बीमा लाभ पाने फर्जी कोरोना सर्टीफिकेट!
रैकेट हुआ सक्रिय, जिप सदस्य साबले ने लगाया आरोप
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सीईओ ने जांच के आदेश किये जारी, सर्वत्र हड़कंप
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जिला प्रशासन के भी कान हुए खड़े, हर जताई जा रही हैरत
अमरावती प्रतिनिधि/ दि. 23 – विगत एक माह से कोरोना संक्रमितों की संख्या में जबरदस्त इजाफा हो रहा है, जिससे शहर सहित जिले में जबरदस्त भय व चिंता की लहर है, साथ ही प्रशासन के भी हाथ पांव फूले हुए हैं. इसके अलावा स्वास्थ्य महकमे पर काम का अतिरिक्त बोझ भी पड़ा हुआ है. वहीं अब यह सनसनीखेज जानकारी सामने आ रही है कि कई लोग कोविड बीमा पॉलिसी का लाभ लेने हेतु फर्जी सर्टिफिकेटों का सहारा लेकर खुद को कोरोना पॉजीटिव दिखा रहे है, ताकि उन्हें बीमा राशि का लाभ मिल सके. यह मामला उस समय सामने आया जब सोमवार को आयोजित जिला परिषद की आमसभा के दौरान जिप सदस्य प्रकाश साबले ने आमसभा के दौरान ही आरोप लगाया कि जिला परिषद से जुुड़े कई अधिकारियों व कर्मचारियों ने फर्जी तरीके से कोविड पॉजीटीव होने का प्रमाणपत्र हासिल किया है. ताकि उन्हें बीमा पॉलिसी का लाभ मिल सके. जिप सदस्य साबले द्वारा लगाये गये इस आरोप से इस समय जिला परिषद सहित समूचे जिले में जबरदस्त हड़कंप व्याप्त है. साथ ही इस आरोप के सामने आते ही जिप अध्यक्ष बबलू देशमुख सहित जिप सीईओ अमोल येडगे ने मामले की जांच करने के आदेश जारी किये है.
यहां यह विशेष उल्लेखनीय है कि इससे पहले जब विगत वर्ष अगस्त व सितंबर माह के दौरान भी कोरोना संक्रमितों की संख्या में अचानक उछाल आया था, जब भी फर्जी तरीके से कोरोना संक्रमितों का मामला दबे स्वर में चर्चा में बना हुआ था. तब भी यह कहा गया था कि कई लोगों ने मौके का लाभ उठाने के लिए निजी बीमा कंपनियों द्वारा दी जानेवाली बीमा पॉलिसीयां खरीदी हैं और उन्हें भुनाने के लिए कुछ लैब वालों के साथ मिलीभगत करते हुए अपनी कोविड टेस्ट रिपोर्ट पॉजीटिव दर्शाई है. ऐसा करते हुए कई लोगों ने बीमा राशि का लाभ लिया है. लेकिन उस समय अधिकारिक तौर पर कोई शिकायत सामने नहीं आई थी, हालांकि इसके बावजूद जिला प्रशासन ने मामले को बेहद गंभीरता से लेते हुए इसकी अपने स्तर पर जांच शुरू की थी. वहीं अब मिनी मंत्रालय कही जाती जिला परिषद की आमसभा के दौरान प्रकाश साबले जैसे वरिष्ठ सदस्य द्वारा स्पष्ट तौर पर आरोप लगाया गया है कि कोरोना पॉजीटिव पाये गये जिला परिषद के कई अधिकारियों व कर्मचारियों की टेस्ट रिपोर्ट फर्जी है तथा ऐसी रिपोर्ट केवल बीमा लाभ लेने के लिए बनाई गई है. साबले ने यह आरोप लगाने के साथ ही यह भी कहा कि खुद उनसे एक डॉक्टर ने संपर्क कर कोविड टेस्ट रिपोर्ट पॉजीटिव देने की पेशकश की थी, ताकि वे उस रिपोर्ट के आधार पर अपनी बैंक से कोविड बीमा राशि का लाभ ले सकें. प्रकाश साबले के मुताबिक अधिकांश सरकारी व अर्धसरकारी अधिकारी व कर्मचारी इस समय बोगस कोरोना पॉजीटिव सर्टिफिकेट बनाकर लाखों की रकम ऐंठ रहे हैं.
आमसभा के दौरान सामने आए इस मामले को लेकर जिप अध्यक्ष बबलू देशमुख काफी गंभीर दिखे और उन्होंने पूरे मामले की जांच करने के आदेश जारी किये. ज्ञात रहे कि जिला परिषद के कई अधिकारियों व कर्मचारियों ने विभिन्न निजी बैंकों तथा निजी बीमा कंपनियों से कोविड बीमा पॉलिसी ले रखी है. इसके अलावा शहर सहित जिले में कई आम लोगों ने भी अपनी आर्थिक सुरक्षा सुनिश्चित करने हेतु कोविड बीमा पॉलिसियां ले रखी है. ऐसे में इस संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता है कि सरकारी लोगों के साथ साथ कई आम लोगों ने भी ऐसे ही फर्जी तरीके से बीमा लाभ पाने हेतु जानबूझकर अपनी कोविड टेस्ट रिपोर्ट को पॉजीटिव दर्शाया और इस चक्कर में कोरोना संक्रमितों की संख्या में जबर्दस्त उछाल भरती दिखाई दे रही है.
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ऐसे चलता है फर्जीवाडा
इस संदर्भ में दैनिक अमरावती मंडल द्वारा की गई पड़ताल में पता चला है कि शहर के कुछ निजी कोविड अस्पतालों व निजी टेस्ट लैब वालों ने कोविड पॉलिसी बेचनेवाली बीमा कंपनियों के अभिकर्ताओं के साथ सांठ-गांठ कर रखी है. जैसे ही कोई व्यक्ति कोविड बीमा पॉलिसी खरीदता है, उसका डेटा तुरंत ही इस फर्जीवाड़े में शामिल लोगों के पास पहुंच जाता है. जिसके बाद रैकेट में शामिल लोग उस व्यक्ति से संपर्क करते हैं और उसे बाकायदा ऑफर दी जाती है कि वह अपनी कोविड टेस्ट रिपोर्ट करवा ले, जिसकी रिपोर्ट गारंटी के साथ पॉजीटिव दी जायेगी. पश्चात वह खुद को कोविड अस्पताल में भर्ती करवा ले, इस जरिये उसे बीमा राशि का लाभ मिलेगा. जानकारी के मुताबिक कुछ बीमा पॉलिसियों में करीब ढाई लाख रूपयों तक का लाभ मिलने का प्रावधान है, जिसमें से डेढ़ लाख रूपये संबंधित बीमाधारक को मिलते है, वहीं बचे एक लाख रूपये में फर्जी रिपोर्ट देनेवाले लैब, अस्पताल व अभिकर्ता का हिस्सा होता है. जानकारी के मुताबिक विगत अगस्त सितंबर माह के दौरान शहर में निजी कोविड अस्पताल चलानेवाले एक डॉक्टर ने इसी तरीके से जमकर चांदी काटी है. पश्चात मामला खुलता देख बात को बड़े ही शातीर ढंग से दबा दिया गया था. वहीं अब जिला परिषद की आमसभा में लगे आरोप की वजह से यह मामला अधिकारिक तौर पर तूल पकड़ता दिखाई दे रहा है. ऐसे में अब यह देखनेवाली बात होगी कि जिला परिषद के साथ ही जिला प्रशासन द्वारा इस मामले में कौनसे कदम उठाये जाते है. साथ ही अब इस बात को लेकर भी संभ्रम देखा जा रहा है कि इन दिनों संक्रमितों की संख्या में जो उछाल देखा जा रहा है, वह हकीकत है या फिर बीमाराशि के चक्कर में आंकड़ा लगातार फल-फूल रहा है.