नागपुर प्रतिनिधि/दि.३१ – अमरावती शहर के प्रमुख व्यापारिक क्षेत्र में स्थित जीर्ण-शीर्ण हो चुकी इमारत में रहनेवाली एक दुकान को छोडकर शेष पूरी इमारत को गिरा दिया जाये. इस आशय का आदेश मुंबई उच्च न्यायालय (Mumbai High Court) की नागपुर खंडपीठ द्वारा अमरावती मनपा को दिया गया है. अमरावती निवासी सुनिता नामक महिला द्वारा दायर की गई याचिका पर न्या. झेड. ए. हक व न्या. अविनाश घरोटे की खंडपीठ के सामने सुनवाई हुई.
सुनिता नामक इस महिला की अमरावती में एक इमारत है, जो पूरी तरह से जीर्ण-शीर्ण हो चुकी है. जिसके चलते अमरावती मनपा ने २२ जून २०१८ को इस इमारत के कुछ हिस्से को दुरूस्त कर शेष हिस्से को गिरा देने हेतु नोटीस जारी की थी. किन्तु इस नोटीस पर कोई कार्रवाई नहीं हुई. पश्चात १० जनवरी २०१९ व २६ जून २०२० को दुबारा नोटीस जारी किये गये. इस संदर्भ में याचिकाकर्ता द्वारा हाईकोर्ट में गुहार लगाते हुए कहा गया कि, मनपा द्वारा जारी नोटीस के अनुसार कार्रवाई की जाये. इस इमारत में कुछ किरायेदार है, जो इस कार्रवाई का विरोध कर रहे है. साथ ही किरायेदारों व घर मालिक के बीच विवाद चल रहा है और यह मामला दिवाणी न्यायालय में विचाराधीन है. पूरी तरह से जर्जर हो चुकी इस इमारत में भास्कर वसंत जावरकर नामक व्यक्ति की दूकान है. केवल उतनाही हिस्सा अच्छी स्थिति में है.
इस मामले में पुलिस द्वारा मनपा की ओर से किये जा रहे विलंब को लेकर आश्चर्य व्यक्त किया गया है. घर मालिक द्वारा बार-बार इमारत गिराये जाने का निवेदन किये जाने के बावजूद मनपा प्रशासन की ओर से यह कहते हुए कार्रवाई नहीं की जा रही कि, उन्हें पुलिस प्रशासन की ओर से अपेक्षित सहयोग नहीं मिल रहा. जबकि इस मामले में पुलिस आयुक्त द्वारा स्पष्ट किया गया है कि, किसी भी घर को गिराने का काम पुलिस का नहीं, बल्कि खुद मनपा का है. ऐसे में अब न्यायालय में अमरावती मनपा को इस इमारत के जर्जर हिस्से को तोडकर गिराने का आदेश देते हुए कहा कि, मनपा ने कार्रवाई करने से पहले पुलिस आयुक्त से बंदोबस्त मांगना चाहिए और पुलिस महकमा भी मनपा की मांग पर आवश्यक बंदोबस्त उपलब्ध कराये. इस मामले में याचिकाकर्ता की ओर से एड. निलेश कालवाघे व अमरावती मनपा की ओर से एड. राहुल धर्माधिकारी ने पैरवी की.