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तारफुली के माध्यम से किसान कर रहे बुआई

मजदूर और पैसों की भी बचत

अमरावती/दि.१९ – विदर्भ में इस बार १५ जून से पहले ही मानसून ने दस्तक दी है. जिसके चलते विदर्भ के किसानों ने खेतों में बुआई कार्य तेजी से प्रारंभ कर दिया है. आमतौर पर किसान बुआई करने हेतू बैलजोडी व ट्रैक्टर का उपयोग करते है. लेकिन विदर्भ के कुछ किसानों ने तारफुली के माध्यम से खेतों में फसलों की बुआई करना शुरू किया है. जिसके चलते मजदूरों और पैसों की भी बचत हो रही है.
यहां पता चला है कि अमरावती जिले के तिवसा तहसील में आनेवाले मालधुर निवासी उच्चशिक्षित किसान सतीश मुंद्र ने तारफुली का उपयोग करते हुए अपने खेतों में बुआई कार्य किया है. मालधुर के रहनेवाले युवा किसान सतीश मुंद्रे ने इंजीनियरिंग की पढ़ाई की है. बावजूद इसके वह अपने गांव में खेतीबाडी कर रहा है. हाल की घडी में सतीश ने ३ एकड खेती में कपास व तुअर की बुआई की है.
आमतौर पर किसान ट्रैक्टर अथवा बैलजोडी की सहायता से बुआई करते है. ट्रैक्टर से बुआई करने पर वह गहरायी तक पहुंचती है. हालांकि अब डीजल महंगा हो जाने से ट्रैक्टर से बुआई करना भी महंगा साबित हो रहा है. वहीं बैलजोडी से बुआई करने की पद्धति अब लुप्त होते जा रही है. समय, पैसे और मनुष्य संसाधन कम लगने से सतीश मुंद्रे ने तारफुली के जरिए खेत में बुआई की है.

  • क्या है तारफुली?

खेत में बुआई करते समय तार लेकर निर्धारित दूरी पर कुछ चिन्हित किया जाता है. उन चिन्हित जगहों पर बीज बोया जाता है. इसे ही तारफुली पद्धति कहा जाता है. विदर्भ में सोयाबीन, तुअर व कपास मुख्य फसलें है. तारफुली पद्धति से युवा किसान उक्त फसलें लेकर आर्थिक बचत कर रहा है.

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