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पहली बार महाराष्ट्र व मध्यप्रदेश में बाढ नियंत्रण हेतु समन्वय

 नियंत्रण कक्ष की हुई स्थापना

  •  विदर्भ के चार जिलों सहित मप्र के तीन जिलों का समावेश

नागपुर/प्रतिनिधि दि.11 – बारिश के मौसम में मध्यप्रदेश स्थित बांधोें से अतिरिक्त पानी छोडे जाने की वजह से प्रतिवर्ष पूर्वी विदर्भ में बाढ की स्थिति उत्पन्न होती है और वैनगंगा नदी सहित सभी उपनदियों में जलस्तर काफी अधिक बढ जाता है. इस बाढ की वजह से हर साल करोडों रूपयों का नुकसान होता है. ऐसे में प्रतिवर्ष के अनुभव को देखते हुए इस वर्ष पहली बार बाढ नियंत्रण हेतु आंतरराज्जीय समन्वय समिती की स्थापना की गई है. जिसके तहत मध्यप्रदेश के 3 एवं पूर्वी विदर्भ के 4 जिलों का समावेश करते हुए इन सभी जिलों के लिए एक नियंत्रण कक्ष स्थापित किया जा रहा है. जिसके जरिये सभी 7 जिले एक-दूसरे के संपर्क में रहेंगे.
बता दें कि, पूर्वी विदर्भ से होकर बहनेवाली वैनगंगा नदी सहित अन्य कुछ नदियों का उगम मध्यप्रदेश में है और मध्यप्रदेश में इन नदियों पर बडे-बडे बांध बनाये गये है. बारिश के मौसम में बांधों के पूरी तरह से भर जाने पर अतिरिक्त पानी को नदी में छोडा जाता है, जिसकी वजह से वैनगंगा सहित अन्य नदियों में जबर्दस्त बाढ आती है. गत वर्ष अगस्त माह में मध्यप्रदेश के संजय सरोवर से जलनिकासी किये जाने की वजह से भंडारा, गोंदिया, चंद्रपुर व गडचिरोली जिलों में जबर्दस्त बाढ आयी थी. ऐसे हालात दुबारा उत्पन्न न हो, इस बात के मद्देनजर आपत्ति व्यवस्थापन प्राधिकरण द्वारा कदम आगे बढाये गये है. जिसके तहत मध्यप्रदेश के छिंदवाडा, शिवनी व बालाघाट तथा पूर्वी विदर्भ के भंडारा, गोंदिया, चंद्रपुर व गडचिरोली इन जिलों के लिए आंतरराज्जीय समन्वय समिती स्थापित की गई है. यह समिती संबंधित जिलाधिकारियों के मार्गदर्शन में बाढ सदृश्य स्थिति पर नियंत्रण रखने के लिए लगातार एक-दूसरे के संपर्क में रहेगी.
दो सप्ताह पूर्व ही नागपुर के विभागीय आयुक्त कार्यालय द्वारा वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिये इन सातों जिलों के जिलाधिकारियों की समन्वय बैठक ली गई. जिसमें जबलपुर के संभागीय आयुक्त कार्यालय की ओर से भी आवश्यक मार्गदर्शन किया गया.

  • गत वर्ष 44 हजार नागरिकों को सुरक्षित स्थानों पर भेजा गया था

गत वर्ष मध्यप्रदेश के बालाघाट जिला स्थित संजय सरोवर से अतिरिक्त पानी अचानक ही छोडे जाने की वजह से वैनगंगा नदी सहित वैनगंगा की उपनदियों में भयानक बाढ आ गयी थी. जिससे भंडारा जिला बुरी तरह प्रभावित हुआ था और भंडारा शहर का आधे से अधिक हिस्सा जलमग्न होने के साथ ही सैंकडों हेक्टेयर कृषि क्षेत्र में धान की फसल बह गयी थी. साथ ही इस बाढ में 4 लोगों की मौत हुई थी और 44 हजार नागरिकों को जिला प्रशासन द्वारा सुरक्षित स्थानों पर स्थलांतरित किया गया था. बारिश का मौसम शुरू होते ही गत वर्ष की तमाम यादें एक बार फिर ताजा हो गई है. ऐसे में इस बार पिछले वर्ष की तरह स्थिति उत्पन्न न हो, इस हेतु प्रशासन द्वारा सूक्ष्म नियोजन किया जा रहा है.

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