डॉ. गोडे कोविड हॉस्पिटल शुरुआत में ही विवादों से घिरा
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कोरोना संक्रमित मरीज को बिना इलाज के अस्पताल से निकाला
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इर्विन अस्पताल के पास फ्लाय ओवर के नीचे सोया मिला नागपुर निवासी मरीज
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गोडे कॉलेज का निजी कोविड अस्पताल का कामकाज सवालों के घेरे में
अमरावती/प्रतिनिधि दि.१६ – समिपस्थ मार्डी रोड स्थित डॉ. राजेंद्र गोडे कॉलेज कैम्पस परिसर के आयुर्वेदिक कॉलेज में डॉ. नितीन सोनोने, डॉ. जयराज किटूकले व डॉ. विनित साबु द्बारा शुरु किया गया निजी कोविड अस्पताल अपने शुरुआती दौर में ही विवादों के घेरे में फसता दिखाई दे रहा है. और इस अस्पताल के कामकाज को लेकर सवालिया निशान उठ रहे है. बता दें कि, गत रोज नागपुर निवासी एक कोरोना संक्रमित मरीज को इस अस्पताल में इलाज हेतु भर्ती कराया गया था. जो बुधवार की सुबह जिला सामान्य अस्पताल के पास फ्लाय ओवर के नीचे उसके परिजनों द्बारा बरामद किया गया. यह अपने आप में एक बेहद हैरतअंगेज व सनसनीखेज मामला है. साथ ही इस मरीज ने जिलाधीश शैलेश नवाल के नाम जारी किये गये पत्र में इन तीनों डॉक्टरों द्बारा चलाये जा रहे निजी कोविड अस्पताल के खिलाफ बेहद संगीन आरोप लगाये है.
इस संदर्भ में मिली जानकारी के मुताबिक नागपुर से राज्यसभा सांसद रहने वाले अजय संचेती के यहा बतौर अभियंता काम करने वाले मुकेश व्यास नामक व्यक्ति अपनी कोरोना टेस्ट रिपोर्ट पॉजिटिव आने पर वह इलाज हेतु मार्डी रोड स्थित डॉ. गोडे कॉलेज में शुरु किये गये निजी कोविड अस्पताल में भर्ती होने हेतु पहुंचा. मुकेश व्यास के मुताबिक व मंगलवार की शाम ६.४५ बजे इस अस्पताल में भर्ती हुआ और अस्पताल प्रबंधन द्बारा उससे ३० हजार रुपए हॉस्पिटल चार्जेस व २० हजार रुपए मेडिकल चार्जेस लेते हुए उसे रुम नंबर १६ में शेयरिंग अॅडमिशन दिया गया. जहां उसके बेड के उपर फैन नहीं था. अॅडमिट होने के कुछ देर बाद वहां पर डॉ. नितीन सोनोने आये और उन्होंने ड्यूटी पर तैनात सिस्टर को कुछ दवाईयां बताई और चले गये. सिस्टर से एक घंटे तक पानी मांगने के बाद सिस्टर ने बताया कि, मेडिकल में आपका पैसा जमा नहीं हुआ अत: तुम्हे दवाई और पानी नहीं दी जा सकती. जबकि मेडिकल के २० हजार रुपए अडमिट होने के पहले ही जमा करा दिये गये थे. जिसकी रसीद नहीं दी गई थी. पश्चात २ घंटे बाद दवाई आयी और रात ९.३० बजे के आसपास डॉ. जयराज किटूकले राउंड पर आये, इसके बाद रात १० बजे डॉ. विनित साबू ने भी राउंड किया. इन सभी डॉक्टरों से मुकेश व्यास ने समय पर भोजन व पानी उपलब्ध कराने और पंखे की व्यवस्था करने की मांग की. पश्चात रात १०.३० बजे उन्हें भोजन उपलब्ध कराया गया. लेकिन कमरे में पंखे की व्यवस्था नहीं की गई. जिसकी वजह से मुकेश व्यास कॉरिडोअर में जाकर एक टेबल पर पंखे के नीचे लैट गया. इस बीच मुकेश व्यास रात में दो बार बाथरुम की ओर भी गया जहां पर पूरी तरह से पानी भरा हुआ है और वहां फिसलकर कोई भी मरीज गिर सकता है. मुकेश व्यास के मुताबिक देर रात तक उन्हें न तो कोई सलाईन लगाई गई और ना ही गरम पानी या भाप ही दी गई. इस बारे में शिकायत करने पर अस्पताल के डॉक्टरों का कहना रहा कि, अभी इस कोविड सेंटर को खूले हुए ३ दिन ही हुये है और व्यवस्थाएं होने में थोडा वक्त लगेगा. जिस पर मुकेश व्यास ने उन्हें जवाब दिया कि, जब आप पैसा गाईड लाइन के हिसाब से ले रहे है तो इलाज भी गाईड लाइन के हिसाब से दिजिए, यह सुनते ही डॉ. साबू ने मुकेश व्यास का भर्ती कार्ड कैंसल करने और उन्हें अस्पताल से निकाल देने का फरमान जारी किया और उन्हें रात में ही मार्डी रोड के जंगल में स्थित अस्पताल से बाहर निकाल दिया गया. जिसके बाद वे जैसे-तैसे अमरावती पहुंचे और इस दौरान उन्होंने नागपुर निवासी अपने परिवार को भी इस संदर्भ में सूचित किया. जिसके बाद उनका परिवार तुरंत ही बुधवार की सुबह अमरावती पहुंचा और उन्हें अपने साथ लेकर गया.
मरीज ने खूद मांगा था डिस्चार्ज
इस संदर्भ में जानकारी हेतु संपर्क किये जाने पर डॉ. विनित साबू ने यह तो स्विकार किया कि, चूंकि अभी उनके निजी कोविड अस्पताल को शुरु हुये ३-४ दिन ही हुये है. अत: सभी व्यवस्थाओं को पूरी तरह से लाइन अप नहीं किया जा सका है. जिसके लिए तमाम प्रयास किये जा रहे है. वहीं उन्होंने कहा कि, मुकेश व्यास नामक मरीज की इलाज एवं व्यवस्था को लेकर काफी अधिक शिकायतें थी. और उन्होंने खूद ही अस्पताल से डिस्चार्ज मांगा था. जिसके चलते उनके द्बारा भरा गया पूरा पैसा उन्हें लौटाते हुए उनका अडमिड कार्ड कैंसल कर दिया गया, ताकि उन्हें एक दिन का पैसा भी न भरना पडे. लेकिन डॉ. विनित साबू के पास इस सवाल का कोई जवाब नहीं था कि, मुकेश व्यास नामक उस कोरोना संक्र्रमित मरीज को यूं ही डिस्चार्ज देकर ्नयों छोड दिया गया और उसे सरकारी कोविड अस्पताल में अडमिट करने हेतु रेफर ्नयों नहीं किया गया.