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तीनोें कृषि कानूनों को तुरंत रद्द करे सरकार

किसान आजादी आंदोलन ने राष्ट्रपति के नाम जिलाधीश को सौंपा ज्ञापन

अमरावती प्रतिनिधि/दि.३० – केंद्र सरकार द्वारा सितंबर माह में पारित किये गये. तीन नये कृषि कानून पूरी तरह से किसानोें हितों के खिलाफ है और इससे देश का कृषि क्षेत्र बर्बाद हो सकता है. ऐसे में यह बेहद जरूरी है कि, तीनोें कृषि कानूनों को अविलंब वापिस लेेकर खत्म किया जाये. इस आशय की मांग किसान आजादी आंदोलन द्वारा राष्ट्रपति को भेजे गये ज्ञापन में की गई है. इस संदर्भ में स्थानीय जिलाधीश को सौंपे गये ज्ञापन में किसान आजादी आंदोलन के पदाधिकारियों द्वारा मांग की गई कि, भारत की अर्थव्यवस्था कृषि प्रधान है और आधे से अधिक उद्योगोें के लिए लगनेवाला कच्चा माल खेती-किसानी से ही मिलता है. इसके अलावा सर्वसामान्य लोगों की दैनिक जरूरतों के लिए आवश्यक दूध, खाद्यान्न, फल एवं साग-सब्जी जैसी वस्तुएं भी खेती-किसानी से ही प्राप्त होती है, लेकिन बावजूद इसके किसान हमेशा ही आर्थिक रूप से बेहद कमजोर रहा है. इस बात के मद्देनजर विगत 15 वर्षों से स्वामिनाथन आयोग को लागु करने और किसानों न्यूनतम आधारभूत मूल्य देकर उनकी कृषि उपज खरीदने की मांग की जा रही है. लेकिन इन मांगों की अनदेखी करते हुए किसानों को उद्योगपतियोें व पूंजीपतियों के हवाले करने का सरकारी षडयंत्र रचा जा रहा है. जिसके लिए तीन नये कृषि कानून लाये गये है. ऐसे में तीनों कृषि कानूनों को तुरंत प्रभाव से खारिज किया जाना चाहिए.
ज्ञापन सौंपते समय किसान आजादी आंदोलन के संयोजक प्रा. साहबराव विधले, सहसंयोजक प्रा. महेंद्र मेटे, मराठा सेवा संघ के जिलाध्यक्ष अश्विन चौधरी, जिला प्रवक्ता चंद्रकांत मोहिते, अरविंद गावंडे, प्रा. सुभाष धोटे, राजेंद्र ठाकरे, अ. भा. अनिस के हरिश केदार, समतापर्व प्रतिष्ठान के सुभाष तलवारे, किसान सभा के लक्ष्मण धाकडे तथा एड. संजय तोटे एवं सतीश कुरोठिया, मुस्लिम लीग के प्रदेश अध्यक्ष अफसर अली, युथ मुस्लिम लीग के प्रदेश अध्यक्ष इमरान अशरफी व संयोजक अब्दुल रफीक आदि उपस्थित थे.

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