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गैस दाहिनी की क्षमता खत्म, लकडियां भी पड रही कम

तीन दिनों से लगातार स्मशान घाट भी ‘फुल्ल’

  • कल 7 कोरोना बाधितों के शव का लकडियों पर और 9 का गैस दाहिनी में करना पडा दाह संस्कार

  • कल दिनभर में 30 शवों पर किये गए अंत्यसंस्कार

  • स्मशान में दिन रात चल रहा है लकडियां काटने का काम

अमरावती/प्रतिनिधि दि.2 – पिछले लगभग 4 से 5 दिनों में अमरावती शहर में कोरोना के मरीजों के मृत्युदर में तो लगातार वृध्दि हो ही रही है, लेकिन उससे ज्यादा नैसर्गिक मृत्यु वाले लोगों की संख्या भी तेजी से बढ रही है. यही वजह है कि पिछले तीन से चार दिनों से दाह संस्कार के लिए यहां की हिंदू स्मशान भूमि भी ‘फुल्ल’ बताई जा रही है. परसो रविवार को स्मशान घाट में कोरोना और नैसर्गिक तथा अन्य कारणों से मृत इस तरह कुल 35 शवों पर सुबह से शाम तक अंत्यसंस्कार किये गए थे तथा कल सोमवार को एक ही दिन में 30 शवों पर अंत्यसंस्कार किये. इस कारण मृतकों के रिश्तेदारों को अंत्यसंस्कार की साधन सामग्री उपलब्ध कराने में स्मशान भूमि के कर्मचारियों को भी काफी परेशानी झेलनी पड रही है.
उल्लेखनीय है कि वर्तमान में हिंदू स्मशान भूमि में कोरोना मरीजों के शव पर गैस दाहिनी में अंत्यसंस्कार किये जा रहे है. गैस दाहिनी में एक शव की दाह विधि को 2 घंटे का समय लगता है. स्मशाान भूमि के व्यवस्थापक किशोर मुंधडा ने ‘ दै.अमरावती मंडल’ को बताया कि कल सोमवार को स्मशान भूमि में दाह संस्कार के लिए कोरोना से मृत कुल 16 शव सुबह से शाम तक लाये गए थे, लेकिन गैस दाहिनी की दिनभर अंत्यसंस्कार की क्षमता केवल 9 शवों की रहने के कारण शेष 7 कोरोना मृतकों के शवों पर लडकियों पर ही आरक्षित जगह में अंत्यसंस्कार करने पडे. स्मशान भूमि में अंत्यविधि के लिए कुल 16 चबुतरे है तथा कल दिनभर में कोरोना के अलावा नैसर्गिक व अन्य कारणों से मृत 14 शवों पर अंत्यसंस्कार किया गया. स्मशान भूमि में दाह संस्कार के लिए बनाये गए 15 चबुतरे कम पडने से दो चबुतरों के बीच रहने वाली खाली जगह पर भी अंत्यसंस्कार किये जा रहे है. क्योंकि एक चबुतरे पर दाह संस्कार होने के बाद वह चबुतरा तीन दिन तक खाली नहीं होता. तीसरे दिन उसके रिश्तेदार राख विसर्जित करने ले जाने के बाद वह चबुतरा दूसरे व्यक्ति के दाह संस्कार के लिए दिया जाता है और पिछले तीन दिनों से लगातार रोज कभी 30 तो कभी 35 शव स्मशान घाट में अंत्यसंस्कार के लिए लाये जा रहे है. इस कारण चबुतरों की कमी तो महसूस हो ही रही है. काटी हुई लकडियां भी दाह संस्कार के लिए कम पड रही है. इस कारण स्मशान भूमि में लडकियां काटने का काम इन दिनों दिन रात चल रहा है.

 

  • एक चबुतरा तीन दिन नहीं होता खाली

हिंदू रितीरिवाजों के अनुसार किसी के शव पर अंत्यसंस्कार करने के बाद तीसरे दिन मृतको के रिश्तेदार राख विसर्जित करने ले जाते है. स्मशान भूमि में अंत्यसंस्कार के लिए 15 चबुतरों की व्यवस्था की गई है. रोज 30 से 35 के करीब शव दाह संस्कार के लिए लाये जा रहे है. लेेकिन एक चबुतरा तीन दिन खाली न होने के कारण चबुतरों की कमी के चलते दो चबुतरों के बीच रहने वाली खाली जगह पर ही शवों पर अंत्यसंस्कार करना पड रहा है.

  • दिन रात शुरु है लकडियां काटने का काम

उल्लेखनीय है कि कल सोमवार को दिनभर में कोरोना से मृत 16 और अन्य 14 इस तरह 30 शवों पर हिंदू मोक्षधाम में अंत्यसंस्कार किये गए. गेैस दाहिनी की क्षमता दिनभर में 9 अंत्यसंस्कार की रहने से कोरोना के 7 मृतकों पर लकडियों पर अंत्यसंस्कार करना पडा. इसके इलावा शेष 14 शवों पर भी लडकियों पर ही अंत्यसंस्कार करना पडा. हालांकि स्मशान भूमि में अंत्यसंस्कार के लिए लकडियों की कमी नहीं है, लेकिन दिनभर में काटी गई लकडियां भी मृतकों की संख्या बढ जाने से कम पडने लगी है. इस कारण स्मशान में इन दिनों दिन रात लकडियां काटने का काम चल रहा है, ऐसा स्मशान भूमि के व्यवस्थापक किशोर मुंधडा ने बताया है.

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