अमरावती/दि.24- घर में सभी उर्दू बोलते और वातावरण उर्दू का रहने पर भी चांदनी शाह ने मराठी के प्रति अपना लगाव कायम रखा और मराठी भाषा में एमए करते हुए संगाबा अमरावती विवि के 6 स्वर्ण पदक हासिल किए. अपनी सफलता पर चांदनी के साथ-साथ उसके पिता नूर अली शाह और मां शमीम बडे ही खुश हैं. चांदनी ने प्राध्यापक बनने के साथ एमपीएससी और स्पर्धा परीक्षा की तैयारी करने की बात कही. उसे अफसर बनने की चाहत है. अमरावती मंडल से विशेष बातचीत में चांदनी ने कहा कि बचपन से ही मराठी कविताओं के वाचन का उसे शौक था. वह प्रिवियर के पुस्तकों से पढाई करती. रोजाना 5-6 घंटे का नियमित अध्ययन रहा है. प्राथमिक शिक्षा मराठी भाषा में प्राप्त करने के बाद चांदनी ने तिवसा के लालासाहब कॉलेज से बीएड किया. ऐसे ही यशवंतराव चव्हाण मुक्त विद्यापीठ से स्नातक की उपाधि प्राप्त की. चांदनी सहित चार भाई-बहन है. घर में पढाई का अच्छा वातवरण है. चांदनी की बहन ने अर्थशास्त्र में एमए किया है. उसने संगाबा अमरावती के मराठी विभाग से एमए की पढाई पूर्ण की. वह अपनी सफलता का श्रेय माता-पिता और गुरुजनों को देती है. चांदनी ने बहुत ही प्रसन्नता और गौरव के साथ अपने पिता नूर अली शाह संग सेल्फी भी समारोहस्थल पर निकाली.
* लोगों के भरोसे का डॉक्टर बनना है गौरी को
सीए प्रशांत मल्हार की बेटी गौरी ने एमबीबीएस की पढाई अकोला शासकीय वैद्यकीय महाविद्यालय से करते हुए विद्यापीठ में 6 गोल्ड मेडल प्राप्त किए. उसने अमरावती मंडल से दीक्षांत समारोह स्थल पर संक्षिप्त वार्तालाप किया. उसने कहा कि नियमित पढाई से सफलता संभव है. गौरी ने बडी ही सहजता से कहा कि उसे आगे पीजी करना है. वह ऐसी डॉक्टर बनना चाहती है जिस पर प्रत्येक विश्वास करें. लोगों को अपने उपचार से तकलीफ, पीडा से छुटकारा दिलाना मेरा मकसद होगा. यही उद्देश्य रखकर एमबीबीएस क्षेत्र चुना और अब स्पेशालिस्ट बनना है. गौरी की मां मनीषा गृहणी है. जबकि भाई एमबीए कर रहे हैं. अपनी सफलता का राज शेयर करते हुए गौरी ने कहा कि, एग्जाम के समय वह सतत दो दिन पढाई में अपने आप को झौंक देती. शायद इसलिए उसके नंबर्स अच्छे आए हैं.