दो डोज लेने के बाद भी 243 हुए पॉजीटीव, सैम्पल लेकर जांच की जायेगी
वैक्सीन लेने के बाद भी संक्रमित क्यों?
अमरावती/प्रतिनिधि दि.8 – इस समय कोविड-19 नामक वायरस के संक्रमण से बचने हेतु कोविड प्रतिबंधात्मक वैक्सीन का टीका लगाये जाने को सबसे कारगर उपाय बताया जा रहा है. जिसके तहत यह दावा किया जा रहा है कि, कोविशिल्ड अथवा को-वैक्सीन जैसी कोविड प्रतिबंधात्मक वैक्सीन के दो डोज लगाने के बाद किसी भी व्यक्ति के कोविड संक्रमित होने का खतरा नहीं के बराबर हो जाता है. किंतु हैरत की बात यह है कि, प्रतिबंधात्मक वैक्सीन के दोनों डोज लगवाने के बाद भी अमरावती जिले में अब तक 243 लोग कोविड संक्रमण की चपेट में आये है. इसमें से कुछ लोग ऐसे भी है, जो इससे पहले कोविड संक्रमित होने के बाद कोविड मुक्त हो चुके थे और वैक्सीन लगवाने के बाद दोबारा कोविड संक्रमण की चपेट में आये. ऐसे में इस समय सबसे बडी चिंता का विषय और सवाल यह है कि, आखिर प्रतिबंधात्मक वैक्सीन के दोनों डोज लगवाने के बाद भी कुछ लोग इस संक्रमण की चपेट में कैसे आये और प्रतिबंधात्मक वैक्सीन लगाने का इन लोगों को कोई फायदा क्यों नहीं हुआ.
बता दें कि, जिले में विगत 16 जनवरी से शुरू हुए कोविड टीकाकरण अभियान के तहत अब तक 3 लाख 21 हजार लाभार्थियों को कोविड वैक्सीन का पहला डोज लगाया जा चुका है. जिसमें से 86 हजार लाभार्थियों को दूसरा बूस्टर डोज भी लगाया गया है. इसमें से प्रतिबंधात्मक वैक्सीन के दोनों डोज लगवा चुके 243 लोग वैक्सीन लगाने के बाद कोविड संक्रमण की चपेट में आये. हालांकि वैक्सीन लगवानेवालों की तुलना में यह संख्या बेहद अत्यल्प है. किंतु बावजूद इसके स्वास्थ्य विभाग के लिए यह बेहद चिंता का विषय है कि, प्रतिबंधात्मक वैक्सीन लगाने के बाद भी कुछ लोग इस बीमारी के संक्रमण की चपेट में कैसे आये. ऐसे में इस बात का अध्ययन करने हेतु अब इन लोगों के थ्रोट स्वैब सैम्पलों का गहन तरीके से अध्ययन किया जायेगा. जिसके तहत यह पता किया जायेगा कि, आखिर इन मरीजों में दुबारा संक्रमण कैसे हुआ.
इसके साथ ही वैक्सीन लगवानेवाले लोगोें में से अब तक तीन लोगों की जिले में मौत भी हुई है और प्रशासन द्वारा इस बात की जांच की जा रही है कि, इन मरीजों की मौत कोविड संक्रमण से हुई अथवा किसी अन्य वजह से.
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कहीं वायरस का नया स्वरूप तो वजह नहीं
यहां यह विशेष उल्लेखनीय है कि इन दिनों अमरावती सहित विदर्भ क्षेत्र के कई शहरों में कोरोना का डबल म्युटेशन वेरियंट वाला नये स्वरूप का वायरस पाया गया है. जिसके संक्रमण की रफ्तार काफी अधिक है. हालांकि यह पिछले स्वरूपवाले वायरस की तुलना में अपेक्षाकृत तौर पर कम घातक है, लेकिन यह काफी अधिक तेजी से फैलता है. जिसके चलते इन दिनों संक्रमितों की संख्या सहित संक्रमण की वजह से होनेवाली मौतोें की संख्या में अच्छाखासा इजाफा देखा जा रहा है. विषाणुशास्त्र यानी वायरॉलॉजी में महारत हासिल रखनेवाले विशेषज्ञों के मुताबिक कोविड वायरस के पुराने स्वरूप का अध्ययन करते हुए उसके खिलाफ लडने हेतु बनायी गयी वैक्सीन शायद वायरस के नये स्वरूप के खिलाफ कुछ हद तक कम असरकारक है. शायद यह भी एक वजह हो सकती है कि, कोविड वैक्सीन का पहला व दूसरा डोज लगवा चुके लोगों में से कुछ लोग वैक्सीन लगाने के बावजूद इस संक्रमण की चपेट में आये है.