मुंबई बमविस्फोट के दो कैदियों की आपातकालिन पैरोल नकारी
पैरोल के लिए पात्र न रहने की बात स्पष्ट की गई
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नागपुर हाईकोर्ट का जबर्दस्त झटका
नागपुर/प्रतिनिधि दि.29 – मुंबई में हुए श्रृंखलाबध्द बम धमाको का कैदी अजगर कादर शेख व मो.याकुब अब्दुल माजिद नागुल ने कोरोना संक्रमण के चलते आपातकालीन पैरोल के लिए दाखिल की हुई याचिका मुंबई हाईकोर्ट की नागपुर खंडपीठ ने गुणवत्ताहिन ठहराकर खारीज कर दी. न्यायमूर्तिव्दय विनय देशपांडे व अमित बोरकर ने यह निर्णय दिया. इन कैदियों ने गंभीर अपराध किये है, साथ ही उन्होंने इससे पहले पैरोल देने के बाद समय में आत्मसमर्पण नहीं किया. जिससे वे आपातकालीन पैरोल के लिए पात्र नहीं, ऐसा निर्णय में स्पष्ट किया है.
इन दोनों कैदियों को 1996 के मुंबई बम विस्फोट मामले में विभिन्न धाराओं के तहत कुल 55 वर्ष कैद की सजा सुनाई गई. उन्हें हर धाराओं के तहत कैद एक के बाद एक भुगतनी है. अब तक अजगर कादर शेख ने 23 तथा मो याकुब ने 18 वर्ष कैद भुगत ली है. दोनों कैदी फिलहाल नागपुर मध्यवर्ती जेल में है. कोरोना संक्रमण के चलते सुप्रीम कोर्ट व्दारा जारी की गई मार्गदर्शक सूचना व संशोधित पैरोल नियम के अनुसार 45 दिन का आपतकालिन पैरोल हासिल करने के लिए उन्होंने शुरुआत में जेल अधिक्षक से अर्जी की थी. 8 मई 2020 को जारी राज्य सरकार के परिपत्रक के अनुसार वह अर्जी 30 जून 2020 को नामंजूर की गई. जिससे उन्होंने हाईकोर्ट में याचिका दायर की, लेकिन यहां पर भी उनकी पैरोल नकारी गई.
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सत्य कहना वकील का कर्तव्य
इससे पहले पैरोल दिया तब देरी से आत्मसमर्पण करने के कारण यह कैदी आपातकालीन पैरोल के लिए पात्र नहीं है, यह पता रहते हुए भी कैदियों के वकील ने यह बात निदर्शन में लाकर नहीं दी. इसपर न्यायालय ने नाराजगी व्यक्त की. मन लायक आदेश हासिल करने के लिए इस तरह की कृति करना योग्य नहीं है. सत्य जानकारी न्यायालय के निदर्शन में लाकर देना वकीलों का कर्तव्य है. इस तरह की समझ न्यायालय ने दी.