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महिला संचालक ने दी धोखाधड़ी और जालसाजी की शिकायत

कृषि उत्पन्न बाजार समिति अचलपुर का बजट घोटाला

  • 4 जून को रात 8 बजे परतवाड़ा थाने में फरियाद दी गई

परतवाड़ा/अचलपुर दि. 7 – स्थानीय कृषि उत्पन्न बाजार समिति के सभापति और सचिव ने बजट मंजूर करा लिया गया है, इस प्रकार की जानकारी सर्वसाधारण सभा मे देकर अनेक गैर व्यवहार खर्च को मान्यता देने के लिए प्रोसिडिंग बुक पर मेरे हस्ताक्षर करवाए गए. महाराष्ट्र राज्य कृषि पणन मंडल पुणे के विभागीय कार्यालय अमरावतीं से पिछले दो वर्षों में किसी भी प्रकार के बजट को मान्यता नहीं लेते हुए करोड़ो रूपये के असंख्य आर्थिक व्यवहार किये गए. सभा मे उपस्थित सभी संचालको को सचिव पवन भी. सार्वे और सभापति अजय म. पाटिल द्वारा यह जानकारी दी जाती थी कि पणन संघ से बजट को स्वीकृति मिल चुकी है. ऐसा कहने के बाद गैरवाजिब और नियमबहाय खर्चो पर मेरी स्वाक्षरी लेकर मुझे फंसाया गया. मुझे गलत जानकारी देकर मेरे साथ जालसाजी की गई. हकीकत में बजट को स्वीकृति प्राप्त होना तो दूर की बात है, विगत दो वर्षों में कृषि मंडी के सभापति और सचिव ने अर्थसंकल्पीय विवरण तैयार कर उसे पणन महासंघ की साइट पर ऑनलाइन प्रस्तुत करना भी जरूरी नही समझा था. इस आशय की शिकायत अचलपूर फसल मंडी में संचालक पद पर रहनेवाली वर्षा नितीन पवित्रकार द्वारा परतवाडा पुलिस थाने में दर्ज करायी गयी है. साथ ही कहा गया है कि, इसके लिए यदि पुलिस बाजार समिति का संपूर्ण प्रोसिडिंग बुक, आवक-जावक रजिस्टर की छानबीन करती है, तो अन्य विषयो के प्रस्ताव भी पारित कर सभापती अजय पाटील व सचिव पवन सार्वे द्वारा की गई मनमानी और जालसाजी का पता चल जायेगा.
अचलपुर तहसील अंतर्गत खांजमानगर निवासी मंडी संचालिका वर्षा नरेंद्र पवित्रकार ने अपनी शिकायत में लिखा है कि वे वर्ष 2015 से एपीएमसी की सदस्य के रूप में कार्यरत है. संस्था के संपूर्ण वर्ष का उत्पन्न और खर्च का अर्थसंकल्प हर साल महाराष्ट्र राज्य कृषि पणन मंडल के अमरावती स्थित विभागीय कार्यालय से पारित करवाना बंधनकारक होता है. बजट को स्वीकृति प्राप्त होने के बाद ही अगले वर्ष में किये गए खर्च को कानूनन किया खर्च कहा जा सकता है. इसके लिए कृषि मंडी की आय व खर्च का ब्यौरा तैयार कर उसे संचालक मंडल की सर्व साधारण सभा मे मंजूरी दिलवाना और बाद में उसे पणन महासंघ के विभागीय कार्यालय ,अमरावतीं से भी मंजूरी प्राप्त होने के बाद ही अगले वर्ष में कानूनी तौर पर निधि खर्च करने की जवाबदारी सचिव और सभापति की होती है. पिछले 6 वर्षों में हर साल जनवरी माह में संचालको की साधारण सभा मे अर्थसंकल्प प्रस्तुत कर उसका प्रस्ताव मंजूर कराया जाता था. बाद में उसे पणन महासंघ पुणे,विभागीय कार्यालय अमरावतीं से स्वीकृति मिल चुकी है, इस आशय की जानकारी कृषि मंडी के सभापति और सचिव के द्वारा सभी संचालको की दी जाती थी. इसी प्रकार की जानकारी सन 2020-21 और 2021-22 के अर्थ संकल्प के लिए सचिव और सभापति ने साधारण सभा मे दी थी. किंतु अब पता चला है कि, विगत दो वर्षों का अर्थसंकल्प मंजूर करवाना तो दूर, उसे योग्य स्वीकृति के लिए पणन महासंघ के सामने प्रस्तुत भी नही किया है. जबकि विभागीय कार्यालय अमरावतीं ने बारबार कृषि मंडी को अर्थसंकल्प को मंजूरी के लिए पणन संघ के पास प्रस्तुत करने का स्मरण करवाया है. यह जानकारी खुद पणन संघ ने 19 मई को राहुल कडू
(केदारनगर, देवमाली) को लिखित रूप से दी है. इससे यह स्पष्ट है कि कृषि मंडी के सभापति और सचिव ने अर्थसंकल्पीय विवरण पारित करवाने के लिए अर्थसंकल्प प्रस्तुत ही नही किया है.
पवित्रकार ने अपनी शिकायत में स्पष्ट लिखा है कि सभापति और सचिव ने गैरकानूनी ढंग से करोड़ो रूपये खर्च किये और समय-समय पर हुई सर्व साधारण सभा मे बजट पारित होने की गलत और झूठी जानकारी देकर खर्च के अनेक प्रस्तावों पर संचालक होने के नाते उनके हस्ताक्षर लिये गये और उनके साथ जालसाजी की गई.

  • आर्थिक घोटाले की जांच के लिए ऑडिट कराएंगे

कृषि उत्पन्न बाजार समिति अचलपुर की संचालक वर्षा पवित्रकार ने थाने में शिकायत दर्ज कराई है. उक्त मामला आर्थिक गबन, घोटाला अथवा आर्थिक गैर व्यवहार में आता है. कृषि मंडी सभापति और सचिव ने आर्थिक रूप से घोटाला किया है अथवा नही. इस हेतु कृषि मंडी के जमा-खर्च का अंकेक्षण करवाया जायेगा. ऑडीटर से प्राप्त रिपोर्ट के आधार पर पुलिस आगे की कार्रवाई करेंगी. योग्य तथ्य, सबूत मिलने पर ही मामला दर्ज किया जायेगा.
सदानंद मानकर,
थानेदार, परतवाड़ा

  • गैरकानूनी और अवैध खर्च के हिसाब का ऑडिट कैसा?

यद्यपि पुलिस अपनी कार्रवाई की जानकारी देते हुए लेखा परीक्षण करने की बात कह रही है. वहीं इस बारे में राहुल कडू का कहना है कि बजट को मंजूरी मिलने के बाद किये गए खर्च का ऑडिट किया जाता है. यहां चूंकि बजट प्रस्तुत ही नही किया गया, तो पुलिस किस हिसाब का ऑडिट करवाएंगी और अवैध व गैरकानूनी खर्च के हिसाब का ऑडिट कैसे किया जायेगा. बता दें कि, कृषि उत्पन्न बाजार समिति के बजट के संदर्भ में महाराष्ट्र कृषि उत्पन्न खरीदी -बिक्री (विकास व विनियमन) अधिनियम 1963 की कलम 112 (1) में स्पष्ट लिखा है कि बाजार समिति को आगामी वर्ष का बजट हर साल 31 जनवरी से पूर्व पणन संघ अथवा प्रधिकृत अधिकारी को प्रस्तुत करना बंधनकारक है. इस बजट में प्रशासकीय व विकास के सभी खर्च को शामिल करना जरूरी है. बजट को संस्थापित किये कलम 39 प्रपत्र में ही प्रस्तुत करना अनिवार्य है. पणन महासंघ की मान्यता के लिए 31 जनवरी से पहले ही अर्थसंकल्प प्रस्तुत करना होता है. बाजार समिति वर्ष में एक बार पूरक अर्थ संकल्प भी तैयार कर सकती है. इसे भी निर्धारित प्रपत्र में ही पेश किया जा सकता. इसे भी पारित करवाना बंधनकारक है. पणन मंडल को अर्थसंकल्प में संशोधन अथवा उसे रद्द करने को कहा जा सकता है, किंतु इसके लिए कोई भी कारण लिखित में प्रस्तुत करना होता है. किसी भी विषय पर बजट प्रावधान से ज्यादा खर्च करने का कृषि मंडी को कोई अधिकार नही है. किसी मद अथवा हेड पर खर्च के बाद भी रकम शेष रहने पर उसका पुनर्विनियोजन कर उसकी भी अतिरिक्त मंजूरी पणन संघ अथवा प्रधिकृत अधिकारी से लेनी होती है. यदि बाजार समिति बजट को जुलाई से पूर्व अथवा दी गई अवधि तक पेश नही करती तो उपनियम (3) के अनुसार संचालक को अर्थसंकल्प भेजना होता है. किसी विषय पर पूरक अर्थसंकल्प अथवा बजट को विधिवत प्रपत्र में ही प्रस्तुत किया जाना चाहिए. पणन मंडल यह खुद कृषि उत्पन्न बाजार समिति से हिसाब-खर्च का कोई भी दस्तावेज, जानकारी मंगवाने के किये और नियमो का पालन हुआ है अथवा नही इसकी जांच करने को सक्षम है. जिस कार्य के लिए आवश्यक दस्तावेज, रेखाचित्र, नक्शे और अंदाजीत खर्च पूर्व में ही दिए गए उन्हें दुबारा प्रस्तुत नहीं करना होंगा. बाजार समिति को तैयार किये गए निर्माण कार्य की डिजाइन, नक्शे यह सबकुछ उन्ही के द्वारा नियुक्त इंजीनियर से पारित करवाकर प्रस्तूत करना होता है और 5 हजार रुपये से कम खर्च के नक्शे और अंदाज को सभापति से मंजूरी लेकर खर्च किया जा सकता है. 5 हजार से ज्यादा खर्च को बाजार समिति की मान्यता लेनी होती है, किंतु यदि खर्च 50 हजार रुपये से ज्यादा का हो, तो फिर उसे संचालको से स्वीकृति दिलवानी होती है. सभी कामो पर सभापति की अथवा सभापति द्वारा प्रधिकृत किसी व्यक्ति द्वारा देखरेख, सुपरविजन किया जाना चाहिए. सभी कार्य कृषि मंडी सदस्यों की देखरेख में करना अनिवार्य है. कृषि मंडी को सभी खर्च का विवरण पणन संघ द्वारा जारी कैशबुक नमूना 16 और जनरल लेजर नमूना 17 में दर्ज करना भी जरूरी है.

  • दो वर्षों का बजट अब स्वीकृत नही होगा

कृषि उत्पन्न बाजार समिति को दी गई अवधि में अपना बजट न तो प्रस्तुत कर सकी और ना ही उसे पारित करवा पाई है. सहकार क्षेत्र के जानकारों और विशेषज्ञों के अनुसार अब इस बजट को पणन महासंघ से किसी भी सूरत में मान्यता नहीं मिलना है. यदि बजट सिर्फ एक वर्ष अवधि का भी प्रलंबित रहता था, तो भी उसे पास करवाने के लिए एपीएमसी को ठोस कारण देना पड़ता कि किस वजह से उन्हें बजट पेश करने में विलंब हुआ है? यहां तो दो वर्षों के उत्पन्न और ख़र्च का सवाल है. करोड़ो रूपये का घोटाला हो चुका. अधिकांश संचालको को गुमराह कर, उनकी दिशाभूल कर प्रोसिडिंग बुक पर उनकी स्वाक्षरी लेकर जालसाजी का यह मामला है. कृषि मंडी अचलपुर में सरलसेवा भर्ती के लिए भी एक जिम्मेदार समिति की फर्जी सभा लेनी की चर्चा भी सुनने को मिल रही है. बताते है कि संचालक मंडल की उक्त उपसमिति के प्रस्ताव के बगैर लता बाजपेयी, लांडे, तट्टे एंड कंपनी की नियुक्ति नहीं की जा सकती थी. इसके लिए जिम्मेदार उपसमिति को सिर्फ कागजो पर सभा लेकर प्रस्ताव पारित किया गया. प्रोसिडिंग पर उपसमिति के सभापति और दो अन्य संचालको के फर्जी हस्ताक्षर भी किये गए. इसी प्रस्ताव के आधार पर पदभर्ती घोटाला किया गया.

  • हमने बजट मंजूरी के लिए भेजा था

इस संदर्भ में अचलपुर फसल मंडी के सचिव पवन सार्वे का कहना रहा कि, मंडी समिती की ओर से पणन मंडल के विभागीय कार्यालय को गत वर्ष बजट मंजूरी के लिए भेजा गया था. किंतु वहां से कुछ कारणों के चलते मंजूरी नहीं मिली. ऐसे में यह कहना गलत है कि, अचलपुर फसल मंडी ने पणन मंडल को अपना बजट पत्र ही नहीं भेजा. संचालक पवित्रकार द्वारा पुलिस में दी गई शिकायत पूरी तरह से गलत है और उन्होंने पूरी जानकारी रहने के बाद ही बजट को लेकर बुलायी सभा के दौरान अपने हस्ताक्षर किये थे.

वहीं इस मामले में मंडी संचालक सतीश व्यास ने मंडी प्रशासन का पक्ष लेते हुए कहा कि, मंडी प्रशासन की ओर से किसी भी तरह की अनियमितता नहीं की गई है. गत वर्ष का बजट मंजूरी हेतु भेजा गया था. किंतु कुछ त्रृटियों के चलते शायद उसे पणन मंडल की मंजूरी नहीं मिली. वहीं इसके बाद विगत एक वर्ष से कोविड संक्रमण के चलते लॉकडाउन जारी है. ऐसे में सारा कामकाज ठप्प पडा हुआ है. अत: बजट अथवा किसी अन्य विषय को लेकर कोई मिटींग या प्रोसेडिंग करने का सवाल ही नहीं उठता.

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