चार मुकदमे खारिज कर याचिकाकर्ता की जमा रकम अटर्नियों में वितरित
कोरोना संकटकाल में हाईकोर्ट ने सुनाया महत्वपूर्ण फैसला
अमरावती प्रतिनिधि/दि.१ – गत रोज मुंबई हाईकोर्ट की नागपुर खंडपीठ में एक मामले की सुनवाई करते हुए कुल २५ आरोपियों के खिलाफ कोर्ट में प्रलंबित चार मुकदमे व दोषारोपपत्र खारिज किये. साथ ही याचिकाकर्ता द्वारा जमा करायी गयी रकम कोर्ट के जरूरतमंद अटर्नियों व क्लर्को को देने का निर्देश दिया. न्यायमूर्तिद्वय वी. एम. देशपांडे व अनिल किलोर की खंडपीठ ने कोरोना काल के दौरान एक तरह का अनूठा फैसला सुनाया है.
जानकारी के मुताबिक अचलपुर तहसील निवासी खुदबुद्दीन व बुरहानुद्दीन सहित उनके परिवारों के बीच विगत कई वर्षों से आपसी पारिवारिक विवाद एवं मतभेद चला आ रहा था. जिसके तहत मई २०१७ में दोनों गुटों ने एक-दूसरे के उपर जानलेवा हमला किया था. जिसके बाद पुलिस ने इस मामले में दोनों गुट के लोगोें के खिलाफ धारा ३०७, ४५२, १४७, १४८ व १४९ के तहत अपराध दर्ज किया था और दोनों मामले अचलपुर न्यायालय में प्रलंबित थे. जिसके बाद जनवरी २०१९ में एक बार फिर दोनों गुटों के बीच लडाई हुई. जिसमें दोनों पक्षों के लिए घायल हुए. इस बार भी पुलिस ने दोनों गुटों के खिलाफ अपराध दर्ज करते हुए अदालत में दोषारोपपत्र दायर किया. यह मामला भी न्यायालय के समक्ष सुनवाई हेतु प्रलंबित था. पश्चात दोनोें गुटों के सभी २५ आरोपियों ने एड. परवेज मिर्झा के माध्यम से उच्च न्यायालय में अपने खिलाफ दर्ज चार दोषारोपपत्र व अचलपुर कोर्ट में प्रलंबित चार मुकदमे खारिज करने के लिए याचिका दाखिल की. जिसका विरोध करते हुए सरकारी पक्ष ने कहा कि, ऐसा करने से पुलिस द्वारा इन मामलों की जांच में लगाया गया श्रम व समय व्यर्थ चला जायेगा. वहीं अदालत ने बचाव पक्ष व सरकारी पक्ष की दलीलोें को सुनने के बाद दोनों गुटों के पारिवारिक संबंध व उनके बीच हुए समझौते को ध्यान में रखते हुए उनकी याचिका मंजूर की और दोनों पक्षों को १०-१० हजार रूपयों की राशि नागपुर हाईकोर्ट बार एसो. में जमा कराने के निर्देश दिये. इस जमा की हुई रकम का उपयोग वकीलों के लिए काम करनेवाले जरूरतमंद अटर्नियों व क्लर्को हेतु उपयोग में लाने का निर्देश देते हुए खंडपीठ ने याचिकाकर्ताओं के खिलाफ प्रलंबित रहनेवाले चारों मामलोें को खारिज कर दिया. सभी याचिकाकर्ताओं की ओर से एड. परवेज मिर्झा ने हाईकोर्ट में पैरवी की थी.