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सरकारी कामकाज में बाधावाले इल्जाम से डॉ. देशमुख बरी

विधानसभा चुनाव के दौरान राजापेठ पुलिस ने दर्ज किया था मामला

अमरावती/प्रतिनिधि दि.२०  – वर्ष २०१४ में विधानसभा चुनाव के दौरान चुनाव प्रचार की अवधि खत्म होने के बाद भी एक स्थान पर चुनाव प्रचार जारी रहने की शिकायत मिलने के बाद जांच करने हेतु पहुंचे पुलिस दल के साथ वाद-विवाद करते हुए सरकारी कामकाज में बाधा उत्पन्न करने के आरोप से भाजपा प्रत्याशी व पूर्व विधायक डॉ. सुनील देशमुख को स्थानीय अदालत ने आरोपमुक्त करते हुए दोषमुक्त कर दिया.
इस मामले में मिली जानकारी के मुताबिक वर्ष २०१४ में १५ अक्तूबर को विधानसभा चुनाव हेतु मतदान होना था. इससे पहले १३ अक्तूबर की शाम ६ बजे चुनाव प्रचार रोकने का आदेश निर्वाचन आयोग द्वारा जारी किया गया था. साथ ही तत्कालीन पुलिस आयुक्त सुरेश मेकला ने सभी पुलिस थाना क्षेत्रों में गश्त बढाते हुए इस आदेश का उल्लंघन करनेवाले लोगों के खिलाफ कार्रवाई करने का आदेश दिया था. पश्चात राजापेठ पुलिस थाने के पुलिस निरीक्षक किशोर सावली व पीएसआई ढोके व डेंडवाल को पुलिस नियंत्रण कक्ष से जानकारी मिली कि, रूख्मिनी नगर के पास बापटवाडी स्थित अहिल्या मंगल कार्यालय में चुनाव प्रचार से संबंधित गतिविधि चल रही है. पश्चात रात ८ बजे पुलिस दल वहां पहुंचा. इस समय वहां पर मौजूद दिलीप मुदलीयार नामक शख्स से पूछताछ करने पर जवाब मिला कि, यहां पार्टी कार्यकर्ताओं का गेट टू गेदर चल रहा है.
इस समय जब पुलिस ने उस व्यक्ति को मंगल कार्यालय के सामने लगाया गया पार्टी का चुनाव चिन्ह हटाने कहा तो उस व्यक्ति ने ऐसा करने से मना कर दिया. इसी समय एक अन्य कार क्रमांक एमएच २७/एसी ७९९९ से कुछ लोग वहां पहुंचे. जिसमें से सुनिल पंजाबराव देशमुख नामक व्यक्ति ने पुलिसवालों से वादविवाद करते हुए उनके काम में बाधा उत्पन्न की. जिसके चलते पीआय सावली ने सुनिल देशमुख के खिलाफ अपराध दर्ज किया और मामले को लेकर अदालत में चार्जशीट पेश की. जहां पर दोनों पक्षों का युक्तिवाद सुनने के बाद न्या. एस. ए. देशपांडे की अदालत ने डॉ. सुनिल देशमुख को इस मामले से आरोप मुक्त करते हुए बाइज्जत बरी कर दिया और इस मामले को खारिज कर दिया. इस मामले में बचाव पक्ष की ओर से एड. अनिल विश्वकर्मा ने सफलतापूर्वक पैरवी की. जिन्हें एड. अनिरूध्द लड्ढा व एड. पूजा उपाध्याय ने अदालती कामकाज में सहयोग दिया.

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