राकांपा की वजह से शुरु हुई जातिय राजनीति
मनसे प्रमुख राज ठाकरे का स्पष्ट आरोप
सिंधुदुर्ग/दि.1 – राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के जन्म से ही महाराष्ट्र में जातियवादी राजनीति का दौर शुरु हुआ. राकांपा प्रमुख शरद पवार ने कभी भी छत्रपति शिवाजी महाराज का नाम नहीं लिया. ताकि मुस्लिम वोटों को अपने साथ बनाया जा सके. वहीं राकांपा ने कई टोलियों को खडा करने का काम किया. जिनके जरिए फंडींग के तौर पर पैसा इकठ्ठा किया गया और अपने राजनीतिक स्वास्थ्य के लिए वर्ष 1999 से राज्य में जहर घोला गया. इस आशय का प्रतिपादन मनसे अध्यक्ष राज ठाकरे द्बारा किया गया.
सिंधुदुर्ग के दौरे पर आये राज ठाकरे ने यहा एक पत्रकार परिषद को संबोधित करते हुए कहा कि, जातिगत राजनीति के लिए महाराष्ट्र में छत्रपति शिवाजी महाराज का अपमान किया जा रहा है. जो लोग हमसे पहले पैदा हुए थे, क्या उन्हें इतिहास नहीं पता था और क्या पूरा इतिहास अब हमारी पीढी के सामने ही जागरुक हो गया है. शरद पवार ने आज तक कभी भी किसी भी सार्वजनिक मंच से छत्रपति शिवाजी महाराज का नाम नहीं लिया है. बल्कि वे केवल शाहू, फुले, आंबेडकर का ही नाम उल्लेख करते है. पवार के मुताबिक शाहू, फुले व आंबेडकर एक विचार है. लेकिन पवार यह भुल जाते है कि, छत्रपति शिवाजी महाराज भी अपने आप में एक विचार है और उनके विचारों पर ही अगले विचार सामने आये. लेकिन पवार यह भी जानते है कि, छत्रपति शिवाजी महाराज का नाम लेने पर मुस्लिम वोट उनसे दूर छिटक जाएंगे.
इस पत्रवार्ता में राज ठाकरे ने कांग्रेस सांसद राहुल गांधी को भी जमकर आडे हाथ लेते हुए कहा कि, भारत जोडो यात्रा का स्वातंत्र्यवीर सावरकर से क्या संबंध है. इन दिनों कोई भी उठकर कुछ भी बोलना शुरु करता है और मीडिया भी ऐसे लोगों को बिना वजह की प्रसिद्धि देती है. जिसके वजह से आगे चलकर सारी गडबडिया होती है.