अन्य शहरमहाराष्ट्रमुख्य समाचार

दरों की सख्ती की बजाय उत्पादकों को अनुदान दो

राज्य के निजी व सहकारी दूध संघों की सरकार से मांग

पुणे/दि.22 – गाय के दूध को सरकार द्बारा तय किया गया 34 रुपए प्रति लीटर के दाम देना असंभव रहने की भूमिका सरकारी व निजी दूध उत्पादक संघों द्बारा अपनाई गई है. वैश्विक बाजार में दूध पॉउडर व बटर के दाम घट जाने के चलते देशांतर्गत बाजार में भी दाम घटाने पडे है. ऐसी स्थिति में इतने अधिक दाम देना संभव नहीं है. बल्कि इसके लिए सरकार ने मदद करनी चाहिए और जरुरत पडने पर सीधे किसानों को अनुदान देना चाहिए. ऐसी मांग राज्य के निजी व सहकारी दूध उत्पादक संघों द्बारा की गई है.
बता दें कि, राज्य में रोजाना करीब 2.30 करोड लीटर दूध का संकलन होता है. जिसमें से करीब 70 फीसद दूध को प्रक्रिया करते हुए पाउडर अथवा बटर बनाने के लिए दूध संघों से लिया जाता है. वैश्विक बाजार में दूध पाउडर के दाम 260 रुपए से घटकर 180 रुपए किलो की दर पर आ गए है. वहीं बटर के दाम भी 425 रुपए से घटकर 350 रुपए तक पहुंच गए है. उसके परिणाम स्वरुप घरेलू बाजार में भी पाउडर व बटर के दाम घट गए है. ऐसे में राज्य सरकार द्बारा गाय के दूध हेतु निश्चित किए गए अनुसार 34 रुपए प्रति लीटर का दाम देना संभव नहीं रहने की भूमिका दूध उत्पादक संघों द्बारा अपनाई गई है. साथ ही कहा गया है कि, इस समय दूध संघों के लिए गाय के दूध हेतु 28 रुपए प्रति लीटर के दाम देना संभव है. परंतु इसके बावजूद जैसे-तैसे व्यवस्था करते हुए 32 रुपए प्रति लीटर तक दाम दिए जा रहे है. लेकिन सरकार ने आदेश जारी कर इसमें भी 2 रुपए प्रति लीटर की वृद्धि की है. जिसकी वजह से रोजाना लाखों रुपए का नुकसान हो रहा है. जिसकी वजह से आगे चलकर निजी दूध उत्पादक संघों की स्थिति भी आरे व महानंद जैसे सरकारी दूध संघों की तरह हो जाएगी. ढुलाई एवं अन्य खर्चों का विचार करते हुए दूध प्रकल्प में पहुंचाएं जाने तक गाय के दुध के दाम 35 से 36 रुपए प्रति लीटर के आसपास पहुंच जाते है. वहीं दूसरी ओर वैश्विक एवं घरेलू बाजार में दूध सहित दूग्धजन्य पदार्थों के दामों में गिरावट चल रही है. ऐसे में दूध की खरीदी के दाम बढाए जाने की वजह से निजी व सरकारी दूध संघों की आर्थिक दिक्कतें बढ सकती है.
उल्लेखनीय है कि, विदर्भ क्षेत्र में सरकारी दूध योजना बंद है और यहां पर मदर डेअरी, हल्दीराम व दिनशॉ जैसी बायो प्रोडक्ट उत्पादीत करने वाली निजी दूध संस्थाओं के सामने सहकारी दूध संघों को कडी प्रतिस्पर्धा का सामना करना पड रहा है. फिलहाल बारिश का मौसम जारी रहने के चलते बायो प्रोडक्ट के जरिए मिलने वाला फायदा कम हो गया है तथा अन्य राज्यों की कंपनियां राज्य में आकर विविध दरों से दूध की खरीदी कर रही है. इसकी ओर भी कुछ दूध संघ संचालकों ंद्बारा ध्यान दिलाया गया है. साथ ही यह भी कहा गया है कि, गाय के दूध के लिए 34 रुपए प्रति लीटर के दाम निश्चित करते हुए सरकारी दूध संघों के संचालकों को विश्वास में नहीं लिया गया है.

* तो किसान आएंगे संकट में
गाय के दूध हेतु 34 रुपए प्रति लीटर का दाम देने से होने वाले नुकसान को टालने के लिए कुछ निजी दूध संघों द्बारा अब दूध की खरीदी को रोक देने की मानसिकता बना ली गई है. ऐसा होने पर दूध संकलन अचानक ही कम हो जाएगा. जिसका नुकसान दूध उत्पादक किसानों को उठाना पड सकता है, ऐसी संभावना भी जताई जा रही है.

* राज्य में कुल उत्पादित होने वाले दूध में से 70 फीसद दूध को निजी दूध संघों द्बारा प्रक्रिया हेतु लिया जाता है. बाजार में अच्छी स्थिति रहने पर गत वर्ष 38 रुपए प्रति लीटर तक दाम दिए गए. परंतु अब वैश्विक बाजार में दुग्धजन्यों पदार्थों के दाम घट गए है. जिसके चलते 34 रुपए प्रति लीटर का दाम देना संभव नहीं है. सरकार ने इस बारे में विस्तुत चर्चा करते हुए वास्तववादी निर्णय लेना चाहिए.
– प्रकाश कुतवल,
दूध उद्योग के अभ्यासक

Related Articles

Back to top button