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चिखलदरा में पुलिस के सामने नहीं चल रही सरकार और प्रशासन की

  •  मामला 23 लाख रूपयों के लिए अटके स्कायवॉक की जगह का

  •  कलेक्ट्रेट ने ही पुलिस वायरलेस सेंटर को दी थी जमीन

  •  20 साल से जमीन पडी है खाली, पुन: अधिग्रहण का अधिकार है जिलाधीश को

  •  जिलाधीश नहीं कर रहे अपने अधिकार का प्रयोग

चिखलदरा/प्रतिनिधि दि.९ – विदर्भ क्षेत्र के एकमात्र पर्यटन स्थल चिखलदरा में कुछ समय पूर्व बडे जोर-शोर से देश के पहले एवं एशिया के तीसरे स्कायवॉक का काम शुरू किया गया था. किंतु अब विगत पांच माह से यह काम बंद पडा हुआ है, क्योेंकि यहां पर खडे किये गये टॉवर से जोडी जानेवाली केबल को लगाने के लिए आवश्यक जमीन हेतु पुलिस वायरलेस सेेंटर द्वारा अपनी एनओसी नहीं दी जा रही है. और यह मामला मात्र 23 लाख रूपये के लिए पिछले पांच माह से अधर में अटका पडा है. तब से उल्लेखनीय बात यह है कि, 5 नवंबर 1980 को 15 हजार 175.7 चौ.मी. यानी करीब 4 एकड क्षेत्रफलवाली सरकारी जमीन तत्कालीन जिलाधीश द्वारा पुलिस वायरलेस सेंटर को दी गई थी. जिसमें से मात्र 10 हजार स्क्वे. फीट जमीन का इस्तेमाल ही इस सेेंटर द्वारा किया जा रहा है और शेष 3 एकड 30 आर जमीन विगत लंबे समय से खाली पडी है. जिसमें से केवल 10 से 15 हजार स्क्वे. फीट जमीन की जरूरत स्कायवॉक का केबल स्टैण्ड लगाने हेतु आवश्यक है. किंतु इसकी ऐवज में अपना पुलिसिया रौब दिखाते हुए पुलिस वायरलेस सेंटर के अधिकारी 2 करोड 16 लाख रूपये का रेस्ट हाउस बनाकर मांग रहे है, जबकि चिखलदरा विकास प्रारूप का काम कर रहे सिडको द्वारा कई माह पूर्व पुलिस महकमे को इस जमीन की ऐवज में 1 करोड 93 लाख रूपये देने की पेशकश की जा चुकी है. बावजूद इसके पुलिस का अडियल रवैया कायम है, और देश की प्रतिष्ठा बढानेवाले इस प्रोजेक्ट का काम अधर में अटका पडा है.
सर्वाधिक हैरतवाली बात यह है कि, सरकार की ओर से दी गई जमीन को सरकार के ही प्रोजेक्ट के लिए उपयोग में लाने हेतु इस तरह के हालात देखे जा रहे है. जबकि 20 वर्ष से अधिक समय तक खाली पडी जमीन को दुबारा अधिग्रहित करने के अधिकार खुद जिलाधीश के पास है. किंतु अपने इस अधिकार का प्रयोग करने की बजाय जिलाधीश द्वारा वायरलेस विभाग के पुलिस अधिक्षक को एक पत्र लिखकर कार्रवाई की औपचारिकता पूरी कर ली गयी है. यह कदम भी चिखलदरा के होटल ओनर्स एसोसिएशन द्वारा जिलाधीश को निवेदन सौंपे जाने के बाद उठाया गया है. वहीं जिले के किसी भी मंत्री और जनप्रतिनिधि द्वारा इस विषय को लेकर कोई गंभीरता नहीं दिखाई जा रही है. जिसकी वजह से अमरावती जिले का देश सहित दूनिया में मानसम्मान बढानेवाले इस प्रोजेक्ट का काम फिलहाल बंद पडा है. जिसे लेकर चिखलदरा वासियों में जबर्दस्त रोष व संताप की लहर है, एवं इस स्कायवॉक का काम दूबारा जल्द से जल्द शुरू करने की मांग को लेकर जबर्दस्त आंदोलन हो सकता है.

जिलाधीश ने वायरलेस एसपी को लिखा पत्र

बता देें कि, चिखलदरा होटल ओनर एसो. द्वारा सौंपे गये ज्ञापन में जिलाधीश को बताया गया था कि, एनओसी नहीं मिलने की वजह से स्कायवॉक का काम कर रही ठेकेदार कंपनी की मशीनें निर्माण स्थल पर खाली पडी है और मजदूर भी बिना काम के बैठे है. ऐसे में खुद को हो रहे नुकसान को देखते हुए ठेकेदार कंपनी आगामी 15 दिनों में अपना कामकाज बंद कर वापिस जाने की तैयारी में है. ऐसी स्थिति में यह काम लंबे समय तक अटका रह जायेगा और कालांतर में इस प्रोजेक्ट की लागत भी बढ सकती है. अत: समय रहते इस प्रोजेक्ट के संदर्भ में आवश्यक कदम उठाये जाये. इस पत्र के आधार पर जिलाधीश कार्यालय द्वारा वायरलेस संदेश पूर्व विभाग के पुलिस अधिक्षक को एक पत्र जारी करते हुए उनसे इस संदर्भ में आवश्यक कदम उठाने और निर्णय लेने हेतु कहा गया है. इस पत्र की प्रतिलिपी चिखलदरा होटल ओनर्स एसो. के पदाधिकारियों को भेजी है. जिस पर आक्षेप उठाते हुए एसो. के पदाधिकारियों ने इस बात को लेकर आश्चर्य जताया कि, अपने ही कार्यालय द्वारा आवंटित की गई जमीन को सरकारी प्रोजेक्ट के लिए दुबारा अधिग्रहित करने हेतु जिलाधीश द्वारा अपने अधिकारों का प्रयोग क्यों नहीं करते.

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