का क्लेम दिया जा रहा था. वहीं बाद में एंटीबॉडी टेस्ट की रिपोर्ट पेश करना भी अनिवार्य किया गया. जिसमें अधिकांश फर्जी क्लेमधारक और तथाकथित मरीज नाकाम रहे. वहीं दूसरी ओर कुछ बीमा कंपनियों ने अपनी कोरोना कवर पॉलीसियों को बंद भी कर दिया.
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क्या आयएमए खुद ‘उस’ डॉक्टर के खिलाफ उठायेगा कदम
अमूमन यदि किसी डॉक्टर के खिलाफ कोई खबर प्रकाशित होती है, तो आयएएम तुरंत ही उस डॉक्टर के समर्थन में खडे होकर लामबंद होना शुरू कर देता है और उस खबर का विरोध करना शुरू किया जाता है. कोरोना कवर पॉलीसी में फर्जीवाडा करनेवाले डॉक्टर ने दैनिक अमरावती मंडल के एक कर्मचारी को भी क्लेम पार्टनरशिप की ऑफर दी थी. जिसकी मोबाईल कॉल रिकॉर्डिंग हमारे पास है. साथ ही हमने अपनी पडताल में कई अन्य सबूत भी जुटाये है. ऐसे में हम आयएमए के पदाधिकारियों व सदस्यों से आवाहन करते है कि, वे दैनिक अमरावती
मंडल के कार्यालय में आकर उन सबूतों को अपनी आंखों से देखे और कानों से सुने. साथ ही हमारी आयएमए से यह अपेक्षा भी है कि, वैश्विक महामारी काल के दौरान इस घिनौने काम के जरिये अपने पेशे के साथ ही अपने हमपेशा लोगों को बदनाम करनेवाले ‘उस’ डॉक्टर के खिलाफ खुद आयएमए शिकायत दर्ज कराये, तथा उस डॉक्टर का रजिस्ट्रेशन कैन्सल करने का भी कदम उठाया जाये. उम्मीद की जा सकती है कि, आयएमए इस मामले में स्वसंज्ञान लेकर समूचित कदम उठायेगा.