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फ्लाय ओवर पूरी तरह फिट, सांधे की रबर पैकिंग उखडी

उडान पुल पर दो स्लॉट के बीच भरी जाती है लिक्वीड रबर की पैकिंग

* हर 12 साल में पैकिंग को बदलना होता है जरुरी, प्रशासन ने ध्यान नहीं दिया
* फ्लाय ओवर को बने हुए हो गए है 15 साल, एक बार भी पैकिंग नहीं बदली
* लगातार आवाजाही के चलते पैकिंग हो गई थी खराब
* कल रात डीजे के वाईब्रेशन से गिर गई पैकिंग
* आज सुबह संभाजीनगर से आए स्थापत्य विशेषज्ञ ने किया मुआयना
* सार्वजनिक लोकनिर्माण ने फ्लाय ओवर को पूरी तरह से बताया सुरक्षित
* फ्लाय ओवर के ढहने व टूटने की संभावनाओं को किया सिरे से खारिज
अमरावती/दि.31 – कल रात से आज सुबह तक समूचे शहर में इस बात को लेकर अच्छी खासी चर्चा चल रही थी कि, राजकमल चौक के उपर से होकर गुजरने वाले फ्लाय ओवर में दरार आ गई है. साथ ही यहां तक कहा जा रहा था कि, इस फ्लाय ओवर के काम में भारी भ्रष्टाचार हुआ है और यह फ्लाय ओवर कभी भी गिर सकता है. लेकिन ऐसी तमाम चर्चाओं व अफवाहों पर आज दोपहर उस समय विराम लग गया. जब फ्लाय ओवर का निर्माण करने के साथ ही इसकी देखरेख का जिम्मा रहने वाले सार्वजनिक लोकनिर्माण विभाग के स्थापत्य विशेषज्ञों व अधिकारियों ने इस फ्लाय ओवर का मुआयना करते हुए इसे उपयोग में लाए जाने हेतु पूरी तरह से फीट बताया. साथ ही यह भी कहा कि, फ्लाय ओवर में कोई दरार नहीं पडी है. बल्कि जिसे दरार समझा जा रहा है, वह फ्लाय ओवर के दो स्लॉट या सेग्नमेंट के बीच जानबूझकर छोडी जाने वाली जगह है, जिसे लिक्विड रबर की पैकिंग से भरा जाता है. इस पैकिंग की कालावधि 12 वर्ष की होती है और चूंकि इस फ्लाय ओवर का निर्माण हुए करीब 14-15 वर्ष का समय बीत चुका है. ऐसे में उक्त रबर पैकिंग पूरी तरह से खराब होकर उखड गई. जिसकी वजह से सडक के बीच गैप दिखाई दे रही है. अत: इसे लेकर बिल्कुल भी डरना या घबराना नहीं चाहिए.
बीती रात राजकमल के उपर से गुजरने वाले फ्लाय ओवर की सडक पर गैप दिखाई देने से संबंधित खबर मिलते ही आज सुबह सार्वजनिक लोकनिर्माण विभाग के अधीक्षक अभियंता चंद्रकांत म्हात्रे ने स्थानीय अधिकारियों के साथ खुद फ्लाय ओवर का मुआयना किया. साथ ही इस मुआयने के लिए छत्रपति संभाजीनगर से लोकनिर्माण विभाग के स्थापत्य विशेषज्ञ मोहम्मद इकबाल शेख को भी आनन-फानन में अमरावती बुलाया गया. जिन्होंने अमरावती पहुंचकर दरार वाली जगह का मुआयना करने के साथ ही पूरे फ्लाय ओवर का बेहत बारीकी के साथ निरीक्षण किया और फ्लाय ओवर को आवाजाही के लिए पूरी तरह से फीट बताते हुए इसे सुरक्षित भी बताया. इसके साथ ही अमरावतीवासियों ने राहत की सांस ली.

* ऐसे सामने आया मामला
बीती रात स्थानीय राजकमल चौराहे पर उस समय हडकंप मच गया था, जब फ्लाय ओवर के नीचे से जा रही रामनवमी की शोभायात्रा पर फ्लाय ओवर से सिमेंट काँक्रिट के कुछ टूकडे आकर गिरे थे. ठीक इसी समय फ्लाय ओवर के उपर सुरक्षा एवं बंदोबस्त में तैनात पुलिस कर्मी ने अपने मोबाइल फोन से नीचे खडे पुलिस अधिकारियों को वॉट्सएप पर कुछ फोटो भेजते हुए बताया कि, फ्लाय ओवर की सडक पर करीब एक बिल्लस की दरार आ गई है. यह पता चलते ही मौके पर मौजूद पुलिस आयुक्त नवीनचंद्र रेड्डी एवं यातायात पुलिस निरीक्षक लक्ष्मण डुंबरे ने तुरंत ही मनपा के शहर अभियंता इकबाल खान को साथ लेकर फ्लाय ओवर के उपरी हिस्से का दौरा करते हुए दरारवाले हिस्से का मुआयना किया. जिसके बाद ऐहतियात के तौर पर फ्लाय ओवर को आम लोगों की आवाजाही के लिए बंद कर दिया गया. वहीं इस पूरे मामले को बेहद गंभीरता से लेते हुए सार्वजनिक लोकनिर्माण विभाग ने छत्रपति संभाजी नगर से अपने स्थापत्य विशेषज्ञ को अमरावती बुलाया. जिसके बाद लोकनिर्माण विभाग के अधिकारियों ने भी फ्लाय ओवर का दौरा व मुआयना किया. जिसके उपरान्त यह जानकारी दी गई कि, बीती रात फैली खबर में कोई तथ्य नहीं है और इर्विन से राजापेठ के बीच बनाया गया फ्लाय ओवर पूरी तरह से फीट है. अत: इसे लेकर किसी को भी डरने या घबराने की जरुरत नहीं है.

* जानबुझकर थोडी जाती है दो स्लॉट के बीच जगह
– इस फ्लाय ओवर का मुआयना करने और राजकमल चौराहे के उपर दरारनुमा जगह को देखने के बाद सार्वजनिक लोकनिर्माण विभाग के अधिकारियों ने बताया कि, फ्लाय ओवर के उपर जो दरार दिख रही है. वह दरअसल दो स्लॉट के बीच छोडी जाने वाली जगह है. जिसे लिक्विड रबर की पैकिंग से भरा जाता है. इस पैकिंग की एक्सपायरी 12 साल की होती है और प्रत्येक 12 वर्ष में इस पैकिंग को बदलना आवश्यक भी होता है. परंतु वर्ष 2008-09 में पूरी तरह बनकर तैयार हुए इस फ्लाय ओवर पर लगाई गई रबर पैकिंग को बदलने की ओर संंबंधित महकमें के अधिकारियों द्बारा ध्यान ही नहीं दिया गया. ऐसे में यह रबर पैकिंग खराब होने के साथ ही पूरी तरह से सड गई और उखड गई.
इस समय यह अनुमान भी जताया गया कि, कल रात फ्लाय ओवर के नीचे रामनवमी की शोभायात्रा गुजरते समय जोर-जोर से डीजे बजाए जा रहे थे और सबसे ज्यादा समय तक राजकमल चौराहे पर ही डीजे बजाए गए. जिससे निकलने वाले जबर्दस्त ध्वनिकंपन की वजह से दो सांधे के बीच गैप में रहने वाली रबर की पैकिंग पहले ही पूरी तरह से सडी गली अवस्था में रहने के चलते वाईब्रेड होते हुए नीचे गिर पडी और दो स्लॉट के बीच रहने वाली दरार स्पष्ट तौर पर दिखाई देनी लगी. विशेष तौर पर इस दरार की ओर उन पुलिस वालों का ध्यान गया. जो फ्लाय ओवर पर ठीक राजकमल चौक के उपर बंदोबस्त के तहत तैनात थे और नीचे राजकमल चौराहे पर जोरजोर से बजाए जा रहे डीजे के कंपन यानि वाईब्रेशन को उपर फ्लाय ओवर पर महसूस कर रहे थे. इन्ही में से एक पुलिस कर्मी को रास्तें के बीचोंबीच एक ओर से दूसरी ओर तक मौजूद दरार दिखाई दी. जिसका उसने तुरंत अपने मोबाइल पर कई फोटो निकाले और नीचे खडे पुलिस अधिकारियों को भेजने के साथ ही अपने कुछ परिचितों को भी भेजे. जिसकी वजह से फ्लाय ओवर में दरार आने की बात देखते ही देखते सोशल मीडिया पर जमकर वायरल हो गई. जिसकी वजह से लोगों में फ्लाय ओवर को लेकर भय व्याप्त हो गया. साथ ही इसे लेकर कई तरह की बातें भी की जाने लगी. जबकि फ्लाय ओवर को लेकर ऐसी कोई बात नहीं है और यह फ्लाय ओवर आवाजाही के लिहाज से पूरी तरह सुरक्षित है.

* स्थापत्य विशेषज्ञ ने किया सूक्ष्म निरीक्षण
वहीं इस पूरे मामले में फ्लाय ओवर का निर्माण करवाने वाले सार्वजनिक लोकनिर्माण विभाग ने बेहद गंभीरता से लिया और इससे जुडे तकनीकी पहलूओें की जांच भी की. साथ ही इस काम के लिए छत्रपति संभाजी नगर में रहने वाली लोकनिर्माण विभाग के स्थापत्य विशेषज्ञ मोहम्मद इकबाल शेख को तुरंत अमरावती बुलाया गया, जो आज दोपहर अमरावती पहुंचे और उन्होंने लोकनिर्माण विभाग के अधीक्षक अभियंता चंद्रकांत म्हात्रे व अन्य अधिकारियों के साथ फ्लाय ओवर का मुआयना करने के साथ ही दरार वाली जगह को भी देखा. जिसके बाद यह निष्कर्ष दिया गया कि, यह फ्लाय ओवर पूरी तरह से चूस्त-दुरुस्त है और इसके उपर अथवा नीचे से आवाजाही करने में इसी तरह का कोई खतरा नहीं है. साथ ही यह भी कहा गया कि, फ्लाय ओवर पर दो स्लॉट के बीच जानबूझकर थोडी जगह खाली छोडी जाती है. जिसके बीच रबर लिक्विड की पैकिंग डाली जाती है. इस पैकिंग की एक्सपायरी 12 वर्ष के लगभग होती है. चूंकि इस समय फ्लाय ओवरका इस्तेमाल करते हुए करीब 14 से 15 वर्ष का समय बीत चुका है और इस दौरान एक बार भी इस पैकिंग को बदला नहीं गया. ऐसे में 14-15 वर्ष पहले लगाई गई रबर लिक्विड की पैकिंग सडकर खराब हो गई. जिसकी वजह से यह गैप यानि दरार दिखाई दे रही है. जिसे तुरंत ही लिक्विड रबर की नई पैकिंग डालकर भर दिया जाएगा.

* मनपा की नहीं, लोकनिर्माण की जिम्मेदारी है फ्लाय ओवर
बीती रात फ्लाय ओवर पर दरार पड जाने से संबंधित खबरों के वायरल होते ही आम नागरिकों में इसे लेकर तरह-तरह की बातें होने लगी थी. जिसके तहत कई लोगों ने महानगरपालिका पर फ्लाय ओवर की देखभाल की ओर ध्यान नहीं देने का आरोप लगाने के साथ ही फ्लाय ओवर के निर्माण में बडे पैमाने पर भ्रष्टाचार होने का आरोप भी लगाना शुरु कर दिया था. ऐसे में आम नागरिकों का पूरा रोष स्थानीय मनपा प्रशासन के लिए निकलने लगा. वहीं इस संदर्भ में जानकारी व प्रतिक्रिया हेतु संपर्क किए जाने पर मनपा के शहर अभियंता इकबाल खान पठान ने बताया कि, इस फ्लाय ओवर का निर्माण सार्वजनिक लोकनिर्माण विभाग द्बारा किया गया है और इसकी देखभाल का जिम्मा भी लोकनिर्माण विभाग की ओर ही है. ऐसे में मनपा द्बारा इस फ्लाय ओवर की देखभाल की ओर ध्यान दिए जाने का सवाल ही नहीं उठता. अत: मनपा प्रशासन को लेकर लगाए जाने वाले आरोपों में कोई तथ्य नहीं है.

* पूरी तरह से सुरक्षित है फ्लाय ओवर
वहीं इस बारे में जानकारी व प्रतिक्रिया के लिए संपर्क किए जाने पर सार्वजनिक लोकनिर्माण विभाग के अधीक्षक अभियंता चंद्रकांत म्हात्रे ने बताया कि, वर्ष 2009 में आईआरडीपी योजना के तहत एमएसआरडीसी द्बारा पीडब्ल्यूडी के जरिए इस फ्लाय ओवर को 140 करोड रुपए की लागत से बनाकर तैयार किया गया था. अभी इस फ्लाय ओवर को बने हुए केवल 14-15 वर्ष ही हुए है और यह फ्लाय ओवर पूरी तरह से सुरक्षित है. फ्लाय ओवरका निर्माण करते समय पिल्लरों पर स्प्रींग तकनीक का प्रयोग करते हुए सडक बनाने हेतु अलग-अलग सेग्नमेंट डाले गए थे. जिन्हें बेहद मजबूती के साथ आपस में जोडा गया था. साथ ही दो सेग्नमेंट के बीच लिक्विड रबर की पैकिंग डाली गई थी, ताकि फ्लाय ओवर पर कंपन को घटाया जा सके और इसे लंबे समय तक इस्तेमाल में लाया जा सके. बीती रात 14-15 वर्ष पुरानी हो चुकी लिक्विड रबर की पैकिंग खराब होकर उखड गई, जिसे तुरंत भर दिया जाएगा. इसके अलावा इस फ्लाय ओवर में अन्य कहीं पर भी कोई खराबी नहीं है.

* सांसद नवनीत राणा ने भी किया फ्लाय ओवर का मुआयना
पुरे मामले की जानकारी मिलते ही जिले की सांसद नवनीत राणा भी आज सुबह फ्लाय ओवर पर पहुंची और उन्होंने राजकमल चौक के उपर फ्लाय ओवर पर पडी दरारवाली जगह का भी मुआयना किया. इस समय सांसद नवनीत राणा ने कहा कि, इर्विन से राजापेठ के बीच बनाए गए पुल का निर्माण हुए 15 वर्ष पूर्ण हो चुके है, इस दौरान प्रत्येक तीन साल के अंतराल में पुल की सर्विसिंग यानि देखरेख होनी चाहिए. साथ ही एक्सपांशन ज्वॉॅईंट का ऑडिट भी 15 साल के भीतर होना चाहिए. इसे लेकर उन्होंने 6 माह पहले ही संबंधित विभाग को पत्र लिखा था. ऐसे में उनके द्बारा दिए गए पत्र पर संबंधित विभाग ने क्या कार्रवाई की. इसकी भी जांच होनी चाहिए. साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि, यदि यह समस्या केवल एक्सपांशन ज्वॉईंट से संबंधित है, तो इस फ्लाय ओवर को अगले 20 से 25 दिन में दुबारा आम नागरिकों की आवाजाही के लिए खोल दिया जाएगा. तब तक अमरावतीवासियों ने इस फ्लाय ओवर का प्रयोग नहीं करना चाहिए. इसके साथ ही सांसद नवनीत राणा ने मौके पर उपस्थित लोकनिर्माण विभाग की अभियंता रुपा राउत (गिरासे) को अमरावती शहर सहित जिले में स्थित सभी फ्लाय ओवर एवं पुलों का तत्काल ऑडिट करने के संदर्भ में भी निर्देश दिए.

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