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पालकमंत्री यशोमति ठाकुर की रही कोविड से निपटने में सबसे अहम भूमिका

  •  विगत एक वर्ष से लगातार जबर्दस्त प्रयास कर रही है पालकमंत्री

  •  समय रहते कोविड अस्पताल शुरू करने का किया नियोजन

  •  दवाईयों व ऑक्सिजन की उपलब्धता को लेकर लगातार रही गंभीर

  •  जिला प्रशासन के साथ लगातार किया बैठकों का दौर

  •  विभिन्न उपाययोजनाओं पर किया मंथन

  •  लॉकडाउन के दौरान जरूरतमंदों तक पहुंचायी सहायता

  •  संभावित खतरे को देख अपने स्तर पर जिले में दूसरे लॉकडाउन का निर्णय लिया

  •  सरकार द्वारा घोषित लॉकडाउन हटाने का प्रयास भी किया

  •  अमरावती जिले की जरूरत के हिसाब से लिया हर फैसला

  •  जल्द ही पांच ऑक्सिजन निर्मिती प्लांट भी होंगे कार्यरत

अमरावती/प्रतिनिधि दि.26 – इस समय अमरावती शहर सहित जिले में कोविड संक्रमण को लेकर स्थिति काफी हद तक नियंत्रण में है तथा विदर्भ सहित राज्य के अन्य जिलों की तुलना में अमरावती जिले में कोविड संक्रमण की वजह से तुलनात्मक तौर पर कम नुकसान हुआ है. इसका श्रेय अमरावती की जिला पालकमंत्री यशोमति ठाकुर को दिया जा सकता है. जिन्होंने विगत वर्ष के मार्च माह से लेकर अब तक पूरे एक साल के दौरान कोविड संक्रमण की स्थिति को नियंत्रित रखने के साथ ही संक्रमितों के इलाज हेतु तमाम आवश्यक चिकित्सा सुविधाएं उपलब्ध कराने के लिए समय रहते कदम उठाये. साथ ही उन्होंने राज्य सरकार एवं स्थानीय प्रशासन के बीच प्रभावी रूप से संवाद सेतु का काम किया. जिसकी बदौलत जिला प्रशासन द्वारा सरकारी आदेशों पर तुरंत अमल हुआ. साथ ही प्रत्येक आदेश के क्रियान्वयन पर जिला पालकमंत्री यशोमति ठाकुर ने खुद व्यक्तिगत तौर पर ध्यान रखा.
बता दें कि, गत वर्ष मार्च माह के दौरान महाराष्ट्र में कोविड वायरस के संक्रमण की शुरूआत हो चुकी थी. हालांकि उस समय अमरावती जिले में कोविड संक्रमण का कोई मामला सामने नहीं आया था, किंतु संभावित खतरे को भापते हुए जिला पालकमंत्री यशोमति ठाकुर ने तुरंत जिला एवं स्वास्थ्य प्रशासन के साथ बैठक की और अमरावती में आयसीयू बेड व वेंटिलेटर की सुविधा रहनेवाला सरकारी कोविड अस्पताल शुरू करने का निर्देश दिया. जिसके बाद 24 मार्च तक सुपर स्पेशालीटी अस्पताल की सेकंड फेसवाली इमारत में सेंट्रलाईज्ड ऑक्सिजन सप्लाई की सुविधा रहनेवाला कोविड अस्पताल शुरू किया गया. इस समय तक भी अमरावती जिले में कोई कोविड संक्रमित मरीज नहीं पाया गया था. किंतु अमरावती में सरकारी कोविड अस्पताल व डॉक्टरों की टीम पहले ही तैयार कर लिये गये थे. इसके साथ ही जिला सामान्य अस्पताल में बाहरगांव से आनेवाले लोगोें की आरटीपीसीआर टेस्ट करने की सुविधा भी उपलब्ध करा दी गई थी.

  • अमरावती में शुरू करवाई कोविड टेस्ट लैब

यहां यह विशेष उल्लेखनीय है कि विगत वर्ष मार्च-अप्रैल माह तक अमरावती में कोविड टेस्ट लैब की सुविधा उपलब्ध नहीं थी और यहां पर लिये गये थ्रोट स्वैब सैम्पलों को जांच हेतु नागपुर के मेयो हॉस्पिटल स्थित प्रयोगशाला में भिजवाना पडता था. जिसमें काफी पैसा और समय खर्च होता था. साथ ही किसी भी कोरोना संदेहित व्यक्ति की रिपोर्ट मिलने में चार से पांच दिन का समय लग जाया करता था. क्योंकि उस वक्त नागपुर की प्रयोगशाला में अन्य जिलों के मरीजों के भी सैम्पल लाये जाते थे. ऐसे में सभी थ्रोट स्वैब सैम्पलों की तुरंत जांच होकर जल्द से जल्द रिपोर्ट मिलने हेतु पालकमंत्री यशोमति ठाकुर ने अमरावती जिले में स्वतंत्र सरकारी कोविड टेस्ट लैब स्थापित करने के लिए प्रयास शुरू किये और उनके प्रयास उस समय सफल हुए, जब अमरावती के संत गाडगेबाबा विद्यापीठ में गत वर्ष 4 मई को कोविड टेस्ट लैब शुरू हुई. पालकमंत्री यशोमति ठाकुर इतने पर ही नहीं रूकी, बल्कि उन्होंने पीडीएमसी अस्पताल में भी कोविड टेस्ट लैब शुरू करने हेतु सफलतापूर्वक प्रयास किये और समूचे पश्चिम विदर्भ में अमरावती अकेला ऐसा जिला है, जहां पर कोविड काल के दौरान अल्प समय में एकसाथ दो कोविड टेस्ट लैब शुरू हुई है. इसके साथ ही पालकमंत्री यशोमति ठाकुर ने संगाबा अमरावती विद्यापीठ की प्रयोगशाला की क्षमता को बढाने के लिए भी समय-समय पर तमाम आवश्यक प्रयास किये. यहीं वजह है कि, जहां शुरूआती दौर में इस प्रयोगशाला में रोजाना अधिकतम 700 सैम्पलों की जांच हुआ करती थी, वहीं आज इस प्रयोगशाला में रोजाना 1500 से अधिक सैम्पलों की जांच की जा सकती है.

  • प्रवासी मजदूरों के भोजन व निवास की व्यवस्था की

गत वर्ष 24-25 मार्च को मात्र पंद्रह दिनोें के लिए लागू किया गया लॉकडाउन आगे करीब तीन माह तक चलता रहा. उस दौरान अन्य शहरों व राज्यों के नागरिकों सहित बडी संख्या में प्रवासी मजदूर अमरावती शहर सहित जिले में अटक गये थे. उस वक्त आवागमन के तमाम साधन भी बंद थे. ऐसे समय पालकमंत्री यशोमति ठाकुर ने जिला प्रशासन के साथ मिलकर पुरे जिले में जगह-जगह पर परप्रांतिय मजदूरों के भोजन व निवास की व्यवस्था करवायी. साथ ही उनके आवाहन पर इस कार्य में सहयोग देने हेतु कई सामाजिक संस्थाएं भी आगे आयी.

  •  सुपर कोविड अस्पताल में क्षमता व सुविधाओं को बढाया

विगत वर्ष 4 अप्रैल को अमरावती जिले में पहला कोविड संक्रमित मरीज पाया गया था. जिसकी ‘होम डेथ’ हो चुकी थी और मरीज की मृत्यु पश्चात उसकी रिपोर्ट पॉजीटीव आयी थी. पश्चात इस मरीज के चार परिजन भी कोरोना संक्रमित पाये गये और धीरे-धीरे आसपास के परिसरों से कोरोना संक्रमित मरीज मिलने लगे. यह सिलसिला अप्रैल व मई माह के बाद और अधिक बढने लगा तथा जुलाई व अगस्त माह में यह रफ्तार दोगुनी हो गयी. ऐसे में संभावित खतरे को देखते हुए पालकमंत्री यशोमति ठाकुर ने जिला प्रशासन के साथ मिलकर तुरंत ही सुपर कोविड अस्पताल में बेड संख्या को बढाते हुए यहां पर चिकित्सा सुविधाओं में इजाफा किया. साथ ही साथ शहर में कई निजी अस्पतालों को कोविड अस्पताल के तौर पर काम करने की अनुमति देने का पर्याय भी अपनाया. यहीं वजह रही कि, जब बीते सितंबर माह के दौरान जिले में पहली बार कोविड संक्रमण की स्थिति विस्फोटक हुई, तब भी हर एक मरीज के लिए अमरावती शहर सहित जिले में इलाज व बेड की सुविधा उपलब्ध थी.

  • खतरा कम होने के बावजूद सतर्कता कम नहीं हुई

विगत सितंबर माह के बाद अक्तूबर व नवंबर माह के दौरान जिले में कोरोना संक्रमितों की संख्या कम होने लगी है. जिसे देखकर एकबारगी यह महसूस हो रहा था, मानों जल्द ही यह खतरा खत्म हो जायेगा. किंतु विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा जनवरी माह में कोविड संक्रमण की दूसरी लहर आने की चेतावनी दी गई थी. जिसे ध्यान में रखते हुए जिला पालकमंत्री यशोमति ठाकुर ने जिला एवं स्वास्थ्य प्रशासन को पूरी तरह से सतर्क सजग रहने कहा था और फरवरी माह में जैसे ही अमरावती जिले में कोविड संक्रमण की दूसरी लहर ने अपना असर दिखाना शुरू किया, उस समय यह दूरदृष्टि बेहद काम में आयी, क्योंकि मरीजों की संख्या के लिहाज से तमाम व्यवस्थाएं पहले से तैयार थी.

  • समय पर लिया लॉकडाउन लगाने का निर्णय

विगत फरवरी माह में जैसे ही कोविड संक्रमण को लेकर हालात अनियंत्रित होते दिखाई दिये, तो जिला पालकमंत्री यशोमति ठाकुर ने जिला प्रशासन के साथ विचार-विमर्श करते हुए अपने स्तर पर अमरावती जिले के हॉटस्पॉट बन चुके इलाकों में लॉकडाउन लगाने और पूरे जिले में कडे प्रतिबंधात्मक नियम लागू करने का निर्णय लिया. इसके चलते 22 फरवरी से 28 फरवरी तक अमरावती सहित अचलपुर तहसील मेें लॉकडाउन लगाया गया. जिसे 8 मार्च तक आगे भी बढाया गया. इसी फैसले की वजह से अमरावती जिले में उस समय कोविड संक्रमितों की संख्या में काफी हद तक कमी आयी.

  • रेमडेसिविर, कोविड वैक्सीन व ऑक्सिजन के लिए सतत किये प्रयास

कोविड संक्रमण काल के दौरान कोरोना संक्रमित मरीजों के इलाज हेतु बडे पैमाने पर रेमडेसिविर इंजेक्शन एवं लिक्वीड ऑक्सिजन की जरूरत पिछले वर्ष से ही पड रही थी. ऐसे में जिले के कोविड संक्रमित मरीजोें हेतु लिक्विड ऑक्सिजन व रेमडेसिविर इंजेक्शन की आपूर्ति सुचारू रखने हेतु पालकमंत्री यशोमति ठाकुर ने लगातार प्रयास जारी रखे. साथ ही लिक्विड ऑक्सिजन की समस्या को हल करने हेतु सुपर स्पेशालीटी, इर्विन तथा पीडीएमसी इन तीनों प्रमुख अस्पतालों में विगत सितंबर माह के दौरान ही लिक्विड ऑक्सिजन के टैंक लगवा दिये. जिनके जरिये शहर में एक ही समय करीब 39 टन लिक्विड ऑक्सिजन का स्टॉक संग्रहित करके रखा जा सकता है. साथ ही उन्होंने विगत सितंबर माह में ही अमरावती जिले में ऑक्सिजन निर्मिती प्रकल्प हेतु ई-टेंडरिंग प्रक्रिया भी शुरू करवायी. जिसके सार्थक परिणाम अब दिखाई दिये है, जब जिले में पांच स्थानों पर ऑक्सिजन निर्मिती प्रकल्प शुरू होने जा रहे है, जिनके जरिये रोजाना 279 ऑक्सिजन सिलेंडर उपलब्ध हो सकेंगे. इसमें से दो प्लांट अमरावती शहर तथा तीन प्लांट नांदगांव खंडेश्वर, तिवसा व धारणी जैसे ग्रामीण क्षेत्रों में स्थापित किये जायेंगे.

  •  समयसूचकता से कम हुआ खतरे का प्रभाव

जिला पालकमंत्री यशोमति ठाकुर द्वारा खतरे की स्थिति उत्पन्न होने से पहले ही अपनी समयसूचकता से लिये गये निर्णयों के चलते अमरावती जिले में कोरोना संक्रमण एवं संक्रमितों के इलाज को लेकर वैसे हालात नहीं बने, जिस तरह के हालात इन दिनों आसपडोस के कई जिलों में देखे जा रहे है. यद्यपि विगत एक वर्ष के दौरान कोविड संक्रमण की वजह से 800 के आसपास मरीजों की मौत हुई है, किंतु यदि समय रहते सही और प्रभावी कदम नहीं उठाये जाते, तो यह आंकडा और भी अधिक हो सकता था. ऐसे में कहा जा सकता है कि, पालकमंत्री यशोमति ठाकुर द्वारा किये गये लगातार व जबर्दस्त प्रयासों की वजह से अमरावती जिले का तुलनात्मक रूप से कम नुकसान हुआ है. इसके साथ ही इन दिनों पालकमंत्री यशोमति ठाकुर द्वारा अमरावती जिले में कोविड टीकाकरण अभियान को लगातार गतिमान रखने हेतु भी तमाम आवश्यक प्रयास किये जा रहे है, ताकि अधिक से अधिक लाभार्थियों को कोविड प्रतिबंधात्मक वैक्सीन का टीका लगाया जा सके. पालकमंत्री यशोमति ठाकुर द्वारा किये जा रहे प्रयासों की बदौलत ही अकोला स्थित स्वास्थ्य उपसंचालक कार्यालय को मिलनेवाली कोविशिल्ड व को-वैक्सीन की खेप में से सर्वाधिक हिस्सा अमरावती जिले को मिलता है.

  •  जिले के लिए सीएम के फैसले का विरोध भी किया

बता दें कि, मार्च माह के अंत में समूचे राज्य में कोविड संक्रमितों की संख्या बढनी शुरू हुई थी. जिसके मद्देनजर राज्य सरकार द्वारा 5 अप्रैल से 30 अप्रैल तक राज्य में संचारबंदी व लॉकडाउन लगाने का निर्णय लिया गया था. जबकि उस समय अमरावती जिले में हालात नियंत्रित हो रहे थे और एक माह पूर्व ही जिलास्तरीय लॉकडाउन को हटाया गया था. ऐसे समय स्थानीय व्यापारियों एवं नागरिकों की भावनाओं को देखते हुए जिला पालकमंत्री यशोमति ठाकुर ने अपनी ही सरकार के फैसले के खिलाफ आवाज उठाते हुए मुख्यमंत्री उध्दव ठाकरे से अमरावती जिले को लॉकडाउन में छूट देने की मांग की. साथ ही वे सीएम ठाकरे से मुलाकात करने हेतु मुंबई भी रवाना हुई. किंतु दुर्भाग्य से इस दौरान अमरावती जिले में कोविड संक्रमित मरीजों एवं कोरोना से होनेवाली मौतों की संख्या में कोई विशेष कमी नहीं आयी. ऐसे में राज्य सरकार द्वारा जब 14 अप्रैल से संचारबंदी को लेकर नया आदेश जारी किया गया, तो अमरावती जिले के लोगों की सुरक्षा और भलाई को देखते हुए पालकमंत्री यशोमति ठाकुर ने उस फैसले का समर्थन किया. साथ ही अमरावती की जनता से इस संचारबंदी के नियमों का पालन करने का आवाहन भी किया.

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