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भारत बंद में शेतकरी संगठन शामिल नहीं

  • किसान नेता जगदीश बोंडे का पत्रवार्ता में कथन

  • दिल्ली में जारी आंदोलन को किसानों के लिए बताया अहितकारी

अमरावती/प्रतिनिधि/दि.८ – दिल्ली में चल रहे किसान आंदोलन को समर्थन देने हेतु 8 दिसंबर को आहूत किये गये भारत बंद में शेतकरी संगठन बिल्कूल भी शामिल नहीं है, क्योंकि दिल्ली में चल रहा किसान आंदोलन भले ही पंजाब व हरियाणा के किसानों हेतु फायदेमंद है, लेकिन यह आंदोलन देश के अन्य राज्यों में रहनेवाले किसानों के लिए बिल्कूल भी फायदेमंद नहीं है. इस आशय का प्रतिपादन करते हुए शेतकरी संगठन के जगदीश नाना बोंडे ने कहा कि, यदि नये कृषि कानून को रद्द कर दिया गया, तो किसानों की व्यापारिक आजादी का मार्ग हमेशा के लिए बंद हो जायेगा और आगामी 50 वर्ष तक कोई भी सरकार कृषि व्यवसाय को आजादी देने का साहस नही करेगी.
स्थानीय वालकट कंपाउंड स्थित जिला मराठी पत्रकार भवन में बुलायी गयी पत्रवार्ता में उपरोक्त प्रतिपादन करने के साथ ही जगदीश नाना बोंडे ने कहा कि, इससे पहले जिस व्यवस्था ने किसानों को आत्महत्या करने पर मजबूर किया, उसी व्यवस्था को आगे भी बनाये रखने का आग्रह आंदोलकों द्वारा किया जा रहा है, यह समझ से परे है. हालांकि आंदोलनकारी किसानों की मांग के अनुसार सरकार बाजार समितियों व एमएसपी को शुरू रखने पर राजी हो चुकी है. ऐसे में आंदोलन को शुरू रखने की कोई वजह नहीं है. साथ ही कानून को ही रद्द करने की मांग पूरी तरह से गलत है. पत्रवार्ता में कहा गया कि, पुरानी व्यवस्था जारी रखने की स्थिति में किसानों को एक बार फिर बाजार समिती में ही अपना माल बेचने की अनिवार्यता रहेगी और लाईसेन्सधारक अडत व्यवसायियों की मनमानी सहन करनी होगी. वहीं दूसरी ओर ठेका पध्दतिवाली किसानी की वजह से कृषि उपज के दाम निश्चित होंगे और दरों की गारंटी भी मिलेगी. इस समय भले ही हर किसी को मल्टीनैशनल कंपनियों का भय दिखाया जा रहा है, लेकिन इन सुधारों की वजह से ग्रामीण क्षेत्र में प्रक्रिया उद्योग स्थापित होंगे. जिससे बडे पैमाने पर रोजगार के अवसर पैदा होंगे. इस बात की ओर भी सभी ने ध्यान देना चाहिए.
इस पत्रकार परिषद में शेतकरी संगठन के दिलीप भोयर, ललीत बहाडे व नितीन ठाकरे आदि उपस्थित थे.

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