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सरकारी कर्मचारियों को भी कार्यालय जाने हेतु निगेटीव रिपोर्ट जरूरी

  •  15 प्रतिशत उपस्थिति की वजह से अधिकांश कार्यालयों में सन्नाटा

  •  कामकाज पर पड रहा बुरी तरह असर

अमरावती/प्रतिनिधि दि.28 – अमूमन गरमी के मौसम के दौरान सरकारी कार्यालय में वैसे भी कुछ हद तक सन्नाटेवाली स्थिति देखी जाती थी. किंतु अब इसके साथ ही कोविड संक्रमण की वजह से सरकारी कार्यालयों में केवल 15 प्रतिशत कर्मचारियों को उपस्थित रहने की अनुमति दी गई है. ऐसे में जहां कई सरकारी कार्यालयों में सन्नाटा व्याप्त है, वहीं कई सरकारी कार्यालयों में ताले लटके दिखाई दे रहे है. साथ ही साथ रोटेशन पध्दति के हिसाब से अपने काम पर उपस्थित होनेवाले कर्मचारियों को कार्यालय में प्रवेश करने से पहले अपनी कोविड निगेटीव टेस्ट का प्रमाणपत्र दिखाना अनिवार्य किया गया है.
यहां यह विशेष उल्लेखनीय है कि, अप्रैल व मई माह के दौरान कृषि व्यवसाय से संबंधित कामों की शुरूआत होती है और अक्षयतृतीया के बाद भेंडवल की मांडणी पर विश्वास रखते हुए बुलडाणा जिले सहित विदर्भ क्षेत्र के कई किसान अपने खेतों में बुआई की तैयारी में जुट जाते है. साथ ही इन दिनों मौसम विभाग की सलाह और विकसित तंत्रज्ञान का लाभ लेते हुए भी इसी दौरान खेती से संबंधित काम शुरू किये जाते है. इसके अलावा प्रशासन द्वारा नदी-नालों की साफ-सफाई करते हुए मान्सून पूर्व कामों को निपटाया जाता है. किंतु इस वर्ष इसी महत्वपूर्ण समय पर तहसील कार्यालय, तलाठी कार्यालय व कृषि संबंधी कार्यालयों में सन्नाटा पसरा हुआ है. साथ ही संचारबंदी की वजह से कृषि व्यवसाय से संबंधीत दुकाने और सेतु सुविधा केंद्र भी बंद पडे है. ऐसे में मान्सून पूर्व व बुआई पूर्व कामकाज बुरी तरह प्रभावित हो रहे है.

  • कृषि व्यवस्था पर परिणाम

किसानों को बैंक से संबंधी कामकाज हेतु जिन दस्तावेजों की जरूरत पडती है, वे सभी दस्तावेज मुख्य तौर पर तलाठी के पास मिलते है. इस समय तहसील कार्यालय में भी 15 प्रतिशत कर्मचारी ही उपस्थित रहते है. ऐसे में किसानों को आवश्यक दस्तावेज प्राप्त करने हेतु काफी चक्कर लगाने पडते है, क्योेंकि कभी कोई एक अधिकारी या कर्मचारी उपस्थित नहीं होता, तो कभी कोई दूसरा अधिकारी या कर्मचारी उपस्थित नहीं होता. ऐसे में किसानों के दस्तावेजों की फाईल आगे नहीं बढ पाती. यदि कोविड संक्रमण को लेकर ऐसी ही स्थिति बनी रही, तो इससे कृषि क्षेत्र की अर्थ व्यवस्था के बुरी तरह प्रभावित होने के पूरे आसार है.

  • रासायनिक खाद व बिजों की भी समस्या

अधिकांश किसानों को शहर में स्थित कृषि सेवा केंद्रों पर आकर ही खाद, बीज व कीटनाशक दवाईयां खरीदनी पडती है. हालांकि इन दिनों ग्रामीण क्षेत्रों में भी कृषि सेवा केंद्र शुरू हो गये है, किंतु वहां पर सभी आवश्यक साहित्य एकसाथ मिलने की संभावना कम रहती है. वहीं दूसरी ओर शहर में संचारबंदी लागू रहने की वजह से कृषि सेवा केंद्र बंद रहते है. जिसका खामियाजा किसानों को भुगतना पड रहा है.

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