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चहुुंओर रही गणपति बाप्पा मोरया की धूम

 सभी बाजारपेठों व मूर्ति स्टालों पर रही जबर्दस्त भीडभाड

  •  इस बार मिट्टी से बनी मूर्तियों की रही अच्छी-खासी मांग

  •  शुक्रवार की सुबह से शुरू हुआ गणेश स्थापना का सिलसिला

  •  धाम-धूम रही नदारद, भक्तिभावपूर्ण माहौल में हुआ बाप्पा का आगमन

अमरावती/प्रतिनिधि दि.10 – भक्तों के लाडले बाप्पा यानी भगवान श्री गणेश का आगमन शुक्रवार 10 सितंबर को भाद्रपद शुक्ल पक्ष चतुर्थी पर पूरे विधि-विधान के साथ हुआ. ऐसे में शहर सहित जिले में चहुंओर शुक्रवार की सुबह से ही गणपती बाप्पा मोरया के जयघोष की गूंज रही और विगत एक-दो दिनों से अलग-अलग स्थानों पर बने मूर्ति बिक्री केंद्रोें के साथ-साथ पूजा एवं सजावट सामग्री की दूकानों पर भी ग्राहकों की अच्छीखासी भीड-भाड रही. वहीं शुक्रवार की सुबह से सभी घरों व सार्वजनिक मंडलों में पूरे विधि-विधान के साथ भगवान श्री गणेश की प्रतिमा स्थापित करने का सिलसिला शुरू हुआ, जो पूरा दिन चलता रहा.
बता दें कि, विगत दो-तीन दिनों से शहर सहित जिले में झमाझम बारिश हो रही थी. जिसके चलते आम जनजीवन पूरी तरह से अस्त-व्यस्त था. वहीं गत रोज पूरा दिन मौसम खुला रहा और धूप खिली रही. ऐसे में गत रोज हर ओर गणेश प्रतिमाओं सहित पूजा एवं सजावट सामग्री खरीदने के लिए लोगों की अच्छी-खासी भीड-भाड उमडी. जिससे कई इलाकों में कुछ देर के लिए यातायात भी बाधित हुआ. साथ ही कई भाविक श्रध्दालु बीती शाम ही गणेश प्रतिमाओं को अपने साथ अपने घर ले जाते दिखे. जिनकी शुक्रवार को शुभ मुहूर्त में पूरे विधि-विधान के साथ स्थापना की गई.
उल्लेखनीय है कि, प्रति वर्ष गणेशोत्सव पर्व पर जबर्दस्त आतिषबाजी, ढोल-ताशे के स्वर एवं भव्य व आकर्षक झांकियों व शोभायात्रा का दृश्य दिखाई देता था. किंतु विगत दो वर्षों से कोविड संक्रमण के खतरे को देखते हुए सरकार की ओर से कडे प्रतिबंधात्मक निर्देश जारी किये गये है. ऐसे में गणेशोत्सव पर्व पर होनेवाली धामधूम पूरी तरह से नदारद है और बेहद सादे व सामान्य ढंग से गणेशोत्सव पर्व मनाया जा रहा है. ऐसे में सभी सार्वजनिक गणेशोत्सव मंडलों द्वारा गत वर्ष की तरह इस बार भी कोई झांकी या शोभायात्रा का आयोजन नहीं किया गया. साथ ही सरकारी निर्देशों के चलते सभी सार्वजनिक गणेशोत्सव मंडलों द्वारा अधिकतम 4 फीट उंची गणेश प्रतिमा ही स्थापित की गई. वहीं सरकार की ओर से घरेलू गणेश स्थापना हेतु अधिकतम 2 फीट उंची प्रतिमा को मंजूरी दी गई है. ऐसे में गुरूवार की शाम से शुक्रवार की दोपहर तक लोगबाग अपने-अपने दुपहिया व चार पहिया वाहनों के जरिये बाजारों से गणेश प्रतिमाएं ले जाते दिखाई दिये.

  • छोटे बच्चों की चहल-पहल रही कम

प्रतिवर्ष घरेलू गणेश प्रतिमाओं की खरीददारी हेतु मूर्ति बिक्री केंद्रोें पर बाल-गोपाल मंडली की अच्छीखासी चहल-पहल व भीडभाड दिखाई देती थी. किंतु इस वर्ष कोविड संक्रमण के खतरे को देखते हुए अधिकांश परिवारों के इक्का-दुक्का लोगों ने बाजार पहुंचकर गणेश प्रतिमाओं को पसंद किया और मूर्ति अपने साथ घर ले गये, ताकि छोटे बच्चों को कोविड संक्रमण की चपेट में आने से बचाया जा सके.

  •  धूप व अगरबत्ती की महक से महका जिला

इस वर्ष गणेश स्थापना का मुहूर्त सुबह 6.15 बजे से ही था. ऐसे में अधिकांश लोगों ने सुबह-सुबह ही गणेश प्रतिमाओं की प्राणप्रतिष्ठा करते हुए गणेश स्थापना की. विशेषकर कामकाजी व कारोबारी लोगों के यहां सुबह के मुहूर्त में ही गणेश स्थापना का विधान पूर्ण किया गया. साथ ही कई व्यापारिक प्रतिष्ठानों में सुबह 11 से 12 बजे के दौरान गणेश स्थापना हुई तथा दोपहर बाद सार्वजनिक गणेशोत्सव मंडलों में गणेश स्थापना की गई. ऐसे में पूरा दिन कहीं न कहीं से गणेश आरती के स्वर सुनाई देते रहे. साथ ही साथ धूप व अगरबत्ती सहित कपूर की सुगंध से जिला महकता रहा.

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