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अनाथ बच्चों का पालकत्व स्वीकार करने के लिए सरकार गंभीर

पालकमंत्री एड यशोमति ठाकुर का प्रतिपादन

  • नई योजना मंत्रिमंडल ने करायी मंजूर

  • अनाथ बालकों के नाम जमा की जाएगी ५ लाख रुपयों की रकम

अमरावती/दि.२ – कोरोना महामारी में मृत्यु का प्रमाण बढ गया है. इस दौरान कुछ बच्चों के माता और पिता इन दोनों की मृत्यु होने की घटनाएं सामने आयी है. इसीलिए अनाथ हो चुके बच्चों को राहत देने के लिए विचार किया जा रहा था. जिसके अनुसार इन बच्चों के पालकत्व स्वीकार करने के लिए राज्य सरकार पूरी तरह से गंभीर है. इसीलिए प्रतिबालक ५ लाख रुपए उनके नाम पर जमा करने हेतू बुधवार को मंत्रिमंडल ने मंजूरी दी है. इसके अलावा अन्य योजनाओं का लाभ देकर बच्चों का संपूर्ण पुर्नवास करने का प्रयास किया जाएगा. इस आशय की जानकारी महिला व बालविकास मंत्री एड. यशोमति ठाकुर ने मंत्रिमंडल की बैठक के बाद दी.
एड. ठाकुर ने कहा कि कोविड महामारी से अचानक दोनों पालक गंवा चुके बच्चों को गहरा मानसिक सदमा लगा है. इन बच्चों को अपनेपन का आधार देने की आवश्यकता है. इस द़ृष्टि से शून्य से १८ आयु समूह के बच्चों के लिए नई योजना महिला व बालविकास विभाग की ओर से चलाए जाने का विचार किया जा रहा था. केंद्र सरकार की आर्थिक सहायता मिलेगी तब मिलेगी, किंतु राज्य सरकार के रूप में हम हमारी जिम्मेदारी गंभीरता से पूरे करेंगे. इसके लिए बच्चों के नाम पर ५ लाख रुपयों की जमापूंजी रखकर उस रकम का उपयोग भविष्य में उनके पुर्नवास किया जाएगा. इसी दौरान बच्चों का संगोपन करने के लिए कोई भी रिश्तेदार आगे नहीं आने पर सरकार बालसंगोपन गृह में बच्चों को दाखिल करेगी. वहीं उन बच्चों को बालसंगोपन योजना का लाभ दिया जाएगा. बालसंगोपन योजना के अनुदान में प्रतिबालक ११०० रुपयों की बढोत्तरी करने का निर्णय भी सरकार ने लिया है.

  • १४१ अनाथ बालकों को ढूंढा गया

कुछ दिनों पहले राज्य में जिलास्तरीय टास्क फोर्स नियुक्त कर उनके जरिए राज्य के अनाथ बालकों को ढूंढा गया. इस दौरान कोरोना से अनाथ हो चुके १४१ बालकों को ढूंढा गया. लेकिन अब तक कुछ स्थलों की जानकारी नहीं मिल पायी है. इसीलिए यह संख्या ओर भी बढ सकती है. तकरीबज २०० बालक अनाथ होने की बात को ग्राह्य मानते हुए प्रत्येक पांच-पांच लाख रुपए जमापूंजी रखने के लिए १० करोड रुपयों का प्रावधान किया गया है. इस योजना का लाभ ० से १८ वर्ष आयू समूह के बालक जिनके दोनों पालक कोरोना से १ मार्च २०२० अथवा इसके बाद अनाथ हुए है. उन बालकों को ही इस योजना का लाभ मिलेगा.

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