रेन वॉटर हार्वेस्टिंग के लिए पंद्रहवें वित्त आयोग से निधि
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मनपा दस्तावेजों पर ही खेल रही
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रेन वॉटर को लेकर उदासीन रवैय्या
अमरावती/प्रतिनिधि दि.१४ – जलकिल्लत का सामना ना करना पड़े इसके लिए मनपा प्रशासन की ओर से १५ वें वित्त आयोग से रेन वॉटर हार्वेेस्टिंग योजना के लिए बंधनकाकर निधि दिया है. यह निधि प्राप्त होकर लगभग महीना बीत रहा है. लेकिन मनपा के उदासीन नीतियों के चलते बरसात का मौसम ऐन मुहाने पर आने पर भी दस्तावेजों पर ही खेल खेला जा रहा है.
यहां बता दें कि भूजल स्तर लगातार घटते जा रहा है. जिससे हालात चिंताजनक होते जा रहे है. १५ साल पूर्व सरकार ने सभी सरकारी कार्यालयों को रेन वॉटर हार्वेस्टिंग योजना चलाने के आदेश दिए थे. इस आदेश के अनुसार शासकीय कार्यालय पर यह योजना चलायी गई. लेकिन आज योजना की हालत खस्ता हो चुकी है. अनेक शासकीय कार्यालयों पर योजना कमजोर हो रही है. लेकिन सभी सरकारी कार्यालयों की ओर से इस ओर ध्यान नहीं दिया जा रहा है. इस वर्ष सरकार ने १५ वें वित्त आयोग अंतर्गत मनपा को १२ करोड २२ लाख रुपयों का बंधनकारक निधि दिया है. इस निधि में से ५० फीसदी निधि पीने के पानी और रेन वॉटर हार्वेस्टिंग योजना पर खर्च करने पड़ेंगे. वहीं ५० फीसदी निधि घनकचरा प्रबंधन पर खर्च करना पडेगा. पीने के पानी रेन वॉटर हार्वेेस्टिंग के लिए कुल ६ करोड ११ लाख रुपयों का निधि मिला है. इसीलिए तीन करोड रुपयों का निधि मनपा को अत्यंत महत्वपूर्ण रहनेवाले रेन वॉटर हार्वेस्टिंग योजना पर खर्च करना संभव है. लेकिन मनपा की ओर से अब तक इसे लेकर कोई नियोजन नहीं किया गया है. १५ लाख रुपए ब्लिचिंग पावडर, क्लोरिन खरीदी पर खर्च किए गए है. वहीं रेन वॉटर हार्वेस्टिंग को लेकर केवल कागजी घोडे दौड़ाए जा रहे है.
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जिम्मेदारी झटकने का प्रयास
मनपा के पास रेन वॉटर हार्वेस्टिंग योजना की जिम्मेदारी है. दो साल पूर्व मनपा को रेन वॉटर हार्वेस्टिंग हेतू निधि मिला था. लेकिन मनपा ने भूजल सर्वेक्षण कार्यालय के पास निधि भेजकर अपनी जिम्मेदारियों को टाल दिया. वहीं भूजल कार्यालय ने मनुष्य संसाधन का अभाव रहने से काम करने से असमर्थता दिखाई. इसीलिए निधि उपलब्ध होने पर भी रेन वॉटर हार्वेस्टिंग काम नहीं हुआ. वहीं अब जलापूर्ति विभाग पर जिम्मेदारी झटकने का प्रयास किया जा रहा है. इन सभी प्रकारों पर पदाधिकारी और प्रशासन अनदेखी कर रही है.