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चिखलदरा की शान बनेगा गणपति संग्रहालय

चिखलदरा/दि.20 – विदर्भ क्षेत्र का नंदनवन कहे जाते चिखलदरा में अपनी तरह का एक अनूठा गणपति संग्रहालय बनाया जा रहा है. जो यहां आनेवाले सैलानियों के लिए पर्यटन के साथ-साथ एक तीर्थस्थल भी साबित होगा. यहां आनेवाले पर्यटक अब इस संग्रहालय में गणपति की अलग-अलग मुद्रावाली 2 हजार 200 मूर्तियों के दर्शन करने के साथ-साथ कलाकारी के अलग-अलग और नायाब नमुने भी देख सकेंगे. क्योंकि यहां पर देश के अलग-अलग इलाकों में बनी गणेश मूर्तियों को लाकर संग्रहित किया जा रहा है. ऐसे में जल्द ही यह स्थान चिखलदरा का सबसे बडा आकर्षण बनकर उभरेगा. इसमें कोई संदेह नहीं है.
इस संग्रहालय में हर एक गणेश प्रतिमा को बडी बारीकी से निहारने हेतु पर्यटकों को करीब 3 से 4 घंटे का समय लगेगा. यह चिखलदरा के व्यवसाय क्षेत्र के लिहाज से एक काफी बडी उपलब्धि होगी और यहां पर पर्यटन व रोजगार के नये अवसर उपलब्ध होंगे.
उल्लेखनीय है कि, देश के ख्यातनाम शिल्पी पद्मश्री गुरू प्रवकार महारणा (ओडिशा) ने खुद चिखलदरा के गणपति संग्रहालय को भेंट दी है और इस संग्रहालय को ओडिशा में बनी कई गणेश प्रतिमाएं अपनी ओर से प्रदान की है. जिनमें से कुछ मूर्तियां बेहद अनमोल है.
ज्ञात रहे कि, अकोला के उद्योगपति प्रदीप नंद की संकल्पना से साकार होने जा रहे इस संग्रहालय की स्थापना हेतु पूरा खर्च प्रदीप नंद द्वारा किया जा रहा है और चिखलदरा के एंट्री पॉइंट पर निर्मित होनेवाले इस गणपति संग्रहालय को देश के बडे-बडे मान्यवर व नामी-गिरामी गणमान्य लोग भेंट दे रहे है. जिनमें देश के ख्यातनाम शिल्पी पद्मश्री गुरू प्रवकार महारणा (ओडिशा) का भी समावेश रहा. जिनका स्वागत खुद उद्योजक प्रदीप नंद द्वारा पुष्पगुच्छ तथा शाल, श्रीफल देकर किया गया. इस अवसर पर प्रवकार महारणा के सुपुत्र प्रमोद महारणा तथा दामाद चिन्मय बडोजना भी उनके साथ चिखलदरा आये थे. इस समय वास्तु शिल्पकार दिलीप जडे, एड. श्रीकांत सनकेकर, संग्रहालय व्यवस्थापक डॉ. माधव देशमुख, चिखलदरा नगरपालिका के उपाध्यक्ष अब्दूल भाई, ईस्माईल भाई, चिखलदरा थाने के एपीआई शहाजी ईटनकर, वेदांत सुरपाटणे, मोथा के पूर्व सरपंच साधुराम पाटील, प्रल्हाद पाटील आदि भी उपस्थित थे.

 

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मेरी विगत 10-15 वर्षों से एक ऐसा गणपति संग्रहालय स्थापित करने की इच्छा थी. जहां पर देश के अलग-अलग हिस्सों में बनी तथा अलग-अलग मुद्राओंवाली गणेश प्रतिमा एक ही छत के नीचे उपलब्ध रहे, ताकि भाविकों द्वारा गणेश प्रतिमाओं का दर्शन करने के साथ-साथ देश की वैविध्यपूर्ण शिल्पकला को भी देखा जा सके. इसके लिए मुझे चिखलदरा से बेहतर और कोई स्थान नहीं सुलझा. इसलिए यहां पर तीन एकड जगह खरीदी गई, जहां गणपति संग्रहालय का काम शुरू किया गया. इसके पहले चरण में यहां 2 हजार 200 मूर्तियां स्थापित की जायेगी तथा धीरे-धीरे इस काम को आगे बढाया जायेगा.
प्रदीप नंद (उद्योजक, अकोला)
संस्थापक, गणपति संग्रहालय, चिखलदरा.

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