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जनभावना की कद्र करे वनविभाग

पूर्व पालकमंत्री डॉ. सुनील देशमुख का आवाहन

अमरावती/दि.11- हाल ही में शहर के पूर्वी छोर पर ऑक्सिजन पार्क का लोकार्पण किया गया, जो बेहद ही अल्प समय में नागरिकों की पसंद पर खरा उतरा है. शुरूआती दौर में ऑक्सिजन पार्क में सभी नागरिकों को नि:शुल्क प्रवेश दिया जाता था, किंतु अब वन विभाग द्वारा यहां पर प्रौढ व्यक्तियों हेतु 30 रूपये व छोटे बच्चों हेतु 20 रूपये प्रति व्यक्ति प्रवेश शुल्क लिया जा रहा है. जिसका इस ऑक्सिजन पार्क के शिल्पकार व पूर्व जिला पालकमंत्री डॉ. सुनील देशमुख द्वारा विरोध किया गया है.
इस संदर्भ में डॉ. सुनील देशमुख का कहना रहा कि, यद्यपि ऑक्सिजन पार्क की जमीन वनविभाग की मिल्कीयत है, किंतु किसी समय यह जमीन बेकार पडी थी और इसका उपयोग डंपिंग ग्राउंड के तौर पर किया जा रहा था. पश्चात यहां पर ऑक्सिजन पार्क जैसा नंदनवन साकार करने हेतु सबसे पहले अमरावती मनपा को प्राप्त 13 वें वित्त आयोग की निधी से 45 लाख रूपयों की विशेष निधी उपलब्ध करायी गयी थी. जिसके बाद ऑक्सिजन पार्क के निर्माण हेतु बजट में वनविभाग के लिए रहनेवाले प्रावधान के अलावा तत्कालीन विधायक डॉ. सुनील देशमुख के निवेदन पर तत्कालीन वित्त व वनमंत्री सुधीर मुनगंटीवार द्वारा 2.50 करोड रूपयों की निधी मंजूर की गई थी. यानी इस ऑक्सिजन पार्क के निर्माण हेतु वनविभाग पर किसी भी तरह का कोई आर्थिक बोझ नहीं पडा. जिसकी वजह से यहां पर नागरिकों से प्रवेश हेतु पैसे लेने का समर्थन नहीं किया जा सकता. हालांकि वन विभाग के उच्चाधिकारियों द्वारा पार्क के व्यवस्थापन, देखभाल व सुरक्षा जैसे कारणों को आगे करते हुए प्रवेश शुल्क लगाये जाने की बात कही जा रही है. किंतु वनविभाग के इन्हीं वरिष्ठ अधिकारियों द्वारा अब तक स्थायी सेवा में रहनेवाले व ठेका पध्दति पर नियुक्त वन मजदूरों को अपने बंगलों की साफ-सफाई करने, खाना बनाने, बच्चों व कुत्तों को घुमाने जैसे कामों में लगाया जाता था. जबकि वन मजदूरों का इस तरह प्रयोग करने पर सरकार ने बाकायदा आदेश जारी करते हुए प्रतिबंध लगाया है. ऐसे में इस तरह के अनावश्यक कामों के लिए अपने अधिकार क्षेत्र में रहनेवाले वन विभाग के मनुष्यबल व साधनों का मुफ्त वन अधिकारियों द्वारा प्रयोग किया जाता है और नागरिकों के ही पैसों से बनाये गये ऑक्सिजन पार्क का व्यवस्थापन करने के नाम पर नागरिकों से पैसे लिये जाते है, जबकि उन्हीं तमाम मनुष्यबल व साधनों को ऑक्सिजन पार्क की सुरक्षा व देखभाल के काम में लगाया जा सकता है.
उपरोक्त प्रतिपादन के साथ ही पूर्व विधायक डॉ. सुनील देशमुख ने कहा कि, वनविभाग द्वारा ऑक्सिजन पार्क में प्रवेश शुल्क लगाये जाने के फैसले को लेकर आम नागरिकों में तीव्र असंतोष व्याप्त है. अत: वनविभाग ने जनभावना की अनदेखी नहीं करनी चाहिए. साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि, फॉरेस्ट रेंजर दीपाली चव्हाण की आत्महत्या तथा इस मामले में वरिष्ठ वन अधिकारियों की जेल यात्रा के चलते वन विभाग की प्रतिमा पहले ही डावांडोल हो चुकी है. ऐसे में वनविभाग ने अपनी कार्यशैली में सुधार करते हुए जनभावना का आदर करना चाहिए. इसके तहत ऑक्सिजन पार्क में प्रवेश हेतु लगाये गये भारी-भरकम शुल्क को तुरंत कम किया जाना चाहिए.

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