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90 फीसद आस्थापनाओं में फायर ऑडिट नहीं

अग्निशमन विभाग के काम पर उठ रहे सवाल

  • न जानकारी, न नोटीस, न दंड

अमरावती/प्रतिनिधि दि.6 – विगत दिनों स्थानीय राजापेठ परिसर स्थित होटल इम्पिरिया में लगी आग में एक व्यक्ति की मौत होने के बाद सभी आस्थापनाओं व प्रतिष्ठानों में फायर ऑडिट व अग्निशमन यंत्रों की उपलब्धता के मसले पर चर्चा होनी शुरू हुई. साथ ही मनपा के अग्निशमन विभाग के कामकाज को लेकर सवालिया निशान भी उठने शुरू हुए. हालांकि इस अग्निकांड के लिए पूरी तरह से होटल मालिक को जिम्मेदार बताते हुए मनपा ने अपनी जिम्मेदारी से पल्ला झाडने का प्रयास शुरू किया है. किंतु हकीकत यह है कि, शहर के करीब 90 फीसद प्रतिष्ठान व आस्थापनाएं ऐसे है, जहां अग्निशमन यंत्रों की व्यवस्था उपलब्ध नहीं है और उनका अब तक फायर ऑडिट भी नहीं हुआ है. साथ ही उन्हें अग्निशमन विभाग की ओर से न तो कोई नोटीस दी गई है और न ही ऐसे किसी भी आस्थापना पर कोई दंड ही लगाया गया है. सबसे हैरत-अंगेज और खतरनाक स्थिति यह है कि, ऐसे आस्थापनाओं के बारे में मनपा के अग्निशमन विभाग के पास कोई जानकारी भी नहीं है.
उल्लेखनीय है कि, शहर में सभी अस्पतालों, कोचिंग क्लासेस, शॉपिंग मॉल व बहुमंजिला इमारतों सहित हर एक व्यापारिक प्रतिष्ठान में अग्निशमन यंत्रों की व्यवस्था रहना बेहद जरूरी है. साथ ही उन्हें इस संदर्भ में फायर ऑडिट करवाते हुए अग्निशमन विभाग से ना हरकत प्रमाणपत्र लेना भी अनिवार्य होता है और यदि किसी आस्थापना या प्रतिष्ठान द्वारा ऐसा नहीं करवाया जाता, तो अग्निशमन विभाग द्वारा संबंधितों के खिलाफ कार्रवाई किया जाना अपेक्षित है. किंतु कितने प्रतिष्ठानों में अग्निशमन व्यवस्था उपलब्ध है अथवा नहीं इसकी कोई जानकारी ही अग्निशमन विभाग के पास नहीं है और जब भी वर्गीकरण का मसला आता है, तो अग्निशमन विभाग द्वारा अन्य विभागों की ओर उंगली निर्देश किया जाता है. ऐसे में सबसे बडा सवाल यह है कि, क्या अग्निशमन विभाग केवल आग बुझाने के काम तक ही सीमित है और यदि फायर ऑडिट करवाने की जवाबदारी केवल आस्थापना धारकों की है, तो फायर ऑडिट का रिपोर्ट प्राप्त करने फायर ऑडिट नहीं करवाने पर नोटीस जारी करने और तय समयावधि के भीतर फायर ऑडिट करवाने की जिम्मेदारी किसकी है, यह सवाल भी पैदा होता है.

  • किसके लिए जरूरी है फायर ऑडिट

महाराष्ट्र आग प्रतिबंधक व जीव संरक्षक उपाय योजना अधिनियम 2006 के अनुसार सभी सरकारी कार्यालयों, व्यवसायिक इमारतो, औद्योगिक इमारतों, गोदाम, संमिश्र प्रयोगवाली इमारतों तथा 15 मीटर से अधिक उंची इमारतों में अग्नि प्रतिबंधात्मक व्यवस्था उपलब्ध कराने के साथ-साथ फायर ऑडिट करवाना भी बेहद जरूरी है. किंतु पाया गया है कि, सरकारी इमारतों को छोडकर अधिकांश इमारतों का फायर ऑडिट ही नहीं हुआ है. साथ ही कई सरकारी कार्यालयों में भी वहां पर लगाये गये अग्निशमन यंत्रों की एक्सपायरी डेट खत्म हो गई है. ऐसे में सीधे-सीधे अग्निशमन विभाग द्वारा फायर ऑडिट को लेकर किये जानेवाले कामों पर सवालिया निशान लगते दिखाई दे रहे है.

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एमआयडीसी में स्थित एक कारखाने तथा राजापेठ स्थित होटल में लगी आग के बाद मैने खुद प्रत्यक्ष घटनास्थल पर भेंट दी. इस समय फायर ऑडिट का मसला पूरी तीव्रता के साथ महसूस हुआ. सभी संबंधित आस्थापनाओं को चाहिए कि, वे जल्द से जल्द अपना फायर ऑडिट करवाये. अन्यथा उनके खिलाफ कडी कार्रवाई की जायेगी. इसे लेकर प्रशासन को भी आवश्यक निर्देश दिये गये है.
चेतन गावंडे
महापौर,मनपा, अमरावती.

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