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फिर तेज हुआ किसान आत्महत्याओं का सिलसिला

 कोविड संकटकाल के दौरान आर्थिक दिक्कतों में फंसा ‘बलिराजा’

  • डेढ वर्ष में 1,676 किसानों ने की खुदकुशी

अमरावती/प्रतिनिधि दि.29 –  नैसर्गिक आपत्तियों व अकाल के दुष्चक्र के साथ-साथ अब कोविड संक्रमण का भी संकट शुरू हो जाने की वजह से विदर्भ क्षेत्र के 6 जिलों में किसान आत्महत्याओं के मामले एक बार फिर बढने लगे है. वर्ष 2020 में जहां 1 हजार 638 किसानों ने आत्महत्या की, वहीं इससे एक वर्ष पहले वर्ष 2019 में 1 हजार 174 किसानों द्वारा खुद अपने ही हाथों अपनी जान ली गई थी. इसके साथ ही जारी वर्ष के पांच माह दौरान ऐसी 388 घटनाएं घटित हुई है. विभिन्न योजनाओं को शुरू किये जाने की वजह से किसान आत्महत्याओं में कमी आने का दावा करनेवाली राज्य सरकार द्वारा इन आंकडों के जरिये हकीकत को देखे जाने की जरूरत व्यक्त की जा रही है.
गत वर्ष ऐन फसल कटाई के समय हुई बारिश की वजह से कपास और सोयाबीन की फसल प्रभावित हुई और कई किसान तो सोयाबीन की बिनाई भी नहीं कर पाये. साथ ही बारिश में भीगे कपास व सोयाबीन सहित अन्य फसलों को बाजार में अपेक्षित दाम नहीं मिले. जिसकी वजह से पुराने कर्ज अदा करना भी किसानों के लिए काफी मुश्किल हो गया. ऐसे में कई किसान अपना परिवार चलाने के लिए हाथ मजदूरी करने लगे. किंतु नये सीझन में एक बार फिर बुआई के लिए पैसों की व्यवस्था की दिक्कत खडी हो गई. इन सबके बीच कोविड संक्रमण का खतरा बढने की वजह से किसानों के सामने संकट और अधिक गहरा हो गया. ऐसी तमाम बातों से तंग आकर जिले सहित समूचे विदर्भ क्षेत्र में कई किसानों ने अपने ही हाथों मौत को गले लगाने का रास्ता चुना. अकेले अमरावती जिले में वर्ष 2019 के दौरान 269 तथा वर्ष 2020 के दौरान 295 किसानों द्वारा आत्महत्या की गई. वहीं जारी वर्ष में मई माह तक पांच माह के दौरान 73 किसानों द्वारा आत्महत्या की गई है. यानी विगत डेढ वर्ष के दौरान अकेले अमरावती जिले में किसान आत्महत्या की 368 घटनाएं घटित हुई है. वहीं इन डेढ वर्ष के दौरान अकोला जिले में 207, बुलडाणा जिले में 367, वाशिम जिले में 113, वर्धा जिले में 199 तथा किसान आत्महत्याओं के लिए कुख्यात यवतमाल जिले में सर्वाधिक 422 किसान आत्महत्याएं हुई है.

  • 21 वर्ष में 18 हजार किसानों ने दी जान

विदर्भ क्षेत्र में विगत 21 वर्षों से किसान आत्महत्याओं का सिलसिला चल रहा है और इस दौरान क्षेत्र के 6 जिलों में 18 हजार 711 किसानों द्वारा आत्महत्या की जा चुकी है. जिनमें अमरावती जिले के 4 हजार 200, अकोला के 2 हजार 561, यवतमाल के 4 हजार 920, बुलडाणा के 3 हजार 338, वाशिम के 1 हजार 709 तथा वर्धा जिले के 1 हजार 983 किसानों का समावेश रहा.

  • 8 हजार 519 मामले सहायता हेतु पात्र

इन 18 हजार 711 मामलों में केवल 8 हजार 519 मामले ही सरकारी सहायता हेतु पात्र माने गये और संबंधित किसानों के परिजनों को मुआवजे की राशि दी गई. वहीं 9 हजार 847 मामले खारिज कर दिये गये. साथ ही इस समय 345 मामले जांच हेतु प्रलंबित रखे गये है.

  • वर्ष तथा जिलानिहाय आंकडे

जिला           2019     2020    2021
अमरावती       269       295      73
अकोला          124       159      48
यवतमाल       288       399    103
बुलडाणा         281      270      97
वाशिम            92        93      20
वर्धा             120       152      47
कुल          1,174     1,368    388

  • आत्महत्या मामलों में वृध्दि की वजह

– आर्थिक संकट
– कर्ज का बोझ
– अत्यल्प गारंटी मूल्य

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