अमरावतीमुख्य समाचार

क्या साफ-सफाई को लेकर हर कोई झाड रहा अपना पल्ला

 मनपा के स्वास्थ्य विभाग का ‘40 करोड का पाप’

  •  सत्ता पक्ष प्रशासन को बता रहा जिम्मेदार, विपक्ष सत्ता पक्ष की ओर उंगली दिखा रहा

  •  प्रशासन अब हडबडाकर नींद से जागा, खबर के आधार पर कार्रवाई करने बात

  •  ठेकेदार की लापरवाही व कामचोरी पर सभी की चुप

अमरावती/प्रतिनिधि दि.23 – दो दिन पूर्व दैनिक अमरावती मंडल ने अमरावती शहर में साफ-सफाई व्यवस्था की कलई खोलनेवाली एक खबर प्रकाशित की थी. जिसमें शहर के आधे से अधिक इलाकों के छायाचित्र प्रकाशित करते हुए वहां लगे कचरे व गंदगी के ढेर को शहर की जनता, जनप्रतिनिधियों व प्रशासन के सामने प्रस्तुत किये गये थे. चूंकि अब हाल-फिलहाल अमरावती शहर कोविड की संक्रामक महामारी का असर देख चुका है. ऐसे में उम्मीद की जा रही थी कि, प्रशासन द्वारा बारिश के मौसम में फैलनेवाली डेंग्यू व चिकन गुनिया जैसी संक्रामक बीमारियों का प्रसार रोकने के लिए समय रहते कोई उठाये जायेंगे, लेकिन यह उम्मीद पूरी तरह से सिफर साबित हुई और कोविड संक्रमण काल से सबक लेने की बजाय स्थिति ‘ढाक के तीन पात’ वाली है. क्योंकि शहर की साफ-सफाई का जिम्मा रखनेवाले स्वास्थ्य व स्वच्छता विभाग का कामकाज एक बार फिर पुराने ढर्रे पर लोट आया है. यहीं वजह है कि इन दिनों शहर के तमाम गली-मोहल्लों के मुहानों पर कचरे व गंदगी के ढेर लगे हुए है, नालियां कचरे से अटी पडी है और सर्विस गलियां कचरे से बजबजा रही है. जिसकी वजह से अमरावती शहर में डेंग्यू व चिकन गुनिया जैसी जानलेवा बीमारियों का आगाज हो चुका है. लेकिन बावजूद इसके नागरिकों के स्वास्थ्य एवं सुरक्षा जैसे महत्वपूर्ण मसले पर हर कोई अपनी जिम्मेदारी से पल्ला झाडने के साथ ही एक-दूसरे की ओर उंगली दिखाता दिखाई दे रहा है.
इस संदर्भ में मनपा के सत्ता पक्ष का कहना है कि, इसमें काफी हद तक प्रशासन की नाकामी है. क्योंकि मनपा आमसभा की ओर से साफ-सफाई संबंधी कामों को लेकर तमाम आवश्यक नीतियां बनाई जाती है. जिन पर अमल का जिम्मा प्रशासन का है और प्रशासन इसमें काफी हद तक नाकाम साबित हुआ है. इसके अलावा सत्ता पक्ष ने विगत कई वर्षों से मनपा का हिस्सा रहनेवाले कुछ नगरसेवकोें पर भी कचरा ठेकेदार के साथ सांठ-गाठ रखने और ठेकेदार को बचाने के लिए प्रशासन पर दबाव डालने का आरोप लगाते हुए कहा कि, विपक्ष द्वारा आमसभा में कर्मचारियों की नियुक्ति को लेकर तो घंटों हंगामेबाज चर्चा की जाती है, किंतु जब लापरवाह व कामचोर अधिकारियों व कर्मचारियों पर सत्ता पक्ष कार्रवाई करना चाहता है, तो सबसे पहले विपक्षी उसमें अडंगा डालते हुए ऐसे लोगों को बचाने का काम करता है. दबे स्वर में यह भी कहा गया कि, साफ-सफाई के ठेके को लेकर तो बडे जोर-शोर के साथ चर्चा होती है, लेकिन जब साफ-सफाई के कामों का मामला आता है, तब विपक्षी की ओर से कोई चर्चा नहीं की जाती. वही विपक्ष का कहना है कि, इसमें पूरी तरह से सत्ता पक्ष व प्रशासन की नाकामी है तथा मनपा के सत्ताधारियों की प्रशासन पर कोई पकड ही नहीं है. वर्ना प्रशासन की बिसाद ही नहीं कि, ठेकेदार द्वारा बरती जानेवाली लापरवाही की अनदेखी की जाये. ऐसे में सत्ता पक्ष को पूरी तरह से नाकाम कहा जा सकता है. इसके अलावा इस मामले को लेकर प्रशासन की ओर कहा गया है कि, प्रशासन द्वारा आमसभा में तय नीतियों पर काम करते हुए तमाम आवश्यक कदम उठाये जा रहे है और ठेकेदार द्वारा किये जानेवाले कामों पर पूरी नजर भी रखी जा रही है.

  •  सब कुछ नहीं है ‘ऑल वेल’, कुछ ‘झोल’ तो है

कुल मिलाकर लब्बोलुआब यह है कि, हर कोई अपने-अपने दामन को पाक साफ बता रहा है और जताने का प्रयास भी किया जा रहा है कि वे खुद अपनी जिम्मेदारियों का निर्वहन सही ढंग से कर रहे है. यहीं पर सवाल पैदा होता है कि, अगर हर कोई वाकई अपनी-अपनी जिम्मेदारियों को सही ढंग से निभा रहा है, तो फिर शहर में जगह-जगह पर कचरे के ढेर क्यों लगे है और शहर एक तरह से कचरे के ढेर पर क्यों हैं. जैसा कि, हमने दो दिन पूर्व प्रकाशित खबर में भी बताया था कि, अकेले अमरावती शहर की साफ-सफाई के लिए मनपा द्वारा प्रतिवर्ष बजट में 40 करोड रूपये के खर्च का प्रावधान किया जाता है और यह रकम बाकायदा खर्च भी होती है, तब दूसरा सवाल पैदा होता है कि, अगर शहर में सही ढंग से साफ-सफाई ही नही हो रही और कचरा ही नहीं उठाया जा रहा, तो साफ-सफाई पर खर्च होनेवाली रकम आखिर कहां खर्च हो रही है और किसकी जेब में जा रही है. आज यह सवाल केवल अमरावती मंडल का नहीं, बल्कि अमरावती शहर में रहनेवाले 8 लाख लोगों का है, जो अपने गाढे-पसीने और कडी मेहनत कमायी रकम का एक हिस्सा टैक्स के तौर पर अमरावती महानगरपालिका को देते है. जिसके बदले में अमरावती महानगरपालिका द्वारा शहरवासियों को साफ-सफाई, स्वास्थ्य सुविधा, शिक्षा सुविधा, अच्छी सडके और स्ट्रीट लाईट जैसी मुलभूत सुविधाएं दिया जाना अपेक्षित है. क्योंकि यहीं सारे काम किसी भी स्थानीय स्वायत्त संस्था की प्राथमिक जिम्मेदारी भी होते है. किंतु इनमें से यदि किसी भी काम का आकलन किया जाये, तो पता चलता है कि, अधिकांश मोर्चों पर मनपा में बैठे हमारे जनप्रतिनिधि और मनपा प्रशासन लगभग नाकाम और विफल है. ऐसे में सवाल स्थानीय विधायक से भी पूछा जाना लाजमी है कि, आखिर वे इस ओर ध्यान क्यों नहीं दे रहे. बता दें कि, अमरावती मनपा क्षेत्र में दो विधानसभा क्षेत्रों का समावेश होता है. किंतु दोनों ही विधायकों द्वारा कई बडे-बडे विकास कामों को लेकर तो मनपा प्रशासन को जमकर आडे हाथ लिया जाता है, लेकिन आम जनता की सेहत और सुरक्षा से जुडे साफ-सफाई के मामले को लेकर इन जनप्रतिनिधियों द्वारा कोई ध्यान नहीं दिया जाता.

  •  कागजों पर ही है ठेकेदारों के तमाम साधन और इंतजाम

दैनिक अमरावती मंडल द्वारा अपने स्तर पर की गई पडताल में पता चला है कि, अमरावती शहर में साफ-सफाई के लिए कोई एकल प्रणाली यानी सिंगल ठेकेदार व्यवस्था उपलब्ध नहीं है, बल्कि हर प्रभाग का जिम्मा अलग-अलग ठेकेदारों को दिया गया है. ऐसे में पूरे शहर की साफ-सफाई के लिए किसी एक व्यक्ति को जिम्मेदार नहीं पकडा जा सकता है. साथ ही पता यह भी चला कि, प्रभागों की साफ-सफाई का ‘लोकल ठेका’ देते समय शर्त तय की गई थी कि, ठेकेदार के पास निश्चित संख्या में हाईड्रोलिक व सामान्य मालवाहक ऑटो होने चाहिए. पांच फॉगिंग मशीन व पांच स्प्रे मशीन होनी चाहिए और हर प्रभाग में कम से कम 54 कर्मचारियों को साफ-सफाई संबंधी कामों के लिए नियुक्त किया जाना चाहिए. इन शर्तों के आधार पर ठेके तो बांट दिये गये, लेकिन इसमें से कितने ठेकेदारों द्वारा इन शर्तों को हकीकत में पूर्ण किया जाता है और क्या उनके पास वाकई साफ-सफाई संबंधी ये तमाम इंतजाम उपलब्ध है अथवा नहीं, इसकी जानकारी निश्चित तौर पर मनपा के किसी जिम्मेदार के पास नहीं है. कोविड संक्रमण काल के दौरान शहर में गाहे-बगाहे फवारणी व धुवारणी के दृश्य दिखाई देते थे और इन कामों के लिए जमकर ‘चमकोगिरी’ भी होती थी. लेकिन आज जब मच्छरों की पैदावार को रोकने के लिए फवारणी व धुवारणी की सबसे अधिक जरूरत है, तो विगत तीन-चार माह से शहर में कहीं पर भी फवारणी व धुवारणी होती दिखाई नहीं दे रही. ऐसे में हमारे द्वारा पूछे गये सवाल और अधिक मजबूत होता है कि, क्या मनपा प्रशासन और हमारे जनप्रतिनिधियों द्वारा अमरावती शहर में किसी नई संक्रामक महामारी के फैलने का इंतजार किया जा रहा है?

 

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  •  मामले को गंभीरता से लिया है, चर्चा होगी

शहर की साफ-सफाई की अव्यवस्था को लेकर अमरावती मंडल द्वारा प्रकाशित खबर को हमने पूरी गंभीरता से लिया है. जिसे लेकर आज ही मनपा प्रशासन के साथ एक बैठक बुलायी गयी. इस बैठक में साफ-सफाई के कामों सहित संक्रामक बीमारियों को रोकने हेतु की जानेवाली उपाययोजनाओं की समीक्षा की गई. शहरवासियों के स्वास्थ्य व सुरक्षा के साथ किसी तरह का कोई समझौता नहीं किया जायेगा. साथ ही इसमें किसी तरह की कोई लापरवाही भी बर्दाश्त नहीं की जायेगी.
सुलभा खोडके
विधायक, अमरावती

 

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  •  अन्यथा हमें दुबारा मैदान में उतरना होगा

दो वर्ष पूर्व भी अमरावती शहर में डेंग्यू व चिकन गुनिया का जबर्दस्त प्रादूर्भाव हुआ था. उस समय खुद मैने पालकमंत्री रहते समय पूरे शहर का पैदल दौरा किया था और जनता दरबार आयोजीत करते हुए डेंग्यू व चिकन गुनिया सहित साफ-सफाई व्यवस्था को लेकर व्यापक अभियान चलाया था. जिसके सार्थक परिणाम भी दिखाई दिये और वर्ष 2019 में किसी तरह की कोई समस्या नहीं हुई. वहीं पिछले वर्ष से कोविड महामारी का खतरा पैदा हुआ, जो अब भी जारी है. साथ ही अब दुबारा साफ-सफाई की व्यवस्था का अभाव रहने के चलते डेंग्यू व चिकनगुनिया सहित मलेरिया की बीमारी सिर उठा रही है. ऐसे में मनपा ने तुरंत कडे व प्रभावी कदम उठाने चाहिए और यदि आगामी 15 दिन के भीतर मनपा ऐसे कोई कदम नहीं उठा पाती है, तो हमें एक बार फिर मैदान में उतरकर वार्डनिहाय अभियान चलाना होगा और अगर ऐसी नौबत आती है, तो नागरिकों को साथ लेकर ‘फैसला ऑन द स्पॉट’ होगा.
प्रवीण पोटे पाटील
पूर्व पालकमंत्री व विधान परिषद सदस्य

 

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  •  मनपा की अनदेखी का परिणाम

दैनिक अमरावती मंडल द्वारा बेहद गंभीर मसले को पूरी जिम्मेदारी के साथ उजागर किया गया है. मनपा प्रशासन को चाहिए कि, इस समस्या की ओर काफी अधिक ध्यान दिया जाये, अन्यथा इस समस्या की अनदेखी करने पर हालात काफी बिगड सकते है. बारिश के दौरान फैलनेवाली बीमारियों के इससे पहले आये अनुभव काफी खतरनाक रहे है. ऐसे में बात बिगडने के बाद हडबडाकर जागने से अच्छा है कि, समय रहते प्रतिबंधात्मक कदम उठाये जाये. इसके लिए बेहद जरूरी है कि, ठेकेदारों के कामकाज पर नियंत्रण और ध्यान दिया जाये.
डॉ. सुनील देशमुख
    पूर्व पालकमंत्री

 

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  •  नीतिया सही बनी है, पर अमल में कुछ कोताही है

यह सही है कि, स्थानीय स्वायत्त संस्था होने के नाते शहर में रोजाना साफ-सफाई कराना मनपा की पहली जिम्मेदारियों में शामिल है. किंतु कुछ बातों की अनदेखी भी नहीं की जा सकती. सबसे अव्वल बात तो यह है कि, अमरावती शहर का विस्तार क्षैतिजिक यानी हॉरिझोंटल नहीं, बल्कि उर्ध्व यानी र्व्हर्टिकल हो रहा है. शहर में बडे पैमाने पर उंची-उंची इमारते बन रही है. जिनमें रहनेवाले लोगों द्वारा अपने घरों से निकलनेवाले कचरे को कचरा संकलन गाडी या कंटेनर में डालने की बजाय सीधे सर्विस गली में फेंका जाता है. इस कचरे को उठाकर कंटेनर में डालने के लिए अलग से सफाई कर्मी लगाने पडते है. इसी तरह कंटेनर की उंचाई भी अपने आप में एक समस्या है. जिसकी वजह से लोगबाग कंटेनर के भीतर कचरा डालने की बजाय उसे कंटेनर के आसपास डाल देते है. ऐसे में पहले जहां हाईड्रोलिक ऑटो पर केवल एक कर्मचारी लगाने की बात कही गई थी, वहीं अब ऑटो चालक के साथ कचरा उठाने हेतु एक सहायक भी लगाना पडता है. जिसे मनुष्यबल की कमी होने लगी है. ऐसे में जल्द ही आवश्यक मनुष्यबल की व्यवस्था करने के साथ ही हर प्रभाग में दो संपर्क अधिकारी नियुक्त किये जायेंगे और लापरवाही बरतनेवालों के खिलाफ दंडात्मक कार्रवाई भी की जायेगी. साथ ही नागरिकों को भी चाहिए कि, वे अपने घरों के आसपास बेतरतीबी से कचरा फैलाने की बजाय साफ-सफाई के काम में मनपा प्रशासन के साथ सहयोग करे.
चेतन गावंडे
महापौर, मनपा

 

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  • सभी को साथ मिलकर प्रयास करना होगा

साफ-सफाई की व्यवस्था के अभाव को किसी एक व्यक्ति की नाकामी नहीं कहा जा सकता, बल्कि यह सामुहिक जिम्मेदारी है. जिसमें सत्ता पक्ष, विपक्ष, प्रशासन व आम नागरिक भी शामिल है. सबसे पहले नागरिकोें को अपनी जिम्मेदारी का एहसास करना होगा. जिसके बाद संबंधित क्षेत्र के नगरसेवक की जिम्मेदारी बनती है कि, वे अपने वार्ड या प्रभाग में रोजाना साफ-सफाई की व्यवस्था का जायजा ले. साथ ही प्रशासन की जिम्मेदारी बनती है कि, साफ-सफाई संबंधीत काम प्रभावी रूप से हो रहे है अथवा नहीं, इस पर कडाई के साथ नजर रखी जाये और कहीं पर भी लापरवाही व कामचोरी दिखाई देने पर बिना किसी के दबाव में आये बेधडक दंडात्मक कार्रवाई की जाये. जहां तक मौजूदा स्थिति का सवाल है, तो जल्द ही अमरावती शहर में आशा कार्यकर्ताओं के जरिये स्वास्थ्य सर्वेक्षण किया जायेगा और जिन लोगों के यहां अब भी कूलर लगे हुए है, उसे बंद करवाते हुए लोगों को सप्ताह में एक दिन सूखा दिवस का पालन करने के लिए जागरूक किया जायेगा, ताकि डेंग्यू व चिकन गुनिया जैसी संक्रामक बीमारियों को फैलने से रोका जा सके.
तुषार भारतीय
   सभागृह नेता

 

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  •  सत्तापक्ष व प्रशासन की नाकामी

निश्चित तौर पर शहर में साफ-सफाई करवाना महानगरपालिका की पहली प्राथमिकता में शामिल होता है और इसके लिए काफी सशक्त व मजबूत प्रणाली का होना बेहद जरूरी है. लेकिन इस समय शहर के मौजूदा हालात जिस तरह से है, उसे देखते हुए मौजूदा सत्ता पक्ष को पूरी तरह से नाकाम कहा जा सकता है और निश्चित तौर पर इसमें प्रशासन की चूक है, क्योंकि विगत चार वर्ष के दौरान मनपा द्वारा अपनी इस पहली जिम्मेदारी का निर्वहन सफलतापूर्वक नहीं किया गया. इसके लिए कुछ हद तक पार्षदों को भी जिम्मेदार कहा जा सकता है. क्योंकि यदि पार्षद अपनी जिम्मेदारियों को सही तरीके से निभाये, तो किसी ठेकेदार की यह ताकत नहीं की वह अपने काम में लापरवाही या कोताही बरतें. साथ ही अगर ठेकेदार द्वारा अपना काम सही ढंग से नहीं किया जा रहा है, तो सवाल मनपा स्वास्थ्य विभाग व प्रशासन पर उठाया जा सकता है कि, वे किस बात का सुपरविजन कर रहे है और काम सही ढंग से नहीं होने के बावजूद भी ठेकेदारों के बिल कैसे पारित हो रहे है.
बबलू शेखावत
   नेता प्रतिपक्ष

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  • आमसभा का काम नीति बनाना, प्रशासन का जिम्मा अमल करना

मौजूदा हालात के लिए यद्यपि लोगों का गुस्सा अपने जनप्रतिनिधियों को लेकर है, जिसे समझा जा सकता है. लेकिन इस बात को भी समझना होगा कि, बतौर जनप्रतिनिधि हम आमसभा में साफ-सफाई सहित विकास कामों को लेकर नीतियां बनाते हैं और हर काम के लिए अलग-अलग मानक व मापदंड तय करते है, लेकिन इन तमाम बातों पर अमल की जिम्मेदारी मनपा प्रशासन की होती है, क्योंकि क्रियान्वयन करने और काम सही ढंग से नहीं होने पर दंडात्मक कार्रवाई करने का अधिकार पार्षदों के पास नहीं, बल्कि प्रशासन के पास होता है. ऐसे में यदि शहर में साफ-सफाई की व्यवस्था का अभाव है, तो इसके लिए पूरी तरह से सिस्टीम की नाकामी को जिम्मेदार कहा जा सकता है. तय कर दिया गया है कि, साफ-सफाई को लेकर झोननिहाय व्यवस्था पर काम होना चाहिए. हर महिने झोन समिती की बैठक लेकर झोन में शामिल प्रभाग के पार्षदों व अधिकारियों द्वारा कामों की समीक्षा की जानी चाहिए. झोन अधिकारियों द्वारा रोजाना झोन में शामिल अलग-अलग प्रभागों का दौरा किया जाना चाहिए. ठेकेदार के कामों पर सुपरविजन व विजिलन्स होना चाहिए. हर वार्ड व प्रभाग में शिकायत निवारण केंद्र होना चाहिए, जिसे मनपा मुख्यालय के साथ ऑनलाईन जोडा जाना चाहिए और बायोमेट्रिक प्रणाली के जरिये सफाई कर्मचारियों की हाजरी और उनके द्वारा किये जानेवाले कामों पर प्रशासन द्वारा नजर रखी जानी चाहिए. लेकिन हकीकत में ऐसा अधिकांश झोन व प्रभागों में नहीं हो रहा. इसे प्रशासन की ही नाकामी कहा जा सकता है. जिसमें व्यापक सुधार की जरूरत है.
मिलींद चिमोटे
   स्वीकृत पार्षद

 

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  • पूरी व्यवस्था है चाक-चौबंद, काम में कोई कोताही नहीं

मनपा प्रशासन द्वारा प्रभागनिहाय स्वच्छता संबंधी कार्यों के लिए ठेकेदारों की नियुक्ति करने के साथ-साथ बिटप्युन, स्वच्छता निरीक्षक, वरिष्ठ स्वच्छता निरीक्षक, झोन अधिकारी, सहायक आयुक्त तथा स्वास्थ्य व स्वच्छता अधिकारी की पूरी व्यवस्था को काम पर लगाया गया है और जिनके जरिये अपने कामों को जिम्मेदारीपूर्ण ढंग से पूरा किया जाता है. लेकिन सबसे बडा सवाल यह है कि, जब शहर में जगह-जगह पर कचरा कंटेनर उपलब्ध कराये गये है और रोजाना सुबह कचरा संकलन के लिए हर रिहायशी इलाके में हाईड्रोलिक सुविधावाले ऑटो घुमाये जाते है, तो सडकों के किनारे, गली-मोहल्लों के छोर पर और सर्विस गलियों में कचरा कहां से आता है. जाहीर सी बात है कि, लोगबाग खुद अपने स्वास्थ्य और सुरक्षा को लेकर अपेक्षाकृत तौर पर जागरूक व सतर्क नहीं है. ऐसे में शहरवासियो को भी अपनी जिम्मेदारी समझनी होगी और यहां-वहां कचरा फेंकने से बचना होगा. तभी शहर को पूरी तरह से साफ-सूथरा रखा जा सकेगा. मनपा प्रशासन द्वारा अपनी ओर से साफ-सफाई संबंधी कामों को लेकर पूरी जिम्मेदारी के साथ काम किया जा रहा है.
      प्रशांत रोडे
आयुक्त, अमरावती मनपा

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