किसान समन्वय समिति व कामगार संगठन कृति समिति ने निकाला मोर्चा
लोकशाही बचाव, खेती बचाव का नारा देकर किसान सडको पर
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तीनों कृषि कानून रद्द करने की मांग
अमरावती/प्रतिनिधि दि.26 – अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति व संयुक्त कामगार संगठन कृति समिति की पहल पर 26 जून को किसान कामगारों ने दिल्ली में किसान आंदोलन के समर्थन में अमरावती के राजकमल चौक पर आंदोलन किया था. 26 जून यह आणीबाणी दिवस है, दिल्ली आंदोलन को 7 महिने पूरे हो रहे है. इस दिल्ली किसान आंदोलन के समर्थन में लोकशाही बचाव, खेती बचाव यह घोषणा देते हुए देशभर में आंदोलनकर्ता रास्तों पर उतरे है. किसान देश का अन्नदाता है. स्वतंत्रता के बाद 74 वर्षों में किसानों ने अपना उत्तरदायित्व अच्छी तरह से निभाया. कोरोना महामारी के बीच अन्य उत्पादन व्यवस्था ठप्प हुई थी तब भी खेती में किसानों ने जबर्दस्त उत्पादन किया और खाद्यान्न के भंडार खाली नहीं होने दिये. पिछले 30 वर्ष में कर्ज के बदले देशभर में 4 लाख से ज्यादा किसानों की आत्महत्या हुई हैं. अपने पसीने के दाम के तौर पर स्वामीनाथन आयोग की सिफारिशों के अनुसार उत्पादन खर्च के डेढ गुना किमान आधार भाव के अनुसार खेती माल खरीदी की गारंटी देने की मांग इस समय की गई. साथ ही केंद्र सरकार व्दारा किये गए किसान विरोधी कानून रद्द करने की मांग भी इस समय की गई. आंदोलन में किसान सभा, आप, आयटक, सीटू, सत्याग्रह शेतकरी संगठन, खेत मजदूर यूनियन, किसान ब्रिगेड, स्वाभीमानी शेतकरी संगठन समेत विविध किसान-कामगार संगठनों का समावेश था. इस समय प्रमुखता से तुकाराम भस्मे, अशोक सोनारकर, महेश देशमुख, रोशन अर्डक, रुपेश जवेरी, सुनील मेटकर, सुभाष पांडे, विजय रोडगे, महादेव गारपवार, देविदास राउत, विनोद जोशी, डी.एस.पवार, राजेंद्र भांबोरे, रमेश सोनुले, निलकंठ डोके, शरद मंगले, नंदू नेतनराव, दिलीप छापामोहन, सुनील घटाले, आनंद आमले, उमेश मेशकर, ओमप्रकाश कुटेमाटे, अमित गावंडे, जे.एम.कोठारी, चंद्रकांत बानुबाकोडे, दिगांबर नगेकर, शेखर बद्रे समेत अनेकों का समावेश हैं.