दोपहर १२.४१ से २.५८ तक गणपति स्थापना
पंडित करन गोपाल पुरोहित ने दी जानकारी
अमरावती प्रतिनिधि/ दि.२० – आगामी २२ अगस्त से गणेशोत्सव प्रारंभ होने जा रहा है. शास्त्र के अनुसार गणेशजी का पूजन का समय वृश्चिक लग्न सहित मध्यान्ह काल मानना चाहिए. वृश्चिक लग्न और मध्यान्ह काल दोपहर १२.४१ से दोपहर २.५८ तक प्राण प्रतिष्ठा श्रेष्ठ मानी गई है. वैसे इस दिन कई शुभ मुहूर्त है, ऐसी जानकारी विलास नगर के पंडित करन गोपाल पुरोहित ने दी. पंडित करन गोपाल पुरोहित ने गणेश प्रतिमा के स्थापना के बारे में जानकारी देते हुए बताया कि भाद्रपद मास, शु्नलपक्ष चतुर्थी, शनिवार २२ अगस्त के दिन गणेशजी की स्थापना प्रात: शुभबेला ७.४३ से ९.१८ तक है. इसी तरह अभिजीत बेला दोपहर १२.०४ से १२.५५ तक, चंचल बेला १२.३० से २.०५ तक, लाभ बेला २.०५ से ३.४१ तक, अमृत बेला ३.४१ से ५.१६ तक, लाभ बेला ६.५२ से ८.१७ तक. ऐेसे ही शास्त्रानुसार गणेशजी का पूजन का समय वृश्चिक लग्न सहित मध्यान्ह काल मानना चाहिए.
उन्होंने बताया कि वृश्चिक लग्न और मध्यान्ह काल दोपहर १२.४१ से २.५८ तक प्राणप्रतिष्ठा श्रेष्ठ मानी गई है. गणेशजी की स्थापना के लिए मध्यान्ह काल सर्वश्रेष्ठ रहता है. इस दिन हस्ता नक्षत्र प्रारंभ होता है. कन्या राशि का चंद्रमा है. भद्रा पाताल लोक में है, भद्रा के विषय अनेक भ्रांतियां है, परंतु विद्धवान लोग जो जोतिष की पूर्ण विद्या ग्रहण किये है वे लोग सभी बातों को जानते है.
भद्रा पूरे वर्ष सभी राशियों पर सभी तीनों लोगों में विचरण करती है. परंतु जिस तिथि में जिस समय प्रारंभ होती है उसी समय चार घडी का दोष मान्य है. इससे ज्यादा कोई दोष मान्य नहीं क्योकि मृत्यु लोक की भद्रा का ही विशेष दोष है. स्वर्गलोक, पाताल लोक की भद्रा का दोष मान्य नहीं है. शु्नलपक्ष हो या कृष्णपक्ष इसमें कर्क, सिंह , कुंभ, मिन राशि के चंद्रमा रहते हो तब भद्रा मृत्युलोक में रहती है. इसका दोष प्रारंभ में ही चार घडी का दोष रहता है. जिसके पश्चात सभी कार्य कर सकते है. देवि देवताओं के जन्मोत्सव मनाए जाते है, इसका भद्रा से संबंध नहीं रहता. गणेशजी के जन्म का उत्सव है, उसको श्रेष्ठ समय में मुर्ति स्थापना करना यहीं श्रेष्ठ है, ऐसी भी जानकारी पंडित करन गोपाल पुरोहित ने दी.
-
ऐसे है शुभ मुहूर्त
- शुभ बेला प्रात: ०७.४३ से ०९.१८ तक
- अभिजीत बेला दोपहर १२.०४ से १२.५५ तक
- चंचल बेला दोपहर १२.३० से ०२.०५ तक
- लाभ बेला दोपहर ०२.०५ से ०३.४१ तक
- अमृत बेला दोपहर ०३.४१ से ०५.१६ तक
- लाभ बेला शाम ०६.५२ से ०८.१७ तक
- वृश्चित लग्न व मध्यान्हकाल १२.४१ से ०२.५८ तक