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शिक्षा के नाम पर अभिभावकों की आर्थिक लूट बर्दाश्त नहीं की जायेगी

  • जल्द से जल्द प्रत्यक्ष शिक्षा शुरू करने प्रयास जारी

  • शिक्षा संस्थाओं व कोचिंग क्लासेस संचालकों पर हमारी पैनी नजर

  • विशेष साक्षात्कार में बोले राज्यमंत्री बच्चू कडू

अमरावती/प्रतिनिधि दि.२७  – इस समय कोरोना का संक्रमण पूरी तरह से खत्म नहीं हुआ है और खतरा अभी टला नहीं है. ऐसे में राज्य की शालाएं कब तक खुलेगी, यह फिलहाल तय नहीं है. यदि आगामी एक-दो माह में शालाएं प्रत्यक्ष तौर पर नहीं खुल पायी, तो मौजूदा शैक्षणिक सत्र को जारी रखते हुए मार्च-अप्रैल माह में वार्षिक परीक्षाएं लेने का कोई औचित्य नहीं रहेगा. क्योंकि बच्चों की कक्षाओं में पाठ्यक्रम की पढाई भी पूरी नहीं हो सकेगी. ऐसे में ज्यादा बेहतर रहेगा कि, हम शैक्षणिक सत्र को नये सिरे से गठित करेें और जनवरी से दिसंबर माह तक के शैक्षणिक सत्र की नई परंपरा शुरू करे. फिलहाल इसके अलावा अन्य कोई दूसरा रास्ता तो दिखाई नहीं दे रहा. इस आशय का प्रतिपादन राज्य के शालेय शिक्षा राज्यमंत्री बच्चू कडू ने किया.
दैनिक अमरावती मंडल के साथ विभिन्न विषयों को लेकर विशेष तौर पर बातचीत करते हुए राज्यमंत्री बच्चू कडू ने उपरोक्त प्रतिपादन करने के साथ ही कहा कि, इन दिनों यद्यपि सरकार द्वारा ऑनलाईन शिक्षा प्रदान करने की अनुमति दी गई है, लेकिन राज्य में हर एक व्यक्ति के पास अपने बच्चों को ऑनलाईन शिक्षा की सुविधा उपलब्ध कराने के लिए महंगे स्मार्ट फोन मोबाईल व लैपटॉप नहीं है. और इन चीजों की व्यवस्था करने के लिए पर्याप्त पैसा भी नहीं है. ऐसे में ऑनलाईन शिक्षा का फायदा केवल साधन संपन्न परिवारों के बच्चों को ही मिल रहा है तथा आम गरीब परिवार के बच्चे इस सुविधा से वंचित है. ऐसे में इस व्यवस्था को पूरी तरह से प्रभावी विकल्प नहीं कहा जा सकता. इस समय जहां एक ओर केंद्र सरकार शालाएं खोलने को लेकर सकारात्मक रूख दर्शा रही है, वहीं राज्य सरकार द्वारा केंद्र के प्रयासों का विरोध किया जा रहा है.
इस ओर ध्यान दिलाये जाने पर राज्यमंत्री बच्चू कडू ने कहा कि, राज्य सरकार भी स्कूलों को खोलने के विषय को लेकर पूरी तरह से अनुकूल है. लेकिन महाराष्ट्र में अन्य राज्यों की तुलना में हालात काफी अलग है और यहां पर शालाओं को दोबारा खोलने हेतु बच्चों की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए काफी व्यवस्थाएं करनी होगी. जिसमें वक्त लगना तय है. ऐसे में शिक्षा क्षेत्र को लेकर नये संशोधनात्मक ढंग से नई संकल्पनाओें पर काम करना होगा, ताकि जनवरी माह से पहले-पहले प्रत्यक्ष शिक्षा शुरू हो सके. इस समय ऑनलाईन पाठ्यक्रम शुरू करनेवाली सभी शालाओं द्वारा अपने यहां पढनेवाले बच्चों से भारी-भरकम शुल्क वसूला जा रहा है, जबकि शालाएं पूरी तरह से बंद है. इस ओर ध्यान दिलाये जाने पर शालेय शिक्षा राज्यमंत्री बच्चू कडू ने कहा कि, सभी निजी शालाएं धर्मदाय ट्रस्ट अधिनियम के तहत अस्तित्व में आयी है. यह बात शिक्षा संस्था संचालकों ने ध्यान में रखना चाहिए और शिक्षा का व्यापार नहीं करना चाहिए. उन्होंने कहा कि, सरकार द्वारा निजी शिक्षा संस्थाओं हेतु जो शिक्षा शुल्क की दरें तय की गई है, सभी संस्थाओं ने अपने यहां पढनेवाले बच्चों से उतना ही शुल्क लेना चाहिए.
यदि इसके अलावा शुल्क लिया जाता है, तो संबंधितों के खिलाफ आवश्यक कानूनी कार्रवाई की जायेगी. उन्होंने बताया कि, उन्होंने अकोला जिले में ऐसी कई शिक्षा संस्थाओं व निजी कोqचग संस्थाओें के संचालकोें के खिलाफ अपराध दर्ज करवाया है. साथ ही यह कार्रवाई राज्य के अन्य जिलों में भी की जायेगी. राज्यमंत्री बच्चू कडू के मुताबिक राज्य में कही पर भी शिक्षा के नाम पर आर्थिक लूट बर्दाश्त नहीं की जायेगी.

सोयाबीन में गफलत हुई

पर बाकी फसले शानदार राजनेता रहने के साथ ही खेती-किसानी संबंधित विषयों पर मजबूत पकड रखनेवाले जलसंपदा विभाग के राज्यमंत्री बच्चू कडू से जब सरकार द्वारा कृषि क्षेत्र के विकास हेतु किये जा रहे कामों के बारे में पूछा गया, तो उन्होेंने कहा कि, इस वर्ष बारिश बेहद समाधानकारक हुई है. जिसकी वजह से फसलों की स्थिति काफी अच्छी है. उन्होंने स्वीकार किया कि, इस बार सोयाबीन के बीजों को लेकर काफी हद तक गफलत हुई है, लेकिन सोयाबीन के अलावा अन्य सभी फसलें बेहद शानदार है. इसके अलावा राज्यमंत्री बच्चू कडू का कहना रहा कि, सरकार की ओर से किसानों के लिए बेहद शानदार योजनाएं बनायी जा रही है.
ऐसे में यह बेहद जरूरी है कि, कृषि विभाग में निचले स्तर के अधिकारी व कर्मचारी अपनी जिम्मेदारियों का निर्वहन गंभीरतापूर्वक करे. उन्होंने कहा कि, अधिकांश कृषि सेवक खेतों में जाकर फसलों का मुआयना करने की बजाय गांव की चौपाल तक जाकर ही अपनी जिम्मेदारी पूरी कर लेते है. वहीं कृषि पर्यवेक्षक व कृषि विस्तार अधिकारी सहित तहसील कृषि अधिकारी कई बार अपने कार्यालय से ही बाहर नहीं निकलते. कामकाज के इस तरीके को बदलना होगा. इसके साथ ही उन्होंने कहा कि, कर्ज माफी को लेकर सरकार ने काफी शानदार काम किया है. हालांकि इससे सभी को पूरी तरह राहत नहीं मिली है. लेकिन काफी हद तक सहूलियत देने में हम कामयाब रहे. वहीं इस बार पहली दफा कपास सहित चना, तुअर व मूग की रिकॉर्ड व बंपर खरीदी हुई है.

सिंचाई क्षमता बढाना पहली प्राथमिकता

इस बातचीत के दौरान जलसंपदा राज्यमंत्री बच्चू कडू ने कहा कि, qसचाई के लिहाज से पिछडे हुए विदर्भ क्षेत्र के हर एक जिले में qसचाई क्षमता को बढाना उनकी पहली प्राथमिकता है. राज्यमंत्री कडू के मुताबिक पिछली सरकार में विदर्भ क्षेत्र से मुख्यमंत्री रहने के बावजूद विदर्भ की qसचाई क्षमता में एक प्रतिशत की भी वृध्दी नहीं हुई. वहीं वे अमरावती जिले सहित समूचे विदर्भ क्षेत्र की qसचाई क्षमता को बढाने हेतु कृतसंकल्प है. साथ ही इस समय पूर्णा प्रकल्प की ओर पूरा ध्यान दे रहे है.

कामगार कानूनों में संशोधन व बदलाव जरूरी

कामगार विभाग के राज्यमंत्री पद का जिम्मा रखनेवाले बच्चू कडू ने कहा कि, लंबे समय से राज्य में कामगार कानूनों की समीक्षा नहीं हुई है. ऐसे में यह बेहद जरूरी है कि, बदलते वक्त की जरूरत एवं समस्याओं को देखते हुए कामगार कानूनों में आवश्यक बदलाव व संशोधन किये जाने की जरूरत है, ताकि कामगारों के रोजगार की सुरक्षा को सुनिश्चित किया जा सके.

रिकवरी रेट में अकोला सबसे आगे

कुछ समय पूर्व तक अकोला जिले को पश्चिम विदर्भ क्षेत्र में कोरोना संक्रमण के लिहाज से हॉटस्पॉट माना जा रहा था, लेकिन अब वहां पर कोरोना संक्रमण की रफ्तार लगभग थम गयी है. इस ओर ध्यान दिलाये जाने पर अकोला जिले के पालकमंत्री बच्चू कडू ने कहा कि, अकोला जिले में संभावित खतरे को भांपते हुए कोरोना टेस्टिंग की संख्या बढाई गयी और अकोला शहर सहित जिले के सभी बडे गांवों में अधिकांश लोगोें की स्वास्थ्य जांच की गई. जिसके चलते कोरोना संक्रमण की चपेट में आ चुके लोगों को तुरंत ही चिन्हीत किया जा सका और उन्हें आयसोलेट करते हुए उनका इलाज शुरू किया गया. इससे अन्य लोगों में कोरोना नहीं फैल सका. साथ ही समय पर इलाज शुरू होने की वजह से उतनी ही तेजी के साथ कोरोना संक्रमित मरीज ठीक होकर अपने घर लौटे. जिसके चलते आज रिकवरी रेट के मामले में अकोला जिला समूचे राज्य में अव्वल स्थान पर है. उन्होंने कहा कि, कोरोना एक अदृश्य दुश्मन है. जिससे निपटने के लिए हमें कोरोना टेस्टिंग की संख्या को बढाना होगा, ताकि संक्रमण की चपेट में आ चुके लोगोें को जल्द से जल्द अन्य लोगों के संपर्क से दूर किया जा सके. साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि, सरकार एवं प्रशासन इस खतरे की चुनौती से निपटने के लिए भरपूर काम कर रहे है और सबसे प्रमुख जिम्मेदारी खुद आम नागरिकों की है. यदि लोगबाग गंभीरतापूर्वक प्रशासनिक दिशानिर्देशों एवं कोरोना प्रतिबंधात्मक उपायों का पालन करे, तो हालात को जल्द से जल्द नियंत्रित किया जा सकता है.

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