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इस बार नवरात्र में नहीं होगा गरबा और दांडिया

  • सार्वजनिक दुर्गोत्सव में मात्र चार फीट उंची दुर्गा प्रतिमा स्थापित करने की अनुमति

  • कोरोना संक्रमण के मद्देनजर सरकार व प्रशासन ने जारी किया आदेश

  • साधे व सामान्य ढंग से नवरात्रोत्सव मनाने का किया आवाहन

 अमरावती/प्रतिनिधि दि.२८– इस वर्ष कोरोना संक्रमण के खतरे को देखते हुए जबर्दस्त धूमधडाका रहनेवाला गणेशोत्सव पर्व एकदम सन्नाटे में गुजर गया और इसके साथ ही अब नवरात्रोत्सव भी बेहद साधे व सामान्य ढंग से मनाना पडेगा. ऐसी पूरी संभावना दिखाई दे रही है,क्योंकि कोरोना के लगातार बढते संक्रमण को देखते हुए सरकार एवं प्रशासन ने गणेशोत्सव की तरह ही दुर्गोत्सव को भी साधे व सामान्य ढंग से मनाने का आवाहन करते हुए प्रतिबंधात्मक दिशानिर्देश जारी किये है. जिसमें सार्वजनिक दुर्गोत्सव मंडलों में अधिकतम चार फीट उंचाईवाली देवी प्रतिमाओं को स्थापित करने का निर्देश देने के साथ ही कहा गया है कि, इस बार नौ दिवसीय नवरात्रोत्सव के दौरान गरबा और दांडिया जैसे आयोजन भी नहीं होंगे. जिसके चलते प्रतिवर्ष नवरात्र के अवसर पर दिखाई देनेवाली रासगरबा व दांडिया की धुम इस बार दिखाई नही देगी. बता दें कि, आगामी माह में १७ से २५ अक्तूबर के दौरान समूचे देश में नवरात्रोत्सव मनाया जायेगा और १७ अक्तूबर को घटस्थापना से नवरात्रोत्सव शुरू होने के साथ ही जगह-जगह पर दुर्गादेवी व शारदादेवी की प्रतिमाओं की प्राणप्रतिष्ठा की जायेगी.
जिसके बाद २५ अक्तूबर को दशहरा यानी विजयादशमी पर्व पर नवरात्रोत्सव का समापन होगा. प्रति वर्ष नवरात्रोत्सव के दौरान बडी धुमधाम से दुर्गोत्सव व शारदोत्सव मनाने के साथ ही जगह-जगह पर गरबा एवं दांडिया जैसे सार्वजनिक उपक्रम आयोजीत होते है, लेकिन इस वर्ष कोरोना संक्रमण के खतरे को देखते हुए इन आयोजनों पर प्रतिबंध लगा दिया गया है. साथ ही सार्वजनिक तौर पर दुर्गोत्सव व शारदोत्सव मनानेवाले मंडलों के लिए भी काफी कडे नियम बनाये गये है. जिनमें कहा गया है कि, किसी भी सार्वजनिक मंडल में देवी प्रतिमाओं की अधिकतम उंचाई चार फीट से अधिक ना हो. साथ ही सार्वजनिक मंडलों में सोशल डिस्टंqसग के नियमों का पालन करना बेहद अनिवार्य रहेगा. बता दें कि, इसी तरह के नियम गणेशोत्सव के दौरान भी लागू किये गये थे, और उन तमाम प्रतिबंधात्मक नियमों को नवरात्रोत्सव के दौरान भी जारी रखा जायेगा.

ऑनलाईन दर्शन की सुविधा उपलब्ध करायें मंदिर व मंडल

इस संदर्भ में सरकार की ओर से जारी दिशानिर्देशों में कहा गया है कि, प्रतिवर्ष देवी मंदिरों तथा सार्वजनिक दुर्गोत्सव व शारदोत्सव मंडलों में भाविक श्रध्दालुओं की जबर्दस्त भीडभाड देवी दर्शन के लिए उमडती है. ऐसे में इस बार सभी मंडलों एवं मंदिरों द्वारा भाविकों को देवी दर्शन की ऑनलाईन सुविधा उपलब्ध करायी जानी चाहिए, ताकि कहीं पर भी भीडभाडवाली स्थिति उत्पन्न न हो.

नवरात्रोत्सव में सभी को मंदिर खुलने की आस

सरकारी निर्णय की ओर लगी सभी की निगाहें विगत २३ मार्च से जनता कफ्र्यू लागू होने के साथ ही समूचे देश के सभी धार्मिक स्थल व प्रार्थना स्थल बंद कर दिये गये. साथ ही महाराष्ट्र में अनलॉक की प्रक्रिया के दौरान भी धार्मिक स्थलों व प्रार्थना स्थलों को खुलने की अनुमति नहीं दी गई है. ऐसे में अमरावती शहर व जिले सहित समूचे राज्य में विगत सात माह से बंद पडे धार्मिक स्थलों को अब खोले जाने की मांग जोर पकड रही है. साथ ही सभी को उम्मीद है कि, आगामी नवरात्रोत्सव के दौरान राज्य सरकार द्वारा सभी मंदिरों को खोले जाने की अनुमति दी जायेगी. उल्लेखनीय है कि, नवरात्रोत्सव के दौरान सभी देवी मंदिरों के आसपास यात्रा व मेला लगता है, जिसमें सैंकडों दुकाने लगती है और हजारों लोगोें को रोजगार के अवसर उपलब्ध होते है. ऐसे में देवी के प्रति आस्था रखनेवाले श्रध्दालुओं के साथ-साथ अब व्यापारी वर्ग द्वारा भी सभी मंदिरों व धार्मिक स्थलों को खोले जाने की मांग जोर पकड रही है. बता दें कि, अमरावती शहर में स्थित अंबादेवी व एकवीरा देवी को समूचे विदर्भ क्षेत्र की कुलदेवता माना जाता है और इन दोनों मंदिरोें में नवरात्र के दौरान विदर्भ सहित राज्य के दूरदराज के क्षेत्रों से भाविक श्रध्दालुओं का आगमन होता है. इसके अलावा जिले में विभिन्न स्थानों पर स्थित देवी मंदिरों में भी नवरात्रोत्सव के दौरान बडी धूमधाम व चहल-पहल रहती है. लेकिन इस वर्ष नवरात्रोत्सव के दौरान नजारा ्नया होगा, यह फिलहाल निश्चित नहीं है.

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