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जिले में शिवसेना पर लगा काल का ग्रहण

  •  दो वर्ष में चार बडे नेताओं का हुआ अवसान

  •  शिवसेना की अग्रीम पंक्ति हुई रिक्त

अमरावती/प्रतिनिधि दि.8 – विगत डेढ-दो वर्ष के दौरान अमरावती जिले में शिवसेना के चार बडे व कद्दावर नेताओं का निधन हुआ है. जिनमें पूर्व विधायक संजय बंड, पूर्व जिला प्रमुख सोमेश्वर पुसदकर, पूर्व शहर प्रमुख अमोल निस्ताने तथा गत रोज दिवंगत हुए शिवसेना के पूर्व जिला प्रमुख दिनेश उर्फ नाना वानखडे का समावेश है. वहीं इससे कुछ अर्सा पहले मनपा के पूर्व उपमहापौर दिगंबर डहाके भी दिवंगत हुए थे. इन सभी नेताओं का अमरावती शहर सहित जिले में शिवसेना को स्थापित करने के साथ ही पार्टी को संगठनात्मक रूप से मजबूत व विस्तारित करने में बेहद महत्वपूर्ण योगदान रहा. और इन्हें जिले में शिवसेना की अग्रीम पंक्ति का नेता माना जाता था. किंतु इन नेताओं का एक-एक कर निधन हो जाने के चलते अब अमरावती जिले में शिवसेना की अग्रीम पंक्ति लगभग रिक्त नजर आ रही है. ऐसे में कहा जा सकता है कि, अमरावती जिले में शिवसेना पर काल ने अपना ग्रहण लगा दिया है.
बता दें कि, वर्ष 2017 में हुए मनपा चुनाव से कुछ पहले नवाथे क्षेत्र के तत्कालीन पार्षद व पूर्व उपमहापौर दिगंबर डहाके का निधन हुआ था. डहाके को अमरावती शहर में शिवसेना का कद्दावर नेता माना जाता था. जिन्होंने अलग-अलग प्रभागों से मनपा चुनाव लडते हुए पार्षद पद पर जीत हासिल की थी. डहाके के निधन पश्चात उनकी पत्नी को उनके शेष कार्यकाल हेतु निर्विरोध मनपा पार्षद चुना गया था. लेकिन पश्चात वर्ष 2017 में हुए मनपा आम चुनाव में डहाके की पत्नी जीत हासिल नहीं कर सकी. जिसका सीधा मतलब यह निकाला गया कि, दिगंबर डहाके का निधन होने के साथ ही उनका प्रभाव भी खत्म हो गया. वहीं एक वर्ष पहले अमरावती में शिवसेना को स्थापित और विस्तारित करनेवाले पूर्व विधायक संजय बंड, शिवसेना के पूर्व जिला प्रमुख सोमेश्वर पुसदकर तथा विद्यापीठ शाखा प्रमुख से अपने राजनीतिक जीवन की शुरूआत कर महानगर प्रमुख के पद तक पहुंचनेवाले अमोल निस्ताने एक के बाद एक काल कलवित हुए. साथ ही अब रविवार की रात शिवसेना के पूर्व जिला प्रमुख व तिवसा क्षेत्र की राजनीति में अपनी अच्छीखासी राजनीतिक पकड रखनेवाले दिनेश उर्फ नाना वानखडे का निधन हुआ. यहां यह विशेष उल्लेखनीय है कि, इन सभी नेताओं को शिवसेना प्रमुख स्व. बालासाहब ठाकरे का बेहद नजदिकी और विश्वासपात्र माना जाता था और इन सभी नेताओं की ‘मातोश्री’ बंगले तक सीधी पहुंच थी. ऐसे में ये सभी अमरावती जिले में शिवसेना की अग्रीम पंक्ति के नेता थे, जो एक-एक कर इस दुनिया से कूच कर गये. इसे अमरावती जिले में शिवसेना के लिए एक बडा नुकसान माना जा रहा है. क्योंकि फिलहाल जिले में इन सभी नेताओं का स्थान लेने हेतु उनके समकक्ष कोई दूसरा नेता व नाम फिलहाल दिखाई नहीं दे रहा. हालांकि अब भी कई ऐसे नेता है, जिनकी किसी समय शिवसेना प्रमुख बालासाहब ठाकरे व मातोश्री बंगले तक सीधी पहुंच थी. किंतु वे इस समय पुराने दौर की तरह पूरी तरह सक्रिय नहीं है. ऐसे में शिवसेना फिलहाल कुछ हद तक नेतृत्वहीन स्थिति में दिखाई दे रही है. साथ ही साथ अंतर्कलह व आपसी गुटबाजी से भी जूझ रही है.

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