दुर्गोत्सव पर भी कोरोना ने मूर्तिकारों का पीछा नहीं छोडा
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मूर्ति का आकार हुआ छोटा, दाम घटे, आधे से भी कम ऑर्डर मिले
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इस वर्ष कोरोना ने तोड दी मूर्तिकारों की कमर
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गणेशोत्सव में भी नहीं हुआ था अपेक्षित व्यवसाय
अमरावती/प्रतिनिधि दि.६ – प्रतिवर्ष नवरात्रोत्सव के दौरान शहर सहित जिले में जगह-जगह पर सार्वजनिक दुर्गोत्सव मंडलों द्वारा दुर्गादेवी की भव्य-दिव्य प्रतिमाएं स्थापित की जाती थी. जिसके लिए मूर्तिकारों द्वारा शेर पर सवार अष्टभूजाधारी दुर्गादेवी की महिषासुर मर्दन करती आठ-दस फीट उंची मूर्तियां बनायी जाती थी, लेकिन इस वर्ष कोरोना संक्रमण के खतरे को देखते हुए सरकार एवं प्रशासन ने जिस तरह गणेशोत्सव के दौरान सार्वजनिक मंडलों में अधिकतम चार फीट उंची गणेश प्रतिमा स्थापित करने का निर्देश जारी किया था. ठीक उसी तरह नवरात्रोत्सव के दौरान भी सार्वजनिक दुर्गोत्सव मंडलों में अधिकतम चार फीट उंची दुर्गा व शारदा प्रतिमा स्थापित करने का निर्देश दिया गया है. साथ ही सोशल डिस्टंसिंग को लेकर भी काफी कडे दिशानिर्देश दिये गये है. जिसके चलते गणेशोत्सव की तरह ही दुर्गोत्सव के समय भी कई सार्वजनिक मंडलों ने इस बार प्रतिमा प्राणप्रतिष्ठा नहीं करने का निर्णय लिया है. ऐसे में गणेशोत्सव के बाद दुर्गोत्सव अच्छा जाने की प्रतिक्षा कर रहे मूर्तिकार कोरोना की वजह से लगातार दूसरी बार दोहरे आर्थिक संकट का सामना कर रहे है.
बता दें कि, अमरावती शहर के जिराफे मूर्तिकार, सोनसले मूर्तिकार व आजने मूर्तिकार द्वारा दुर्गादेवी की भव्य-दिव्य व आकर्षक प्रतिमाएं बनायी जाती है. जिनकी शहर व जिले सहित कई बाहरी जिलों में भी मांग होती है. इन तीनों मूर्तिकारों द्वारा बनायी जानेवाली आठ से दस फीट उंची मूर्तियों की अनुमानित कीमत करीब २५ से ३० हजार रूपये रहती है. लेकिन इस बार जहां एक ओर कोरोना संक्रमण के खतरे को देखते हुए इन तीनों मूर्तिकारों के पास गत वर्ष की तुलना में आधे से भी कम ऑर्डर आये है. वहीं दूसरी ओर चार फीट की उंचाईवाली मूर्तियों की कीमत बमुश्किल आठ से दस हजार रूपये रखी गयी है. ऐसे में जहां इस बार मूर्तिकारों के पास गत वर्ष की तुलना में ऑर्डर कम है, वहीं मूर्तियों की उंचाई को लेकर सरकारी नियम की वजह से उन्हें इस बार कमाई भी कम होगी. इस संदर्भ में शहर के तीनोें प्रमुख मूर्तिकारों से बात करने पर उन्होंने बताया कि, गणेशोत्सव के दौरान भगवान गणेश की दो से चार फीट उंची मूर्ति बनाना बेहद आसान काम है,क्योंकि भगवान गणेश की तो बालरूपवाली प्रतिमा भी स्थापित की जा सकती है. लेकिन यह सुविधा दुर्गा प्रतिमा के साथ नहीं होती.क्योंकि देवी दुर्गा अष्टभूजाधारियों और उनकी प्रतिमा के साथ शेर की सवारी बेहद जरूरी है. ऐसे में चार फीट उंची मूर्ति में पूरी संकल्पना को साकार करना और छोटे-छोटे आकार के अलंकार बनाना बेहद मुश्किल काम है. इसमें भी भले ही मूर्ति छोटी बने, या बडी, कारागीरों को उनका मेहनताना तो पूरा ही देना पड रहा है. वहीं इस बार मूर्तियों से आवक बेहद कम होगी. ऐसे में इस बार मूर्तियों को बनाने का खर्च निकलना भी बहुत मुश्किल है.
काफी मुश्किलभरा दौर
हर साल हमें ३५ ते ४० मूर्तियों की ऑर्डर काफी पहले ही आ जाया करते थे. वहीं इस बार अब तक केवल २० मूर्तियों के ऑर्डर आये है. साथ ही सरकार की ओर से केवल चार फीट उंची मूर्ति बनाने का आदेश जारी हुआ है. आठ-दस फीट उंची मूर्ति बनाना काफी आसान होता है, लेकिन चार फीट उंची दुर्गा प्रतिमा बनाना काफी मुश्किल काम है. पहले जहां बडी मूर्तियां २५ से ३० हजार में बिकती थी, वहीं इस बार चार फीट उंची मूर्तियां केवल आठ-दस हजार रूपये में बिकेंगी. इससे भी हमारा काफी नुकसान है. -अतुल जिराफे मूर्तिकार
बहुत बुरे दौर से गुजर रहे
हम गत वर्ष हमारे पास हर साल १० से १२ दुर्गा प्रतिमाओं की ऑर्डर आती थी. वहीं इस समय तक मात्र दो-तीन ऑर्डर ही आयी है.क्योंकि अधिकांश बडे मंडलों ने अब की बार सार्वजनिक दुर्गोत्सव नहीं मनाने का फैसला किया है. पहले जहां आठ-दस फीट उंची मूर्ति के लिए ३०-३१ हजार रूपये बडी आसानी से मिल जाते थे, वहीं अब की बार चार फीट उंची मूर्ति के लिए इससे आधे पैसे ही मिलेंगे. साथ ही शेर की सवारी करनेवाली अष्टभूजाधारी दुर्गामाता की चार फीट उंची मूर्ति बनाना भी अपने आप में काफी मुश्किलभरा काम है. हमने इसमें एक रास्ता यह निकाला है कि, इस बार मां दुर्गा की प्रतिमा को बैठे शेर पर विराजीत दिखाया है, ताकि मूर्ति की उंचाई घटे. – गजानन सोनसले मूर्तिकार
गणेश उत्सव की तरह ही दुर्गोत्सव भी फीका
इस बार कोरोना संक्रमण की वजह से गणेशोत्सव काफी फीका रहा और उम्मीद थी कि, दुर्गोत्सव में कुछ अच्छा काम होगा. लेकिन गणेशोत्सव की तरह दुर्गोत्सव भी फीका रहने के पूरे आसार है. हर साल हम आठ से दस फीट उंची मूर्तियों की २५ से ३० हजार रूपयों में बिक्री किया करते थे और हमारे पास १५-२० मूर्तियों की ऑर्डर आया करती थी. वहीं इस बार अब तक मात्र १०-१२ मूर्तियों की ही ऑर्डर आयी है. वहीं मात्र चार फीट उंची प्रतिमाओें की बिक्री केवल ७-८ हजार रूपये में करनी पडेगी. यानी इस बार हमारा दोहरा नुकसान हो रहा है, एक तो ऑर्डर कम है, वहीं मूर्तियों से होनेवाली आवक भी कम होनेवाली है. – गजानन आजने मूर्तिकार