दर्यापुर के स्मशान में पहली बार एकसाथ जली 5 चिताएं
कोविड काल का भी रिकॉर्ड टूटा
दर्यापुर/दि.3 – स्थानीय नगर परिषद कार्यक्षेत्र अंतर्गत आशा मनीषा मंदिर के सामने किसी समय मोक्षधाम यानि स्मशान भूमि तैयार करते हुए एकसाथ दो पार्थिवों के अंतिम संस्कार की व्यवस्था की गई थी. जहां पर आगे चलकर एकसाथ 4 चिताओं को जलाने की व्यवस्था की गई. परंतु आज दर्यापुर शहर के इतिहास में पहली बार इस स्मशान भूमि में अंतिम संस्कार हेतु एकसाथ 5 पार्थिव पाये गये और पांचों चिताओं को एकसाथ जलाया गया. जिसके चलते पांचों दिवंगतों के परिजनों व परिचितों की स्मशान भूमि परिसर में तौबा भीड इकठ्ठा हो गई थी. जिसके चलते स्मशान भूमि की व्यवस्था चरमराती नजर आयी.
बता दे कि, गत रोज दर्यापुर के निकट लासूर गांव में एक भीषण सडक हादसा घटित हुआ था. जिसमें दर्यापुर निवासी तीन युवकों की मौत हो गई थी. ऐसे में आज सुबह पोस्टमार्टम की प्रक्रिया के बाद शवों को अपने कब्जे में लेने के उपरान्त संबंधित परिजन व उनके परिचित तीनों शवों को अंतिम संस्कार करने हेतु स्मशान भूमि लेकर पहुंचे. वहीं गत रोज अखिल भारतीय ग्रामीण पत्रकार संघ के विदर्भ प्रदेश अध्यक्ष व दर्यापुर निवासी सामाजिक कार्यकर्ता संजय कदम का भी निधन हुआ था. साथ ही गायवाडी परिसर निवासी श्रीमती ताईबाई शंकरराव बोंद्रे नामक बुजुर्ग महिला का भी गत रोज ही वृद्धावस्था के चलते निधन हुआ था. ऐसे में इन दोनों पार्थिवों को भी आज ही आशा मनीषा मंदिर के सामने स्थित मोक्षधाम पहुंचाया गया. ऐसे में एकसाथ 5 पार्थिवों को मोक्षधाम में लाये जाने के चलते वहां पर काफी भीडभाड हो गई. जिसके चलते पांचों शवों का अंतिम संस्कार करने को लेकर काफी नियोजन व मशक्कत करने पडे. जिसके तहत 4 शवों की चिता स्मशान भूमि में बने ओटो पर सजाई गई और विनित बिजवे की चिता को स्मशान भूमि में नीचे जमीन पर सजाया गया. इस समय खास बात यह रही कि, सामाजिक कार्यकर्ता संजय कदम को उनकी बेटी ने तथा विनित उर्फ बंटी बिजवे को उसकी बहन ने मुखाग्नी दी.
विशेष उल्लेखनीय है कि, दर्यापुर में दो शववाहिणियां है, लेकन आज केवल एक ही वाहन चालक उपलब्ध था. जिसके चलते मृतकों के रिश्तेदारों को कंधा देते हुए अंतिम यात्राएं निकालनी पडी. इस तरह की घटना दर्यापुर के इतिहास में पहली बार घटित हुई और ऐसा प्रसंग कोविड की महामारी के समय भी दिखाई नहीं दिया था.