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किसानों की आवाज को गंभीरता से सुने सरकार

पत्रवार्ता में किसान आजादी आंदोलन का कथन

  • दिल्ली में चल रहे किसान आंदोलन को दिया समर्थन

अमरावती प्रतिनिधि/दि.२९ – विगत 32 दिनों से देश की राजधानी नई दिल्ली की सीमा पर विभिन्न राज्योें के सैंकडों किसान तीन नये कृषि कानूनों को रद्द किये जाने की मांगोें को लेकर आंदोलन कर रहे है. कडाके की ठंड के बीच किये जा रहे इस आंदोलन में अब तक करीब 40 किसान शहीद हो चुके है, लेकिन इसके बावजूद सरकार किसान आंदोलन को गंभीरता से नहीें ले रही. यह सीधे-सीधे केंद्र सरकार का मनमाना व अहंकारपूर्ण रवैय्या है. जिसके तहत किसानों की मांगों पर ध्यान ही नहीं दिया जा रहा. ऐसे में विभिन्न सम विचारी दलों द्वारा एकजूट होते हुए किसान आजादी आंदोलन नामक व्यासपीठ तैयार किया गया है. जिसके जरिये दिल्ली में चल रहे किसान आंदोलन को सक्रिय समर्थन घोषित किया गया है. इस आशय की जानकारी यहां बुलायी गयी पत्रकार परिषद में दी गई.
स्थानीय श्रमिक पत्रकार भवन में बुलायी गयी पत्रवार्ता में किसान आजादी आंदोलन की ओर से बताया गया कि, केंद्र सरकार द्वारा संसद में जो तीन नये कृषि कानून पारित किये गये है, वे पूरी तरह से किसान हितों के खिलाफ है. यहीं वजह है कि, आज देश के 510 किसान संगठनों द्वारा एकजूट होते हुए संयुक्त किसान मोर्चा की स्थापना की गई और इन तीनों कृषि कानूनों के खिलाफ राजधानी दिल्ली में आंदोलन करना शुरू किया. जिसके तहत किसानों की केवल इतनीही मांग है कि, नये कृषि कानून को रद्द करते हुए स्वामिनाथन आयोग की रिपोर्ट व सिफारिशों को लागू किया जाये. लेकिन सरकार इन मांगोें की ओर ध्यान देने के लिए भी तैयार नहीं है. लेकिन सरकार इस बात की भी अनदेखी नहीं कर सकती है कि, धीरे-धीरे इस आंदोलन को समूचे देश से जबर्दस्त जनसमर्थन मिलना शुरू हो गया है.
इस पत्रकार परिषद में किसान आजादी आंदोलन के संयोजक प्रा. साहेबराव विधले व जनसंपर्क प्रमुख बाबा भाकरे सहित डॉ. महेंद्र मेटे, डॉ. प्रफुल्ल गुडधे, डॉ. रोशन अर्डक, लक्ष्मणराव धाकडे, सुभाष पांडे, प्रदीप पाटील, अविनाश मालधुरे तथा पूर्व पार्षद मो. इमरान अशरफी आदि उपस्थित थे.

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