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चार से पांच आमसभाएं चढ गई हंगामे की भेंट

 जनसमस्याओं पर कोई चर्चा ही नहीं

  • जस की तस बनी हुई है नागरिकों की समस्याएं

अमरावती/प्रतिनिधि दि.19 – विगत चार-पांच माह से अमरावती मनपा की आमसभाओं में लगातार हंगामा चला तथा हंगामे और शोर-शराबे के बीच जनसमस्याओं की पूरी तरह से अनदेखी हुई. यद्यपि जनसमस्याओं का निराकरण करने के लिए शहर के विभिन्न राजनीतिक, सामाजिक व स्वयंसेवी संस्थाओं, संगठनों तथा नागरिकों द्वारा धरने प्रदर्शन किये जा रहे है और प्रशासन को ज्ञापन सौंपे जा रहे है. किंतु इसमें से किसी भी विषय पर आमसभाओं में कोई चर्चा नहीं हो पा रही, क्योेंकि अपने-अपने राजनीतिक हितों को लेकर चलनेवाले जनप्रतिनिधियों द्वारा आपसी सिरफुटव्वल करते हुए जनसमस्याओं की अनदेखी कर रहे है.
अब यह मानो एक तरह की परंपरा बन गई है कि, आमसभा के शुरू होते ही घोटालों पर चर्चा शुरू हो जाती है. जिसके बाद विवाद और तनाव की स्थिति पैदा होने की वजह से आमसभा को स्थगित करना पडता है. कभी नवाथे मल्टीप्लेक्स का विषय निकलता है, तो वॉर्ड विकास व स्वेच्छा निधी को लेकर हंगामा होता है. शहर में इस समय कई नागरी समस्याएं मौजूद है. वहीं दूसरी ओर विकास के नाम पर केवल कागजों पर ही काम हो रहा है. यहीं स्थिति शहर में कचरे को लेकर भी है. रोजाना मनपा आयुक्त के पास शिकायतें पहुंचती है कि, फला-फला इलाके में चहुंओर गंदगी व्याप्त है और कचरा नहीं उठाया जा रहा. जिससे डेंग्यू व चिकनगुनिया सहित मलेरिया जैसी बीमारियों का संक्रमण फैल रहा है. किंतु आम जनता के स्वास्थ्य से जुडे इस अति महत्वपूर्ण विषय पर आज तक आमसभा में कोई चर्चा नहीं हुई. बल्कि आमसभा में केवल ठेके और घोटाले जैसे विषयों पर ही चर्चा होती है और हंगामा मचता है.
मनपा की शालाओं की क्या स्थिति है, ऑनलाईन शिक्षा का लाभ कितने विद्यार्थियों को मिल रहा है, मनपा के दवाखानों में दवाईयों का कितना स्टॉक उपलब्ध है, ऐसे विषयों पर तो आमसभा में पार्षदों द्वारा चर्चा होती दिखाई ही नहीं देती. इसकी बजाय फाईबर टॉयलेट घोटाला, मल्टीयूटिलीटी रेस्क्यू वाहन घोटाला, फर्जी एनओसी घोटाला तथा व्यक्तिगत शौचालय घोटाला जैसे विषयों पर आमसभाओं का पूरा समय खर्च होता है. लेकिन सबसे आश्चर्य की बात यह है कि, आज तक किसी भी घोटाले की विस्तृत जांच रिपोर्ट सभागृह में पेश नहीं हुई और न ही आज तक किसी भी व्यक्ति को किसी भी घोटाले के लिए कोई सजा ही हुई है.
वहीं विगत 17 अगस्त की आमसभा तो अपने आप में अनूठी रही, जब पार्षदों के अलावा बाहरी लोगों ने आमसभा जारी रहने के दौरान सदन के भीतर घुसकर जबर्दस्त हंगामा किया. जिसकी वजह से इस आमसभा को भी स्थगित करना पडा और आम जनता के हितों से जुडे मुद्दे एक बार फिर अनदेखे, अनसुने व अचर्चित रह गये. सबसे उल्लेखनीय बात यह है कि, 17 अगस्त की आमसभा में भी हंगामा किसी जनहित से जुडे मुद्दे को लेकर नहीं, बल्कि आउटसोर्सिंग के ठेके को लेकर ही हुआ था.

  •  दो बार ऐन समय पर उपस्थित मसलों से मचा हंगामा

आमसभा में दो बार ऐन समय पर उपस्थित हुए मसलों से हंगामा मचा है. एक बार विषय सूची में शामिल नहीं रहने के बावजूद नवाथे मल्टीप्लेक्स का विषय ऐन समय पर सदन में उठाया गया. वहीं दूसरी बार वॉर्डविकास व स्वेच्छा निधी के मसले को ऐन समय पर उठाकर ऐसा हंगामा मचा कि, आमसभा को ही स्थगित कर देना पडा.

  •  एक-दूसरे को घेरने का चल रहा प्रयास

चूंकि अब आगामी छह माह में मनपा के आम चुनाव होनेवाले है. ऐसे में चुनाव को ध्यान में रखते हुए सत्ताधारी एवं विरोधी दल एक-दूसरे को घेरने और आरोपों के कटघरे में खडा करने का प्रयास कर रहे है. इस समय अपने कार्यकाल के अंतिम चरण में हर किसी को अपने व्यक्तिगत हित भी साध्य करने है. जिसकी वजह से मनपा की आमसभाओं में अब जनसामान्यों के मसलों को कोई विशेष महत्व नहीं मिल रहा. दो दिन पूर्व युवा स्वाभिमान पार्टी द्वारा आमसभा में घुसकर मचाया गया हंगामा भी इसी का एक हिस्सा था.

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