कल से मोक्षधाम की दोनों गैस शवदाहिनियां रहेगी बंद
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लकडी की चिताओं पर परंपरागत दाह संस्कार जारी रहेगा
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हिंदू श्मशान भूमि संस्था के पदाधिकारियों ने लिया निर्णय
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एक दिन पूर्व हुए हंगामे और तोडफोड से सभी पदाधिकारी आहत
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प्रशासन से तीनों दाहिनियों के लिए अनुमति मिलने पर ही शुरू होगा काम
अमरावती/प्रतिनिधि दि.29 – स्थानीय हिंदू श्मशान भूमि संस्था द्वारा संचालित हिंदू मोक्षधाम में स्थापित दो गैस शवदाहिनियों में कल रविवार 30 मई से पार्थिव शरीरों का अंतिम संस्कार नहीं किया जायेगा. गत रोज नई गैस शवदाहिनी के खिलाफ कुछ लोगों द्वारा हिंदू मोक्षधाम में किये गये हिंसक विरोध प्रदर्शन तथा पदाधिकारियों के प्रति प्रयुक्त किये गये आपत्तिजनक शब्दों से आहत होकर हिंदू मोक्षधाम के पदाधिकारियों ने उपरोक्त निर्णय लिया है. साथ ही कहा है कि, अब प्रशासन द्वारा तीनों गैस शवदाहिनियों के लिए अधिकारिक रूप से अनुमति मिलने के बाद ही शवदाहिनी को शुरू किया जायेगा और तब तक मोक्षधाम में पहले की तरह पारंपारिक रूप से लकडी की चिता पर मृतदेहों के अंतिम संस्कार का काम जारी रहेगा.
बता दें कि कोविड संक्रमण काल के दौरान संक्रमण की वजह से मृत होनेवाले अधिकांश शवों का अंतिम संस्कार प्रशासन द्वारा हिंदू मोक्षधाम में ही करवाया गया और मोक्षधाम में इसके लिए अपने पास पहले से उपलब्ध गैस शवदाहिनी में स्वतंत्र व्यवस्था की थी. मोक्षधाम में सात वर्ष पूर्व दो गैस शवदाहिनियां स्थापित की गई थी. जिनमें अब कभी-कभार कुछ तकनीकी दिक्कतें आते है और एक समय में कोई एक ही शवदाहिनी के जरिये अंतिम संस्कार का काम चलता है. ऐसे में काम के लगातार बढते बोझ को देखते हुए मोक्षधाम द्वारा यहां पर एक और गैस शवदाहिनी लगाने का निर्णय लिया. किंतु इस काम में मोक्षधाम को आर्थिक दिक्कतों का सामना करना पड रहा था. जिसे देखते हुए पूर्व जिला पालकमंत्री प्रवीण पोटे पाटील ने अपने खर्च से 30 लाख रूपये मूल्यवाली नई गैस शवदाहिनी मोक्षधाम को उपलब्ध करायी. ये नई मशीन गत रोज ही ठाणे से अमरावती स्थित मोक्षधाम में पहुंची. जिसका पता चलते ही कुछ राजनीतिक दलों के पदाधिकारियों ने मोक्षधाम के आसपास स्थित रिहायशी इलाकों में रहनेवाले लोगों को साथ लेकर मोक्षधाम में पहुंचकर जबर्दस्त हंगामा किया. साथ ही नई गैस शवदाहिनी के साथ तोडफोड करते हुए समर्पित भाव से सेवा करनेवाले हिंदू मोक्षधाम के अध्यक्ष एड. आर. बी. अटल सहित पदाधिकारियों के नाम पर अपशब्द भी कहे गये.
इस पूरे प्रकरण से आहत होकर हिंदू मोक्षधाम के पदाधिकारियों की एक बैठक शनिवार की दोपहर मोक्षधाम परिसर में ही बुलायी गयी. इस बैठक में गत रोज हुए हंगामे की कडे शब्दों में निंदा करते हुए तय किया गया कि, इस मामले को लेकर मोक्षधाम द्वारा भी पुलिस में शिकायत दर्ज करायी जायेगी. साथ ही यह फैसला भी लिया गया कि, अब जब तक जिला एवं मनपा प्रशासन द्वारा तीनों गैस शवदाहिनियों के लिए अधिकृत तौर पर अनुमति नहीं दी जाती, तब तक मोक्षधाम में पहले से स्थित दोनों गैस शवदाहिनियों को भी बंद रखा जायेगा. हालांकि पहले की तरह परंपरागत रूप से लकडी की चिताओं पर मृतदेहों के अंतिम संस्कार का काम जारी रहेगा.
हिंदू श्मशान भूमि संस्था के अध्यक्ष एड. आर. बी. अटल की अध्यक्षता में हुई इस बैठक में संस्था के ट्रस्टी एड. विजय बोथरा, पं. देवदत्त शर्मा, किशोर केडिया, प्रकाश संगेकर, अशोक बसेरिया, शरद दातेराव, घनश्याम ककरानिया, जगदीश छाबडा, राजू मूंधडा व राजेश हेडा आदि उपस्थित थे. इन सभी पदाधिकारियों का कहना रहा कि, हकीकत में गैस शवदाहिनी पर्यावरण तथा प्रदूषण के लिहाज से ज्यादा फायदेमंद है, क्योंकि इसमें अंतिम संस्कार हेतु लकडियों का प्रयोग नहीं करना पडता तथा अंतिम संस्कार करते समय निकलनेवाला धुआं करीब 150 फीट उंची चिमनी के जरिये सीधे आसमान में छोडा जाता है. वहीं लकडी की चिता पर होनेवाले अंतिम संस्कार की वजह से जमीनी स्तर से उठनेवाला धुआं व राख के कण परिसर में फैलने की संभावना रहती है. किंतु बावजूद इसके लोगों द्वारा इस बात को न समझते हुए गैस शवदाहिनी का विरोध किया जा रहा है. साथ ही अपना पूरा जीवन मोक्षधाम के प्रति समर्पित कर देनेवाले लोगोें के लिए अपशब्दों व आपत्तिजनक शब्दों का प्रयोग किया जा रहा है. जिसे कतई बर्दाश्त नहीं किया जा सकता है. अत: फिलहाल दोनों गैस शवदाहिनियों को बंद रखने का निर्णय लिया गया है. जिन्हें अब प्रशासन के अनुरोध और अनुमति के बाद ही शुरू किया जायेगा.