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बेहद सादगीपूर्ण ढंग से मनाया गया ईद उल अजहा का पर्व

ईदगाह मैदान रहा सुनसान, मुस्लिम समाज बंधूओं ने अपने घरों पर ही पढी ईद की नमाज

  • रमजान ईद के बाद बकरीद पर भी मुस्लिम समाज ने पेश की संयम व अनुशासन की मिसाल

  • प्रत्यक्ष मुलाकात की बजाय सोशल मीडिया के जरिये चला मुबारक बाद देने का सिलसिला

 

प्रतिनिधि/दि.१

अमरावती – शनिवार १ अगस्त को अमरावती शहर सहित जिले में मुस्लिम समाज बंधूओं द्वारा ईद उल अजहा यानी बकरीद का पर्व बेहद सादगीपूर्ण ढंग से मनाया गया. बता दें कि, प्रति वर्ष रमजान ईद की तरह बकरीद के पर्व पर मुस्लिम समाज बंधूओें द्वारा स्थानीय हैदरपुरा स्थित ईदगाह मैदान पर सामूहिक रूप से ईद की नमाज अदा की जाती है. qकतु इस वर्ष कोरोना संक्रमण के खतरे एवं कोरोना प्रतिबंधात्मक उपाययोजनाओं को लेकर जारी प्रशासनिक दिशानिर्देशों को देखते हुए बकरीद के पर्व पर भी मुस्लिम समाज बंधूओं ने ईदगाह मैदान पर एकत्रित होकर नमाज पढने की बजाय अपने-अपने घरों पर रहकर ही ईद की नमाज अदा की और अपने परवरदिगार से विश्वशांति की कामना करते हुए कोरोना की बीमारी को जल्द से जल्द खत्म करने की दुआं की. यहां यह विशेष उल्लेखनीय है कि, इससे पहले मई माह में २५ मई को रमजान ईद के पर्व पर भी मुस्लिम समाज बंधूओं ने ईदगाह मैदान की बजाय अपने-अपने घरों पर रहकर ही ईद की नमाज अदा की थी और लॉकडाउन संबंधी नियमों का पूरी तरह से पालन किया था. वहीं अब बकरीद जैसे दूसरे महत्वपूर्ण त्यौहार पर भी मुस्लिम समाज बंधूओं ने सरकार एवं प्रशासन द्वारा जारी दिशानिर्देशों का सम्मान करते हुए लगातार दूसरी बार संयम व अनुशासन का परिचय दिया है. उल्लेखनीय है कि, इस समय कोरोना के खतरे के मद्देनजर लॉकडाउन जारी रहने के चलते सरकार एवं प्रशासन द्वारा किसी भी धार्मिक स्थल अथवा प्रार्थना स्थल पर लोगों को एकसाथ जूटने की मनायी की गई है. ऐसे में बकरीद के पर्व पर मुस्लिम समाज बंधूओें ने अपने-अपने घरों पर ही रहते हुए ईद की नमाज अदा की और एक-दूसरे से प्रत्यक्ष मेलमिलाप करने की बजाय एक-दूसरे को फोन तथा वॉटसएप जैसे साधनों के जरिये ईद की मुबारक बाद पेश की. जिसके चलते ईद जैसे महत्वपूर्ण पर्व पर ईदगाह मैदान सहित मुस्लिम बहूल इलाकों में पूरा दिन सन्नाटा देखा गया.

प्रशासन ने की संयम व अनुशासन की सराहना यहां यह विशेष उल्लेखनीय है कि, शनिवार १ अगस्त को अमरावती शहर सहित जिले में कडा लॉकडाउन व जनता कफ्र्यू लागू किया गया है और इसी दिन मुस्लिम समाज बंधूओं का दूसरा सबसे बडा पर्व बकरीद भी मनाया जाना था. ऐसे में प्रशासनिक स्तर पर भी काफी पेशोपेश व असंमजसवाली स्थिति देखी जा रही थी. qकतु स्थानीय मुस्लिम समाज बंधूओं ने बेहद संयम व अनुशासन के साथ बकरीद का पर्व मनाते हुए प्रशासन की राह आसान कर दी. जिसके चलते प्रशासनिक अधिकारियों ने इस संयम को अनुशासन के लिए स्थानीय मुस्लिम समाज बांधवों की सराहना की है.

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