* 8 अगस्त को है कोर्ट में सुनवाई
मुंबई./दि.28- प्रदेश की महानगरपालिका,सैकड़ों नगर पालिका, जिला परिषद के लगातार प्रलंबित हो रहे चुनाव के कारण कार्यकर्ता जहां निराश हो रहे हैं, वहीं खबर है कि महायुति सरकार भी पशोपेश में है. निकाय चुनाव का निर्णय हालांकि कोर्ट में प्रलंबित याचिकाओं के फैसले पर निर्भर है. फिर भी माना जा रहा है कि शिंदे के नेतृत्व वाली सरकार संभ्रम में आ गई है. चुनाव लोकसभा से पहले करवाये अथवा बाद में, यह महायुति में तय नहीं हो पा रहा.
इधर, अनेक मनपा का कार्यकाल पूर्ण हुए दो से तीन वर्ष बीत गए हैं. शीघ्र ही अहमदनगर, जलगांव, धुले, सांगली मनपा का कार्यकाल दिसंबर में समाप्त हो रहा है. 200 से अधिक पालिका की मुद्दत खत्म हो चुकी है. जिससे शीघ्र चुनाव करवाने की मांग बढ़ रही है. कार्यकर्ता ुपहले कोरोना के कारण और बाद में सरकार बदल जाने से एवं कोर्ट के निर्णयों की वजह से भी चुनाव में हो रही देरी के कारण मायूस हो रहे हैं.
शिवसेना में एकनाथ शिंदे के नेतृत्व में हुई बगावत के बाद हाल ही में राकांपा में अजीत पवार के विद्रोह एवं सरकार में शामिल होने से समीकरण बदल गए हैं. फिर भी महायुति के नेताओं को मुंबई मनपा में विजय की शाश्वती नहीं हो पाने की वजह से चुनाव में विलंब होने की चर्चा चल रही है. दिल्ली स्थित भाजपा नेताओं ने मुंबई मनपा में महायुति की विजय की शाश्वती चाही है. किन्तु राज्य के नेता विजय का भरोसा नहीं दिला पा रहे.
भाजपा के अग्रणी नेताओं का मानना है कि शिंदे के नेतृत्व में अधिकांश विधायकों ने पाला बदल लिया. किन्तु मुंबई मनपा के पूर्व नगरसेवकों ने अधिक मात्रा में शिंदे गुट में प्रवेश नहीं किया है. राकांपा साथ आने से महायुति मजबूत हुई है. मगर केंद्र के भाजपा नेता मुंबई मनपा को लेकर गंभीर हैं. जीत सुनिश्चित चाहते हैं. इसलिए अप्रैल-मई के लोकसभा चुनाव पश्चात निकाय चुनाव पर उनका जोर है.