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फादर सिक्वेरा की भव्य गुरूदीक्षा विधी और पदग्रहण

मुंबई से सर महागुरू कार्डिनल ग्रेसियस ने किया अभिषेक

* नागपुर के सर महागुरू एलायस गोंसाल्विस और पुणे के महामहिम जॉन रॉड्रिक्स की उपस्थिति
अमरावती/ दि. 25-ईसाई धर्म प्रांत अमरावती के पांचवें महागुरू के रूप में महामहिम माल्कम सिक्वेरा का भव्य गुरूदीक्षा व पदग्रहण आज यहां संपूर्ण ईसाई मान्यता अनुसार विधी विधान से हुआ. इस समय परमगुरू स्वामी के भारत के राजदूत सर महागुरू लियोपोल्डो जिरेल्ली विशेष रूप से उपस्थित थे. उसी प्रकार पास पडोस के गांव, कसबों से भी श्रध्दालु आए थे. देश के विविध धर्म प्रांत के महागुरू, धर्मगुरू और व्रतस्थ ने भी पावन सानिध्य से समारोह की शोभा बढाई.
* ग्रेसियस प्रधान अभिषेक कर्ता
मुुंबई सरधर्म प्रांत के सर महागुरू ऑस्वाल्ड कार्डिनल ग्रेसियस प्रधान अभिषेककर्ता थे. उन्होंने फादर माल्कम सिक्वेरा का अभिषेक किया. नागपुर सरधर्म प्रांत के सर महागुरू परम दयालु एलायस गोेंसाल्विस तथा पुणे के महागुरू महामहिम जॉन रॉड्रिक्स सह अभिषेककर्ता थे. उसी प्रकार परमगुरू स्वामी के भारत के राजदूत भी उपस्थित थे. ईसाई धर्मावलंबियों का उत्साह देखते ही बना. उन्होंने अपार प्रसन्नता व्यक्त की. बडी संख्या में धर्मावलंबी उत्साह से गुरूदीक्षा विधी और पदग्रहण के साक्षी बने.
* अल्प परिचय
फादर माल्कम सिक्वेरा का जन्म 4 नवंबर 1961 गिरीज धर्मग्राम में हुआ. वे संत फ्रांसिस झेवियर धर्मग्राम के रहिवासी है. यह धर्मग्राम कुछ समय तक मुंबई सरधर्म प्रांत का हिस्सा था. फिलहाल वसई धर्मप्रांत का हिस्सा है. फादर सिक्वेरा ने तत्वज्ञान और ईश ज्ञान संत पायस धर्म शिक्षणालय गोरेगांव मुंबई से प्राप्त की. आंतरिक नक्शीकाम में स्नातकोत्तर पदवी रचना संसद मुंबई से और पुणे विवि से आर्टस में स्नातकोत्तर पदवी प्राप्त की. 13 अप्रैल 1996 को उनकी धर्मगुरू पद की गुरूदीक्षा हुई. पुणे धर्मप्रांत में उनका समावेश हुआ. 1998 तक वे संत पैट्रिक महामंदिर पुणे के सहायक धर्मगुरू रहे. उपरांत 2003 तक समिति के निर्देशक रहे. 2003 से 2005 उन्होंने रोम में अध्ययन किया. 2005 से 2008 तक नवसाधना केंद्र पुणे के कार्यक्रम निर्देशक के रूप में कार्य किया. अमरावती धर्म प्रांत के सामाजिक संपर्क डॉ. फादर जोसलिंग ने बताया कि फादर माल्कम सिक्वेरा 2008 से 2013 तक संत पैट्रिक महामंदिर के प्रमुख धर्मगुरू रहे. इसी दौरान 2009से आज तक वे पुणे धर्मप्रांत के सलाहकार और प्रतिमाह गुरू है. उसी प्रकार पुणे में ईसाई धर्म की विविध संस्थाओं पर विविध पदों पर उन्होंने कार्य किया. समारोह में भारत के विविध धर्म प्रांत के महागुरू, धर्मगुरू, व्रतस्थ और अमरावती धर्म प्रांत के कोने-कोने से आए प्रपंचिका ने भी ज्वलंत ईसाई एकता की साक्ष देकर विशुध्द विधी को आध्यात्मिकता पूर्णता दी.

 

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