राज्य में ‘डबल म्युटंट स्ट्रेन’ का प्रभाव
अमरावती व अकोला में दिखा सर्वाधिक प्रमाण
मुंबई/दि.16 – पुणे की राष्ट्रीय विषाणु प्रयोगशाला एनआयवी द्वारा जांचे गये 361 थ्रोट स्वैब सैम्पलों में से 220 यानी 61 फीसदी सैम्पलों में कोरोना का डबल म्युटंट स्ट्रेन रहने की बात सामने आयी है. यह सभी सैम्पल जनवरी से मार्च माह के दौरान राज्य के विभिन्न हिस्सों से लिये गये थे. जिसमें से अमरावती व अकोला जिले से लिये गये सैम्पलों में डबल म्युटंट स्ट्रेन रहने का प्रमाण सर्वाधिक पाया गया. जानकारी के मुताबिक अकोला जिले के 34 में से 27 यानी 85.2 फीसदी तथा अमरावती के 98 में से 68 यानी 69.3 फीसदी सैम्पलों में यह स्ट्रेन पाया गया है.
इसके अलावा ठाणे, भंडारा, चंद्रपुर, गोंदिया, हिंगोली, नागपुर, पुणे, वर्धा तथा यवतमाल जिले के 50 फीसदी सैम्पलों में भी बी.1.617 नामक डबल म्युटंट स्ट्रेन पाया गया है. विशेषज्ञों के मुताबिक इस समय राज्य में रोजाना 50 हजार से अधिक कोविड संक्रमित मरीज पाये जाने के पीछे मुख्य वजह डबल म्युटंट स्ट्रेन का प्रभाव हो सकता है, क्योेंकि राज्य में डबल म्युटेशन का प्रमाण काफी अधिक है और इस स्ट्रेन में संक्रमण की रफ्तार अधिक होती है. जिसकी वजह से मरीजों की संख्या में बडी तेजी से इजाफा होता है. किंतु वायरस का यह स्वरूप कुछ खास घातक नहीं है.
-
क्या है डबल म्युटंट स्ट्रेन
अमूमन कोरोना से संक्रमित किसी भी मरीज में किसी एक कोविड वायरस के लक्षण पाये जाते है, और अलग-अलग लोगों में अलग-अलग स्वरूप के कोविड वायरस का संक्रमण हो सकता है, किंतु कई बार एक ही व्यक्ति में दो अलग-अलग स्वरूप के स्ट्रेन की वजह से कोविड संक्रमण होता है और उसके सैम्पल में दो अलग-अलग तरह के वायरस दिखाई देते है. इसे ही डबल म्युटंट स्ट्रेन कहा जाता है. इस तरह का पहला मामला सबसे पहले ब्राजील में पाया गया था.
-
विदेशी नहीं है डबल म्युटंट स्ट्रेन
स्वास्थ्य विशेषज्ञों के मुताबिक डबल म्युटंट स्ट्रेन को लेकर बहुत ज्यादा चिंता करने या घबराने की जरूरत नहीं है. यह विदेशों में पाये गये कोरोना के नये स्वरूप से काफी अलग है. विशेषज्ञों के मुताबिक कोरोना का वायरस स्थानीय भौगोलिक हालात व तापमान के अनुसार अपने आप को नये स्वरूप में ढाल लेता है. ऐसे में डबल म्युटंट स्ट्रेन वाला संक्रमण पूरी तरह से स्थानीय स्तर पर उपजी समस्या है. जिसका इलाज पूरी तरह से संभव भी है.