कुलगुरु पद को कलंकित कर रहे डॉ. प्रमोद येवले
पत्रवार्ता में नूटा पदाधिकारियों ने लगाया आरोप
* कलंकित वर्तन की जांच कर कार्रवाई करने की मांग भी उठाई
अमरावती/दि.3 – संत गाडगे बाबा अमरावती विद्यापीठ के प्रभारी कुलगुरु डॉ. प्रमोद येवले लगातार विद्यापीठ के अधिनियमों व अदालती निर्देशों का उल्लंघन करते हुए नियमबाह्य व्यवहार कर रहे है. यह बात हाईकोर्ट के सामने भी स्पष्ट हो चुकी है. साथ ही यह भी साफ हो चुका है कि, प्रभारी कुलगुरु प्रमोद येवले ने राजभवन को सिनेट की रचना के बारे में गलत जानकारी दी है. ऐसे में इस कलंकित वर्तन की जांच करने के साथ ही प्रभारी कुलगुरु डॉ. प्रमोद येवले के खिलाफ नियमानुसार कार्रवाई की जाए, इस आशय की मांग नागपुर युनिवर्सिटी टीचर्स एसोसिएशन (नूटा) द्बारा यहां बुलाई गई पत्रकार परिषद में की गई.
इस पत्रवार्ता में नूटा के अध्यक्ष डॉ. प्रवीण रघुवंशी, उपाध्यक्ष डॉ. विवेक देशमुख व सहसचिव डॉ. नितिन चांगोेले ने कहा कि, अमरावती विद्यापीठ में प्रभारी कुलगुरु के तौर पर 3 मार्च को डॉ. प्रमोद येवले ने अपना पदभार संभाला था. उस समय तक 4 मार्च को विद्यापीठ की सिनेट सभा होने की बात तय हो गई थी और सिनेट की पुनर्रचना पूर्ण होने का नोटीफिकेशन भी विद्यापीठ के गेजेट में 21 जनवरी को प्रकाशित हो चुका था, लेकिन उसके बावजूद प्रभारी कुलगुरु डॉ. प्रमोद येवले ने अपने वरिष्ठों को बताया कि, सिनेट की रचना अब तक पूर्ण नहीं हुई है और यह बात अदालत से भी छिपाकर रखी, ताकि सिनेट की चुनावी सभा को आगे ढकेला जा सके. जिसमें से सफल भी रहे. इसके पश्चात अदालत ने 10 मार्च को हुई सुनवाई के दौरान प्रभारी कुलगुरु डॉ. प्रमोद येवले को कडी फटकार लगाते हुए अपने व्यवहार में सुधार करने का निर्देश दिया. लेकिन इसके बावजूद भी डॉ. प्रमोद येवले के व्यवहार में कोई सुधार नहीं हुआ. 14 मार्च को सभी कानूनी बातों की पूर्तता करते हुए सिनेट की बजट बैठक तत्कालीन कुलगुरु द्बारा बुलाई गई थी. जिसमें विषय क्रमांक तीन से विषय रखे गए और पहले व दूसरे क्रमांक पर रहने वाले चुनाव संबंधित विषयों को प्रभारी कुलगुरु ने इस बैठक में नहीं रखा. जिसके चलते उच्च न्यायालय के निर्देश पर 14 मार्च की बैठक में प्रभारी कुलगुरु की क्रमांक एक व दो के विषय सिनेट की बैठक में रखने पडे. इस पूरे मामले से यह स्पष्ट है कि, प्रभारी कुलगुरु डॉ. प्रमोद येवले ने अपने अधिकारों का दुरुपयोग सिनेट की चुनावी सभा को उध्वस्त करने के लिए किया और उनके इस व्यवहार से कुलगुरु पद कलंकित हुआ है. अत: पूरे मामले की जांच करते हुए प्रभारी कुलगुरु डॉ. प्रमोद येवले पर कार्रवाई की जानी चाहिए.