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कबाड वाहनों के भरोसे चल रहा वनविभाग का कामकाज

जंगल संरक्षण का काम हो रहा प्रभावित

* 10 साल से नये वाहनों का अभाव
* फिल्ड पर रहने वाले वन अधिकारियों को हो रही दिक्कत
अमरावती/दि.3 राज्य में पुलिस विभाग के पास सबसे अधिक महत्व रखने वाले वनविभाग इस समय काफी आर्थिक दिक्कतों का सामना करना पड रहा है. जंगलों का संरक्षण करते हुए जंगलों की कटाई और वनसंपादा की चोरी जैसे कामों के लिए विगत 10 वर्षों से एक भी नया वाहन नहीं मिलने के चलते फिल्ड ड्यूटी करने वाले वन अधिकारियों द्वारा कबाड वाहनों के दम पर जैसे-तैसे जंगल और वन्यजीवों के संरक्षण का काम किया जा रहा है.
बता दें कि, विगत कुछ वर्षों से जंगलों में अतिक्रमण बढने के साथ ही वन्य प्राणियों सहित चंदन व सागौन जैसी दुर्लभ वनसंपदा व औषधिय गुणों वाली वनस्पती तथा गौणखनिज की चोरी व तस्करी का काम जमकर चल रहा है. परंतु इसे रोकने में वनविभाग काफी हद तक नाकाम साबित हो रहा है. क्योंकि वनविभाग के पास मनुष्यबल के साथ-साथ आवश्यक साधन सामग्री का भी अभाव है. जिसके चलते वन अधिकारी भी हतबल नजर आ रहे है.
राज्य के बजट में वनविभाग को पर्याप्त निधि नहीं मिलने के चलते वृक्षारोपण के सालाना उपक्रम पर बे्रक लग गया है और वर्ष 2019 से 17 हजार हेक्टेअर से अधिक वन क्षेत्र में रोपवन तैयार नहीं हुआ है. जिसके चलते राज्य में 33 फीसद वन क्षेत्र का लक्ष्य तब तक पूरा हो पाएगा. यह अपने आप में एक बडा सवाल है.

* विदर्भ में 10 वर्ष दौरान बढी वन्यप्राणियों की संख्या
विगत 10 वर्षों के दौरान विदर्भ में बाघ व तेंदूओं सहित अन्य वन्य प्राणियों की संख्या में अच्छी खासी वृद्धि हुई है. परंतु जंगल क्षेत्र अपर्याप्त साबित होने के चलते बाघों की शिकार हो रही है और बाघों की मौत का आकडा 200 के पार चला गया है. इसके अलावा कई स्थानों पर तेंदूओं द्वारा इंसानी बस्तियों में जमकर उत्पात मचाया जा रहा है. इसके साथ ही सरक्षित वन्य क्षेत्रों व व्याघ्र प्रकल्पों में वन्यजीवों के लिए चारागाह व शिकारगाह बनाने हेतु निधि नहीं रहने की समस्या है.

* कैम्पा में करोडों रुपयों की निधि पडी है
2 वर्ष पूर्व कैम्पा के प्रधानमुख्य वन संरक्षक एवं मौजूदा वन दल प्रमुख शरद टेंभ्रूर्णीकर ने कैम्पा के अनुदान का वनविकास, निवासस्थान, मृदा व जलसंवर्धन तथा चराई क्षेत्र के विकास हेतु योग्य पद्धति से वितरण किया था. साथ ही इस निधि का वाहन खरीदने हेतु प्रयोग करने का भी निर्देश दिया था. परंतु कई वन सर्कल को दिया गया पैसा खर्च हुए बिना वापिस लौट आया. जिसमें मेलघाट, व्याघ्रप्रकल्प का भी समावेश है.

* कबाड वाहन और वन संरक्षण
वनविभाग के अधिकारियों व कर्मचारियों को कबाड हो चुके वाहनों के जरिए जंगल संरक्षण एवं वन्य प्राणियों की सुरक्षा करनी पड रही है. वन मंत्री सुधीर मुनगंटीवार ने वर्ष 2014 में वन क्षेत्र अधिकारियों को 284 नये वाहन एक ही समय दिए थे. यह सभी वाहन अब कबाड अवस्था में पहुंच गए है. लेकिन इसके बावजूद भी आरएफओ स्तर के अधिकारियों को इन्हीं वाहनों पर निर्भर रहना पडता है. अमरावती में मुख्य वन संरक्षक (प्रादेशिक) के पास वाहन नहीं है. वहीं मेलघाट व्याघ्र प्रकल्प के क्षेत्र संचालक की सेवा में तीन वाहन है. इसके साथ ही आरएफओ के लिए भी नये वाहन नहीं है, ऐसी स्थिति है.

 

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