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इर्विन सहित 17 अस्पतालों में अग्निशमन यंत्रणा को मान्यता

अलग-अलग अस्पतालों में आग लगने

अमरावती/दि.7- जारी वर्ष के दौरान जनवरी से नवंबर तक 11 माह में राज्य के अलग-अलग अस्पतालों में आग लगने के चलते 72 मरीजों की मौत हुई. आग लगने की सबसे प्रमुख वजह शॉर्टसर्किट व ऑक्सिजन लीकेज को बताया गया. ऐसे में सभी सरकारी अस्पतालों में अग्निशमन यंत्रणा की उपलब्धता को लेकर सवाल उठाये गये. साथ ही कई अस्पतालों में अग्निशमन यंत्रणा को लेकर विभिन्न तरह की समस्याएं रहने की जानकारी भी सामने आयी. जिसके पश्चात राज्य के सार्वजनिक स्वास्थ्य विभाग की नींद खुली और अब सभी सरकारी अस्पतालों में प्रभावी अग्निशमन व्यवस्था उपलब्ध कराने का निर्णय लिया गया. जिसके तहत अमरावती के जिला सामान्य अस्पताल सहित 17 सरकारी अस्पतालों में अग्निशमन व्यवस्था हेतु 5.49 करोड रूपयों के खर्च को मान्यता दी गई है.

* अस्पतालनिहाय प्रशासकीय मान्यता (रूपये)

जिला सामान्य अस्पताल – 26,86,300
जिला स्त्री अस्पताल – 24,50,500
उप जिला अस्पताल, धारणी – 77,90,200
ट्रामा केअर, परतवाडा – 13,15,660
उपजिला अस्पताल, अचलपुर – 77,63,383
ग्रामीण अस्पताल, दर्यापुर – 77,96,398
ग्रामीण अस्पताल, मोर्शी – 32,04,120
ग्रामीण अस्पताल, चांदूर रेल्वे – 20,09,782
ग्रामीण अस्पताल, चांदूर बाजार – 21,65,526
ग्रामीण अस्पताल, वरूड – 22,93,781
ग्रामीण अस्पताल, भातकुली – 21,58,184
ग्रामीण अस्पताल, तिवसा – 29,09,899
ग्रामीण अस्पताल, अंजनगांव सुर्जी – 22,33,162
ग्रामीण अस्पताल, चिखलदरा – 07,68,931
ग्रामीण अस्पताल, नांदगांव खंडे. – 20,24,631
ग्रामीण अस्पताल, चुरणी – 25,89,464
ग्रामीण अस्पताल, धामणगांव – 25,14,138

* 5.49 करोड को मान्यता

जिला सामान्य अस्पताल व जिला स्त्री अस्पताल सहित उपजिला अस्पतालों व ग्रामीण अस्पतालों में अग्निशमन व्यवस्था स्थापित करने का प्रस्ताव स्वास्थ्य सेवा संचालनालय द्वारा 25 जून को सार्वजनिक स्वास्थ्य विभाग के पास सौंपा गया था. जिस पर सार्वजनिक स्वास्थ्य विभाग द्वारा 7 अक्तूबर को अपनी मूहर लगाते हुए इस कार्य हेतु 5.49 करोड रूपये के बजट व कार्य प्रारूप को प्रशासकीय मान्यता दी गई.

* जिला शल्य चिकित्सक पर जिम्मेदारी

अग्निशमन व्यवस्था से संबंधित काम के लिए जगह की उपलब्धता, योग्यता तथा जगह पर्याप्त है अथवा नहीं आदि बातों की पुष्टि संबंधित स्वास्थ्य संस्था प्रमुख द्वारा की जानी है. साथ ही निर्माण संबंधी अनुमति व भोगवटा प्रमाणपत्र प्राप्त करने की जवाबदारी भी जिला शल्य चिकित्सक पर रहेगी.

* यहां मचा था मृत्यु का महातांडव

जारी वर्ष के दौरान 9 जनवरी को भंडारा के जिला अस्पताल के शिशू केअर यूनिट में आग लगने के चलते 10 नवजात बच्चों की जलकर मौत हो गई थी. पश्चात 26 मार्च को भांडूप स्थित कोविड अस्पताल में आग लगने से 11 मरीजों की, नागपुर के वाडी स्थित कोविड केयर सेंटर में आग लगने से 4 मरीजों की, 21 अप्रैल को नासिक के डॉ. जाकीर हुसैन अस्पताल में आग लगने से 24 मरीजों की, 23 अप्रैल को विरार स्थित विजयवल्लभ अस्पताल के अतिदक्षता विभाग में आग लगने से 13 मरीजों की तथा 6 नवंबर को अहमदनगर जिला अस्पताल के अति दक्षता विभाग में आग लगने से 11 मरीजों की जलकर मौत हुई थी. विभिन्न स्थानों पर लगी आग में 72 मरीजों की जलकर मौत होने की घटनाओं के मद्देनजर अब सभी सरकारी अस्पतालों में अग्निशमन व्यवस्था को चुस्त-दुरूस्त किया जा रहा है.

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